बठिंडा में दिल के मरीजों के लिए एम्स में ईको मशीन होगी वरदान साबित, 100 रुपए में मिलेगा उपचार

-हृदय रोग से पीड़ित गरीब और जरूरतमंद मरीजों की स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले खर्च को कम किया सस्ती कीमत पर आधुनिक तकनीक उपलब्ध

बठिंडा. बठिंडा एम्स में टू-डी कार्डिएक ईसीएचओ ईको मशीन दिल के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी। इस मशीन का एम्स के निदेशक डॉ. दिनेश कुमार सिंह ने शुक्रवार को उद्घाटन किया। एम्स बठिंडा में इस मशीन के लगने के बाद हृदय रोग से पीड़ित गरीब और जरूरतमंद मरीजों की स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकेगा और सस्ती कीमत पर आधुनिक तकनीक उपलब्ध होगी। इसमें सीधे तौर पर हार्ट मरीज को जहां प्राइवेट अस्पताल में 1200 से दो हजार रुपए तक का खर्च करना पड़ता था उसके लिए अब एम्स में मात्र 100 रुपए देने पडेंगे। यह पूरे मालवा में पीजीआई के बाद पहला सेंटर है जहां इतनी कम कीमत में हार्ट मरीजों को बेहतर सुविधा मिलने जा रही है।

एम्स का मुख्य मकसद मालवा के साथ आसपास के राज्यों के लोगों को बेहतर मेडिकल सुविधा देना

निदेशक एम्स बठिंडा ने दिल की बीमारियों का जल्द पता लगाने के लिए इकोकार्डियोग्राफी के महत्व पर प्रकाश डालते कहा कि एम्स का मुख्य मकसद मालवा के साथ आसपास के राज्यों के लोगों को बेहतर मेडिकल सुविधा देने के साथ सस्ता उपचार उपलब्ध करवाया जाए। इसी कड़ी में एम्स में पहले क्लर एक्सरे की सुविधा शुरू की गई थी जिसमें गंभीर बीमारियों का पल भर में आधुनिक मशीनों से पता लगाया जा सकता है। प्रो. सतीश गुप्ता, एमएस, एम्स, बठिंडा ने इस क्षेत्र में दिल की बीमारियों की बढ़ती तादा पर चिंता व्यक्त की और इसके प्रबंधन में एम्स की भूमिका के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल से खानपान के असंतुलित प्लान ने दिल के मरीजों की तादाद में बढ़ोतरी की है। इसमें खासकर 40 साल से ऊपर उम्र के हर व्यक्ति पर इसका खतरा बना हुआ है। इस स्थिति में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को समय पर जांच की सुविधा हासिल करने के लिए भारी भरकम राशि खर्च करनी पड़ती है। इसी कड़ी में एम्स ने मरीजों को सस्ता व बेहतर उपचार आधुनिक मशीन के माध्यम से देने की योजना पर काम शुरू किया है। साथ ही चंद मिनट में किसी भी तरह के हृदय रोग का पता लगाकर उसके निदान में मदद करता है। इस मशीन का आकार छोटा है। इसकी मदद से डाक्टर के चैंबर में ही परीक्षण किया जा सकता है।
यह टेक्नोलॉजी तुरंत जांच परिणाम के समय को घटा देती है। इस तरह से ग्रामीण इलाकों में जल्दी डायग्नोसिस व उपचार के इंतजाम में जो कमी है, उसे काफी हद तक पूरा किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने बताया कि जीवन रक्षा उपचार के लिए समय पर सटीक डायग्नोसिस बहुत महत्वपूर्ण है। विशेषकर कार्डियो वेस्कुलर रोग के मामलों में। इस मशीन से परीक्षण के लिए केवल 15 मिनट का समय लगता है, जबकि अन्य तरह से होने वाली जांच में तीन से चार घंटे लगते हैं। इसके जरिए सिंगल और मल्टीपल कार्डियक वैल्यू रिप्लेसमेंट, कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी, बेसिक कारीजेंटल हार्ट सर्जरी आदि संभव होंगे। आयुष्मान भारत स्कीम के अंतर्गत इस सुविधा का लाभ मिल सकता है जिससे बड़ी संख्या में गरीब लोगों को भी इस मशीन का फायदा मिलेगा।

यह होगा फायदा
1. हार्ट की गतिविधियों का जल्द करेगा डायग्नोसिस
2. मर्ज का पता चलने पर जल्दी हो सकेगा इलाज
3. कम समय में पता चलेगा कि हार्ट का दर्द या फिर अस्थमा का
4. अस्पतालों का बोझ कम होगा, चंद मिनट में पता चलेगी लागत
5. हार्ट फेल होने की गंभीरता की होगी समीक्षा

 

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