घबराएं नहीं: असम NRC की फाइनल लिस्ट जारी, लिस्ट में नाम नहीं होने पर ये हैं विकल्प

गृह मंत्रालय ने NRC की फाइनल लिस्ट जारी कर दी है जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों के नाम नहीं हैं. हालांकि, जिन लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं उनके पास 120 दिन का समय है. इतने समय में वह अपनी नागरिकता सिद्ध कर सकते हैं.

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  • नाम नहीं होने से लोग चिंतित, खाना-सोना हुआ दुश्वार पर सरकार की नई हिदायत से ही राहत

दिसपुर: गृह मंत्रालय ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में कुल 3,11,21004 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं. फाइनल लिस्ट में 1906657 लाख लोगों के नाम नहीं हैं. जिन लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं अब उन्हें फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल या एफटी के सामने काग़ज़ों के साथ पेश होना होगा, जिसके लिए उन्हें 120 दिन का समय दिया गया है. एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी हो जाने के बाद व्यक्ति की नागरिकता रहेगी या नहीं इसका निर्णय फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल ही करेगी. किसी का नाम एनआरसी की लिस्ट में है या नहीं यह कोई भी व्यक्ति एनआरसी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर सर्च कर सकते हैं.

NRC फाइनल लिस्ट में नाम नहीं होने पर ये है विकल्प

जिन लोगों के नाम NRC की फाइनल लिस्ट में नहीं हैं उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. उनके सामने अभी भी अपनी नागरिकता को सिद्ध करने का विकल्प है. ऐसे व्यक्ति जिनका नाम लिस्ट में नहीं है उन्हें फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल में काग़ज़ों के साथ पेश होना होगा. इसके लिए उन्हें 120 दिन का समय दिया गया है. जानकारी हो कि फ़ॉरनर्स ट्राइब्यूनल एक अर्द्ध सरकारी निकाय है जो इसकी जांच करता है कि कोई आदमी विदेशी अधिनियम, 1946, के तहत विदेशी तो नहीं है. फ़ॉरनर्स ट्राइब्यूनल उन लोगों को नोटिस भेजता है जो डी-वोटर्स हैं या असम पुलिस की बोर्डर विंग ने जिनके ख़िलाफ़ शिकायत की है. 1977 में असम में डी वोटर्स कैटेगरी शुरू की गई जिसमें उन लोगों के लिए वोटिंग राइट हैं जो पड़ताल के दौरान अपनी नागरिकता साबित करने में नाकाम रहे.

क्या है NRC

नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस (एनआरसी) एक दस्तावेज है जो इस बात की शिनाख्त करता है कि कौन व्यक्ति देश का वास्तविक नागरिक है और कौन देश में अवैध रूप से रह रहा हैं. अवैध नागरिकों की पहली शिनाख्त साल 1951 में पंडित नेहरू की सरकार द्वारा असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बारदोलोई को शांत करने के लिए की गई थी. बारदोलाई विभाजन के बाद बड़ी संख्या में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए बंगाली हिंदू शरणार्थियों को असम में बसाए जाने के खिलाफ थे. साल 1980 के दशक में वहां के कट्टर क्षेत्रीय समूहों द्वारा एनआरसी को अपडेट करने की लगातार मांग की जाती रही थी. असम आंदोलन को समाप्त करने के लिए राजीव गांधी सरकार ने 1985 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें 1971 के बाद आने वाले लोगों को एनआरसी में शामिल न करने पर सहमति व्यक्त की गई थी.

