बठिंडा सिविल अस्पताल की बड़ी लापरवाही-आलार्म बंद होने के बाद मरीजों की चीख व तड़फता शरीर ही बताता है सिलेंडर खाली हो गया, चीखे सुनकर परिजन खुद कर रहे सिलेंडर तबदील, अधिकारी नहीं कर रहे सुनवाई

-बठिंडा सिविल अस्पताल में आक्सीजन होने के बावजूद मरीजों की जान आफत में पड़ी, सिलेंडर खाली होने के बाद नहीं करते तबदील एमजेंसी आलार्म भी किया बंद

बठिंडा. बठिंडा सिविल अस्पताल अपनी अव्यवस्थाओं के चलते हमेशा सुर्खियों में रहता है। इन दिनों कोरोना वायरस के फैलते ही अस्पताल में आक्सीजन लेबल कम होने वाले 80 के करीब मरीजों की जिंदगी पर अस्पताल की लापरवाही भारी पड़ रही है। दरअसल अस्पताल में मरीजों को आक्सीजन लगाने के बाद अस्पताल स्टाफ भगवान भरोसे छोड़ रहे हैं। 

इसमें आक्सीजन समाप्त होते ही स्टाफ नदारद रहता है जिसमें मरीजों के कहने के बावजूद किसी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है जिससे मरीजों के परिजन अपनों को बचाने के लिए खुद ही आक्सीजन सिलेडर स्टोर से उठाकर लाते हैं व उसे तबदील करते हैं। अब तो मरीजों ने अपने स्तर पर ही अस्पताल के गेट में पहरा देना शुरू कर दिया है व मरीजों के चीखने की आवाज सुनते ही सिलेंडर अपने आप तबदील करने के लिए भागगगततते है रात के समय आलम यह है कि आक्सीजन समाप्त होने की सूचना देने वाला आलार्म सिस्टम ही बंद कर दिया जाता है जिससे आक्सीजन समाप्त होने की आटोमैटिक सूचना नहीं मिलती है बल्कि मरीज के परिजन तड़फता देख अनुमान लगाते हैं कि सिलेंडर खाली हो गया है। इसमें भी नया सिलेंडर तबदील करने व उसे लगाने में महिर नहीं होने के बावजूद परिजन इस बाबत प्रयास करते दिखाई देते हैं व उन्हें इस काम में 15 से 20 मिनट का समय नया सिलेंडर लगाने में लगता है। इस दौरान गंभीर मरीजों की जान पर पड़ी रहती है व उन्हें इस दौरान बिना आक्सीजन के तड़फना पड़ता है। 


फिलहाल मरीजों के परिजनों ने मरीज के परिजन गुरदीप सिंह व गुरप्रीत सिंह वासी तलवंडी साबों ने कहा कि कोविड मरीज की देखरेख के लिए मात्र एक अटेंडेंट है जो नीचे व ऊपरी वार्ड में मरीजों को देखता है वही इस दौरान उन्हें डाक्टर व अधिकारी अपने काम से बुला लेते हैं जिससे वार्ड पूरी तरह से खाली रहता है। इसमें वह एसएमओ से भी मिले लेकिन उन्होंने किसी तरह का रिस्पांस नहीं दिया। अस्पताल में जरूरत अनुसार आक्सीजन है लेकिन इसमें व्यवस्था नहीं है। वार्ड में मरीज ज्यादा है जिसके चलते एक सिलेंडर हर 25 मिनट बाद तबदील करना पड़ता है। सिविल अस्पताल प्रबंधकों से जब अलार्म बंद करने की जानकारी पूछी तो उन्होंने कहा कि अलार्म बजने से मरीज परेशान होते हैं इसलिए वह इसे बंद कर देते हैं। अब मरीज के परिजनों ने सिविल अस्पताल प्रबंधकों से कहा कि अगर वह कोई स्थायी कर्मी नहीं रख सकते तो वह अपने खर्च पर मजदूर व कर्मी रखने को तैयार है। अस्पताल में सिलेंडर में आक्सीजन समाप्त होते ही चारों तरफ हाहाकार मच रहा है व मरीजों की हालत लगातार खराब हो रही है। डीसी दफ्तर की हेल्प लाइन में भी संपर्क किया लेकिन किसी तरह की कारर्वाई आज तक नहीं हो रही है। गौरतलब है कि सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस के कारण आक्सीजन की लेबल कम होने से गंभीर अवस्था में पहुंचे मरीजों को दाखिल करवाया गया है। अस्पताल में जरूरत के अनुसार आक्सीजन की सप्लाई मिल रही है लेकिन स्टाफ की कमी के चलते मरीजों को परेशानी से जुझना पड़ रहा है। यही नहीं अस्पताल में पहुंचने वाली आक्सीजन के सिलेंडर कोविड वार्ड से काफी दूर उतारे जा रहे हैं जिससे उन्हें वार्ड तक पहुंचाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इससे जहां सिलेंडर उठाने में समय लगता है वही आपातकाल में मरीजों को समय पर आक्सीजन नहीं मिलने से जान जोखिम में रहती है। अब मरीज के परिजनों ने फैसला लिया है कि वह अपने स्तर पर दो मजदूर लाकर यहां रखेंगे व उनके साथ खुद ही सिलेंडर तबदील करने का काम करेंगे क्योंकि उनके लिए उनके मरीज की जिंदगी ज्यादा महत्वपूर्ण है।

फोटो सहित-बीटीडी-4- सिविल अस्पताल के कोविड वार्ड में आक्सीजन सिलेंडर खाली होने के बाद बाहर से खुद सिलेंडर लाकर तबदील करने लेकर जाते मरीजों के परिजन।        

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