बठिंडा शहर की हाट सीट वार्ड नंबर 48 में कड़े मुकाबले में आप के उम्मीदवार पदमजीत मेहता ने हासिल की जीत

इस वार्ड के कुल 4167 वोटों में से 2908 वोट पड़े। जिसमें से पदमजीत मेहता को 1672 वोट, आजाद उम्मीदवार बलविंदर बिंदर को 843 वोट, कांग्रेस के मक्खन ठेकेदार को 181 वोट और अकाली उम्मीदवार विजय कुमार को 92 वोट मिले।

बठिंडा। बठिडा शहर के वार्ड नंबर 48 के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पदमजीत मेहता ने जीत हासिल की है। सभी बूथों में पदमजीत ने बढ़त बनाकर रखी। शहर के नगर निगम क्षेत्र में एकमात्र हाट सीट में शुरू से ही कड़ा मुकाबला रहा। इसमें आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव सबसे चुनौतीपूर्वक रहा। इसमें आम आदमी पार्टी ने पदमजीत सिंह मेहता को वार्ड से अपना उम्मीदवार घोषित किया था जबकि इससे पहले विधायक जगरूप सिंह गिल ने बलविंदर सिंह बिंदर को उम्मीदवार बनाने पर सहमती जताई थी लेकिन अंतिम समय में आप के विधायक गिल की इच्छा से विपरित हाईकमान मे पदमजीत को उम्मीदवार घोषित कर दिया जिससे चुनाव के दौरान दोनों के बीच तनातनी का माहौल रहा।

इसमें चुनाव से एक दिन पहले विधायक गिल व आप उम्मीदवार पदमजीत के बीच तलखी भी हुई थी। इससे आप के वोट बटने की बात हो रही थी लेकिन रविवार को घोषित परिणाम ने इन कयासों को विराम लगा दिया व पदमजीत सिंह मेहत को विजयी घोषित किया गया। इससे पहले वार्ड में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न हुए जबकि चुनाव घोषणा से पहले संपन्न राउड में पदमजीत मेहता 284 वोटो से आगे चल रहे थे। बठिंडा जिले में पंजाब क्रिक्रेट एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत सिंह मेहता के बेटे पदमजीत मेहता की तरफ से आप की टिकट पर पार्षद के चुनाव लड़ने के कारण यह सीट काफी चर्चा में रही जबकि आप के विधायक जगरूप सिंह गिल की तरफ से अपने ही पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन नहीं करने के चलते हर कोई इस सीट के परिणाम को लेकर उत्सुक दिखाई दे रहा था। विधायक जगरूप गिल इस वार्ड में चार दशक तक पार्षद रहे हैं व वर्तमान में इसी वार्ड में उनका निवास स्थान भी है।

फिलहाल जगरूप गिल के पसंदीदा उम्मीदवार बलविंदर सिंह बिदर को य़हां से टिकट दिलवाना चाहते थे व बकायदा बिंदर को कांग्रेस से लाकर आप ज्वाइन करवाई थी लेकिन अंतिम समय में क्रिक्रेट एसोसिएशन पंजाब के प्रधान अमरजीत सिंह मेहता ने बाजी पलटते अपने बेटे पदम जीत मेहता को आप की टिकट दिलवा दी जिससे अमरजीत मेहता व जगरूप सिंह गिल के बीच तनातनी का माहौल रहा। फिलहाल अलग-अलग पार्टियों से कुल 7 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के पदमजीत सिंह मेहता और निर्दलीय उम्मीदवार बलविंदर सिंह बिंदर के बीच रहा। अकाली दल के विजय कुमार और कांग्रेस के मक्खन ठेकेदार भी चुनाव मैदान में उतरे थे। वार्ड में माहौल तनातनी का होने के चलते किसी भी तरह की अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से भारी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी। एसपी सिटी के नेतृत्व में कई डीएसपी और इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर समेत सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात किये गये थे। पुलिस की ओर से लगातार अनाउंसमेंट कर वार्ड के बाहर लोगों को यहां से जाने के लिए कहा जा रहा था। इसके अलावा जगह-जगह नाकेबंदी भी की गई थी ताकि कोई शरारती तत्व चुनाव प्रक्रिया में खलल न डाल सके। बड़ी बात यह है कि हलके के निवासी और बठिंडा शहरी हलके के विधायक जगरूप सिंह गिल भी अपनी पूरी टीम के साथ यहां चुनाव परिणाम घोषित होने तक डटे रहे। उन्होंने साफ तौर पर ऐलान किया कि वह अपने इलाके में शांति भंग नहीं होने देंगे। दूसरी ओर, इस चुनाव में ताल ठोक रहे मेहता परिवार ने अपने बेटे पद्मजीत मेहता के जरिए पहली बार प्रत्यक्ष राजनीति में कदम रखा था। 25 वर्षिय पदमजीत के विजयी होने की घोषणा के साथ ही पोलिंग बूथ के बाहर वर्करों मे जश्न मनाना शुरू कर दिया।

बठिंडा जिले के सबसे चर्चित माने जा रहे वार्ड नंबर 48 के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पद्मजीत सिंह मेहता ने जीत हासिल की है। इस वार्ड पर न केवल बठिंडा शहर के लोगों की बल्कि पूरे पंजाब के लोगों की नजर थी। इस वार्ड के कुल 4167 वोटों में से 2908 वोट पड़े। जिसमें से पदमजीत मेहता को 1672 वोट, आजाद उम्मीदवार बलविंदर बिंदर को 843 वोट, कांग्रेस के मक्खन ठेकेदार को 181 वोट और अकाली उम्मीदवार विजय कुमार को 92 वोट मिले। इस जीत के बाद पदमजीत मेहता ने मतदाताओं को धन्यवाद दिया और उनके भरोसे पर खरा उतरने का आश्वासन दिया। वही चुनाव में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से भारी सुरक्षा इंतजाम किये गये थे। इस चुनाव में दिलचस्पी का मुख्य कारण यह था कि पहले आम आदमी पार्टी ने बिंदर को टिकट देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अचानक रातोंरात यह टिकट पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरजीत मेहता के बेटे पद्मजीत मेहता को दे दिया गया।

जिसके बाद विधायक गिल नाराज हो गए, क्योंकि वही थे जो बिंदर को अकाली दल से लाए थे और उन्होंने ही उन्हें टिकट दिलाने का आश्वासन दिया था। जिससे वह इतने नाराज हुए कि आप विधायक होने के बावजूद उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार नहीं किया। यह चर्चा भी सुनने को मिली कि मतदान के दिन गड़बड़ी हो सकती है, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा दिखायी गयी सख्ती के कारण सभी कयास धरे रह गए।

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