1अवैध प्रवासियों को राज्य से हटाने के लिए कांग्रेस की सरकार ने साल 2010 में एनआरसी को अपडेट करने की शुरुआत असम के दो जिलों से की. यह बारपेटा और कामरूप जिला था. हालांकि बारपेटा में हिंसक झड़प हुआ और यह प्रक्रिया ठप हो गई. पहली बार सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया में 2009 में शामिल हुआ और फिर 2014 में असम सरकार को एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया. इसके बाद साल 2015 में असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी का काम फिर से शुरू किया.
पहला ड्राफ्ट 30 जुलाई 2018 को हुआ था प्रकाशित
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने NRC का पहला ड्राफ्ट साल 2018 में 30 जुलाई को प्रकाशित किया था. इस पहले ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के नाम NRC लिस्ट में शामिल नहीं थे. अब सवाल उठा कि इन लोगों का भविष्य क्या होगा. इसके बाद फिर एक लिस्ट 2018 में ही 26 जून को प्रकाशित हुई. इस नए लिस्ट में तक़रीबन एक लाख नए नामों को सूची से बाहर किया गया. अब सूची से बाहर होने वाले लोगों की संख्या 41 लाख हो गई. अब कल यानी 31 अगस्त को जब NRC की फाइनल लिस्ट जारी होगी तो इन 41 लाख लोगों को अपनी नागरिकता के भविष्य पता चलेगा.

लिस्ट में नाम नहीं होने की आशंका के चलते लोगों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है. आपको बता दें कि 31 अगस्त को सुबह 10 बजे एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की जाएगी. इस लिस्ट से 41 लाख लोगों को बाहर किया जा सकता है. फिलहाल इन लोगों का भविष्य अधर में अटका हुआ है.

एनआरसी को लेकर चिंतित 55 वर्षीय अंजली दास ने पिछले तीन दिन से न तो ठीक से खाना खाया है और न ही अच्छे से नींद ली है. अंजली दास का कहना है कि पहले की दो लिस्ट में उनका और उनके परिवार के सदस्यों का नाम था, लेकिन फाइनल लिस्ट से उनके परिवार के सदस्यों का नाम हटा दिया गया है.

अंजली का कहना है कि हमारे पास सभी दस्तावेज हैं और पहले की दो लिस्ट में हमारा नाम भी था, लेकिन अब आखिरी लिस्ट से हमारे परिवार के सदस्यों का नाम अचानक हटा दिया गया है. हमको विदेशी कहा जा रहा है. यह कैसे संभव हो सकता है? हमारे पास अपने भारतीय होने की बात साबित करने के लिए सभी दस्तावेज हैं. मेरे पिता का नाम और पता सब कुछ यहीं का है. हम बेहद तनाव से गुजर रहे हैं.

क्लेरिकल एरर का शिकार हुए साधन दास

अंजली और उनका परिवार दशकों से असम में रह रहा है, लेकिन अब उनके पति साधन दास क्लेरिकल एरर के शिकार हो गए हैं. पहली दो लिस्ट में उनका नाम बदलकर साधना दास कर दिया गया और अब अचानक उनका नाम लिस्ट से हटा दिया. जब साधन दास का नाम गलत दर्ज किया गया, तो उन्होंने इसको सुधारने के लिए दो बार आवेदन भी किया, लेकिन सुधार नहीं किया गया. साधन दास एक किसान हैं और असम के मोरीगांव के बोरखल के निवासी हैं.

मां-बाप के साथ बेटे-बेटी भी चिंतित

साधन दास के बेटे सुनील दास और उनकी बेटी कमला दास भी एनआरसी की लिस्ट में नाम नहीं होने को लेकर बेहद चिंतित हैं. सुनील दास का कहना है कि एनआरसी लिस्ट में नाम नहीं होने की चिंता की वजह से न खाना अच्छा लगता है और न ही काम में मन लगता है. दिमाग ने काम करना भी बंद कर दिया है. उनका कहना है कि अगर एनआरसी लिस्ट में नाम नहीं आया, तो न जाने क्या होगा?

