बठिंडा में हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुए जिला परिषद चुनाव में कागड़ गुट की मनजीत कौर चेयरपर्सन और बादल समर्थित गुरइकबाल सिंह वाइस चेयरपर्सन बने

हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुए चुनाव में कागड़ गुट की मनजीत कौर चेयरपर्सन और बादल समर्थित गुरइकबाल सिंह वाइस चेयरपर्सन बने

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बठिंडा. 13 दिन पहले हाईकोर्ट की तरफ से एक याचिका पर फैसला देते जिला परिषद बठिंडा के चेयरपर्सन और वाइस चेयरपर्सन के चुनाव फिर से करवाने की हिदायत दी गई थी। इसमें अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (जनरल) राजदीप सिंह बराड़ के नेतृत्व में चुनाव शांतिपूर्वक और पारदर्शी ढंग के साथ हुए। इसमें कांगड़ गुट की समर्थित मनजीत कौर चेयरपर्सन और बादल गुट के समर्थित स. गुरइकबाल सिंह को वाइस चेयरपर्सन के तौर पर चुना गया। इस संबंधी जानकारी सचिव जिला परिषद हरजिन्दर सिंह जस्सल ने बताया कि बठिंडा जिला परिषद के चेयरपर्सन की सीट औरत वर्ग के लिए आरक्षित और वाइस चेयरपर्सन की सीट जनरल रखी गई है।
जिला परिषद बठिंडा के कुल 25 मैंबर हैं, जिनमें से एक मैंबर की मौत हो चुकी है। चुनाव के मौके कुल 23 सदस्यों की तरफ से भाग लिया गया जबकि एक मैंबर ग़ैर उपस्थित रहा। चुनाव के लिए पहले सर्वसम्मति बनाने का प्रस्ताव रखा लेकिन सदस्यों की आपसी सहमति न हुई तो वोटिंग करवानी पड़ी। चेयरपर्सन की चयन के लिए मनजीत कौर (भुच्चों कलां ) और सुखपाल कौर (बहमण दीवाना) के बीच मुकाबला था। वोटिंग दौरान मनजीत कौर को 12 वोटों और सुखपाल कौर को 11 वोटे पड़ीं। इस तरह मनजीत कौर 1 वोट अधिक प्राप्त करके चेयरपर्सन चुनी गई। इसी तरह वाइस चेयरपर्सन की सीट के लिए भी जब सदस्यों के बीच सहमति न हुई तो वोटिंग करवानी पड़ी। जिसमें गुरइक्कबाल सिंह (जय सिंह वाला) और परमजीत कौर (कुत्तीवाल कलाँ ) उम्मीदवारों के तौर पर सामने आए। वोटिंग दौरान गुरइकबाल सिंह को 13 वोटों और परमजीत कौर को 10 वोटों प्राप्त हुई। इस तरह गुरइक्कबाल सिंह 3 अधिक वोटों प्राप्त करके वायस चेयरपर्सन चुने गए।
गौरतलब है कि जिला परिषद के चेयरमैन व वाइस-चेयरमैन पद के लिए 6 माह के भीतर ही पुन: चुनाव की नौबत आ गई थी तथा इसका कारण माननीय पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 13 दिन पहले जारी आदेश में 9 जनवरी 2020 को चेयरमैन व वाइस-चेयरमैन की नियुक्तियों को रद्द करना रहा। हाईकोर्ट ने लोकल प्रशासन को इन दोनों ही पदों के लिए चुनावी प्रक्रिया को जल्द पूरा करवाने का निर्देश दिया था।

हाईकोर्ट के चुनाव रद्द करने के निर्देश के बाद गुटबाजी में उलझी कांग्रेस के लिए पुन इन चुनावों को करवाने की सिरदर्दी आ पड़ी जिसे पिछली बार सीएम द्वारा हस्तक्षेप करने के बावजूद मुश्किल निपटाया गया था। 9 जनवरी को हुए चुनाव में तेजा सिंह की धर्मपत्नी मंजीत कौर को चेयरमैन तथा गुरइकबाल चहल को वाइस-चेयरमैन नियुक्त किया गया था। कांग्रेस के ही एक अन्य नेता मनजीत सिंह ग्रुप द्वारा चुनाव प्रक्रिया सही नहीं होने पर रोष जताते हुए जोगिंदर सिंह व सुखपाल कौर द्वारा इस मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में केस दायर किया गया जहां 20 जुलाई को हाईकोर्ट ने चुनाव की पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया।
जिला परिषद चुनाव में कांग्रेसी की गुटबाजी खुलकर सामने आई जिसमें हर विस क्षेत्र के नेता ने अपने आदमी को ऊपर रखने को तरजीह दी। वहीं इन सीटों पर चयन को लेकर एरिया के दो मंत्रियों में भी पूरी जोर-आजमाइश हुई। जब इस मामले में सीएम अमरिंदर सिंह द्वारा भेजी गई सीनियर विधायकों की टीम से भी सहमति नहीं बनी तो इसके बाद सीएम हाउस से नामों को तय होने का मुद्दा जोर पकड़ गया। जिसमें रामपुरा के मंत्री के करीबी का नाम आगे आने के बाद इस मुद्दे पर दूसरे गुट ने सड़क पर प्रदर्शन भी किया, लेकिन फिर भी किसी तरह से चुनावी प्रक्रिया को अंजाम दे दिया गया।
जिला परिषद के 25 सदस्यों में से चेयरमैन व वाइस-चेयरमैन को चुनने के लिए सदस्य या तो मौखिक सहमति देते हैं, लेकिन अगर एक भी सदस्य वोटिंग की मांग करता है तो इसे करवाना जरूरी हो जाता है। वोटिंग सही तरीके से नहीं होने को लेकर ही हाईकोर्ट में सुखपाल कौर व जोगिंदर सिंह द्वारा चेयरमैन व वाइस-चेयरमैन पद की शिकायत दर्ज करवाई गई जिसमें हाईकोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया पर पाबंदी लगा इस मुद्दे पर शिकायतकर्ताओं को स्टे दे दिया था जिसके बाद चंद दिनों बाद ही दोनों ऑफिसों को बंद कर नेम प्लेट तक हटा दिए गए थे। फिलहाल नए सिरे से चुनाव संपन्न होने के बाद इस विवाद का यही पर समापन हो गया है।

 

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