बठिंडा, 5 फरवरी : नगर निगम बठिंडा में मेयर के चुनाव शांतिपूर्वक सपन्न हो गए। इसमें पंजाब क्रिक्रेट एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत मेहता के पार्षद बेटे पदमजीत मेहता ने जीत हासिल की है। पदमजीत मेहता को आम आदमी पार्टी के विधायक के विरोध के बावजूद पार्टी का समर्थन मिला हुआ था। फिलहाल नगर निगम बठिंडा में अब तक के सबसे कम 26 साल की उम्र का मेयर बना है। यही नहीं छोटी उम्र के साथ वह पहली बार राजनीतिक मैदान में उतरकर चुनाव जीते व मेयर चुनाव से पहले उनके समर्थन में मात्र एक पार्षद होने के बावजूद वह 33 का बड़ा आकड़ा हासिल करने में सफल रहे। वही सत्ताधारी दल के विधायक व पार्षदों के विरोध के बीच भी वह चुनाव जीतने वाले मेयर बने हैं।
चुनाव के दौरान कांग्रेस से टूटकर आए 16 पार्षदों ने गेम को बदलने का काम किया। वही भाजपा नेता मनप्रीत बादल के समर्थक 12 पार्षदों के साथ भाजपा का एक व अकाली दल के 4 पार्षदों ने भी पदमजीत मेहता के पक्ष मं् वोट डाला। वही कांग्रेस के उम्मीदवार बलजिंदर ठेकेदार को 15 वोट पड़े जिसमें आप के विधायक जगरूप सिंह गिल के समर्थित पार्षद भी शामिल है। वही बताया जा रहा है कि जगरूप गिल ने भी आप उम्मीदवार की बजाय कांग्रेसी उम्मीदवार का समर्थन किया था। चुनाव बैठक में कांग्रेस से जुड़े तीन पार्षद मौके पर गैरहाजिर रहे। नगर निगम में विधायक सहित 51 वोट है। चुनाव से पहले नगर निगम में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। बैठक में विधायक जगरूप गिल, कमिश्नर कम डीसी बठिंडा शौकत अहमद पारे विशेष तौर प हाजिर रहे व पूरी चुनाव प्रक्रिया को मात्र 20 मिनट में सफलतापूर्वक संपन्न करवा दिया। जीत के बाद नए मेयर पदमजीत मेहता ने कहा कि लोगों के साथ पार्षदों ने जिस विश्वास के साथ उनका समर्थन किया है वह उसे बरकरार रखेंगे। शहर की लंबे समय से लंबित चल रही समस्याओं को हल करवाना उनकी प्राथमिकता रहेगी वही शहर का विकास करवाने के लिए वह दिन रात एक करके काम करेंगे। वही पंजाब क्रिक्रेट एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत मेहता ने शहरवासियों के साथ पार्षदों का पदमजीत मेहता को मेयर बनाने के लिए दिए सहयोग के लिए आभार जताया। वही आप के प्रदेश प्रधान अमन अरोड़ा ने चुनाव के बाद प्रेसवार्ता को संबोधित करते कहा कि बठिंडा नगर निगम में उनक पार्टी का मेयर बना है जिसके लिए वह उन्हें समर्थन देने वाले सभी पार्षदों का आभार जताते हैं। वही इससे साबित होता है तो लोगों का आम आदमी पार्टी की नीतियों व सीएम भगवंत मान की सोच पर पूरा विश्वास है।
गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह से चल रही राजनीतिक हलचल के बाद सदन में बहुमत पर चल रही कांग्रेस चुनाव से दो दिन पहले ही बिखर चुकी थी। हालात यह थे कि जरनल हाउस में 28 पाषदों का समर्थन होने का दावा करने वाली कांग्रेस वोटिंग वाले दिन तक सिमिट कर 10 पर रह गई। इसमें बेशक 16 पार्षदों ने प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस को वोट डाले लेकिन तीन पार्षद ऐसे थे जो वोटिंग से गैरहाजिर रहकर कांग्रेस को नुकसन पहुंचाने का काम कर गए। इस तरह से माना जा रहा है कि कांग्रेस के 19 पार्षदों ने अंतिम समय में बगावत की व आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पदमजीत मेहता के पक्ष में खड़े हो गए। कांग्रेस की एकाएक टूट के कारण राजनीतिक माहिर भी आश्चर्यचकित रहे क्योंकि यही कांग्रेस साल 2021 में हुए नगर निगम के चुनाव के बाद 45 पार्षदों के साथ सदन में अजेय थी। देखते ही देखते सबसे पहले कांग्रेस साल 2022 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद पहली बार उस समय टूटी जब पूर्व वित्तमंत्री व कांग्रेसी नेता मनप्रीत सिंह बादल ने कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा ज्वाइंन कर ली।
शुरू में सभी पार्षद कांग्रेस के खेमे में थे लेकिन इसी बीच उन पर मनप्रीत समर्थक होने का ठप्पा लग गया। रहती कसर चुनाव के बाद करीब 18 पार्षदों की तरफ से मनप्रीत बादल के लंबी आवास में जाकर मिलने से पूरी हो गई। इसके बाद कांग्रेस हाईकमान में 18 में से आधा दर्जन पार्षदों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते छह साल के लिए निष्काशित कर दिया। इसके बाद डेढ़ दर्जन पार्षदों का एक नया गुट बन गया व कांग्रेस ने बागी पार्षदों में तत्कालीन मेयर रमन गोयल को भी पार्टी से निकाल दिया व सदन में अविश्वास प्रस्ताव लागकर उन्हें मेयर पद से मुक्त कर दिया। इस दौरान कोर्ट में दायिर याचिका का फैसला होते सवा साल का कार्यकाल निकल गया व अब जब नए मेयर का चुनाव करवाया गया तो कांग्रेस के रहते पार्षदों में भी अधिकतर बागी होकर आप उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाल गए।
डिप्टी मेयर के खिलाफ पास किया अविश्वास प्रस्ताव
पदमजीत मेहता के मेयर बनते ही सर्वसम्मति से पहला प्रस्ताव डिप्टी मेयर मास्टर हरमंदर सिंह को हटाने का डाला गया। इस प्रस्ताव में पदमजीत को वोट डालकर जीताने वाले सभी पार्षदों के हस्ताक्षर है व इसे डिप्टी कमिश्नर व कार्यकारी कमिश्नर शौकत अहमद पारे को सौंपकर उन्हें पद से मुक्त करने की मांग की गई है। वही अभी सीनियर डिप्टी मेयर अशोक कुमार को पद से हटाने संबंधी कोई फैसला व प्रस्ताव नहीं दिया गया है।