एनआरसी को लेकर कमला दास ने कहा, ‘हमने केस लड़ने और डिक्री हासिल करने में खूब पैसा खर्च किया. हमने अपनी सारी बचत खत्म कर दी. अब हम बेहद दुखी हैं. अगर एनआरसी की आखिरी लिस्ट में हमारा नाम नहीं रहता है, तो क्या होगा.’

मां-बाप का नाम शामिल, पर बच्चों का नाम गायब

ऐसे हालात सिर्फ असम के एक जिले में नहीं हैं, बल्कि पूरे राज्य में हैं. असम के नेली इलाके में कुछ परिवार की ऐसी कहानी है कि मां-बाप का नाम एनआरसी लिस्ट में हैं, लेकिन उनके बच्चों का नाम गायब है. नसीम उल नेसा ने कहा, ‘मेरा और मेरे पति का नाम एनआरसी लिस्ट में है, लेकिन मेरे सभी चार बच्चों का नाम एनआरसी लिस्ट से गायब है. अब क्या होगा, इसका कुछ पता नहीं है. क्या बच्चों को भी देश और स्कूल छोड़ने के लिए कहा जाएगा? हम इसको लेकर बेहद निराश भी हैं.’

हालांकि सरकार ने अगले 120 दिन में उन परिवारों को सभी संभव मदद देने का आश्वासन दिया है, जो मूल रूप से असम के निवासी हैं. इसके अलावा रियाजुद्दीन ने बताया, ‘मैं किसान हूं और साथ में मजदूरी करता हूं. पिछले कुछ महीनों में एनआरसी में नाम के लिए सब कुछ किया है. अब अगर मेरे बच्चों का नाम एनआरसी में नहीं है, तो हम कैसे यहां रह पाएंगे और बच्चों को बिना कैसे नागरिक कहलाएंगे. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है.’

असम NRC: आखिरी लिस्ट में होंगे जिनके नाम, उन्हें ही जारी किए जाएंगे आधार कार्ड

 

नई दिल्लीराष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम लिस्ट आज सुबह 10 बजे जारी की जाएगी. अधिकारियों ने कहा है कि जिन लोगों का नाम आज आने वाली आखिरी लिस्ट में होगा, उन्हें ही आधार कार्ड दिया जाएगा. एनआरसी अधिकारियों ने 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित मसौदा एनआरसी में जगह नहीं बना पाए ऐसे 36 लाख लोगों का बायोमीट्रिक डाटा लिया है, जिन्होंने भारतीय नागरिकता का दावा किया था. इस बायोमीट्रिक डाटा की वजह से आधार कार्ड बनाना संभव हो सकेगा.

 

एनआरसी में अंतिम रूप से अपना नाम नहीं जुड़वा पाने वाले लोग अगर कानूनी प्रक्रिया के पालन के बाद भी अपनी भारतीय नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाते हैं तो वे देश में कहीं से भी अपना आधार कार्ड नहीं बनवा सकेंगे क्योंकि उनके बायोमीट्रिक्स के आगे निशान बना होगा.

 

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “एनआरसी दावों की प्रक्रिया के दौरान लिये गए बायोमीट्रिक डाटा यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन लोगों ने अंतिम एनआरसी में जगह बना ली है वे आधार पाएं और जो अपनी भारतीय नागरिकता सिद्ध नहीं कर सके वे देश में कहीं इसे न बनवा पाएं.” बता दें कि लिस्ट  www.nrcassam.nic.in और assam.mygov.in पर जारी होगी. जब मसौदा एनआरसी का पिछले साल 30 जुलाई को प्रकाशन हुआ था, तब उसमें से 40.7 लाख लोगों को सूची से बाहर रखे जाने पर खासा विवाद हुआ था. मसौदा में 3.29 करोड़ आवेदकों में से से 2.9 करोड़ लोगों के ही नाम शामिल थे. जिन लोगों को सूची से बाहर रखा गया था, उनके अलावा पिछले महीने प्रकाशित एक सूची में एक लाख से अधिक लोगों के नाम बाहर रखे गए थे.

 

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