मानव सभ्यता के लिए खतरनाक चेतावनी / बढ़ते तापमान की वजह से सन 2100 तक पिघल जाएंगे दुनिया के आधे हैरिटेज ग्लेशियर

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर यानी आईयूसीएन के शोध में किया गया दावा हैरिटेज ग्लेशियर्स पर हुआ यह दुनिया का पहला शोध माना गया। शोध की अगुआई करने वाले वैज्ञानिक पीटर शैडी ने कहा, “इन ग्लेशियर को खोना किसी त्रासदी से कम नहीं होगा। इसका सीधा असर पेयजल के संसाधनों पर पड़ेगा। समुद्री जलस्तर में वृद्धि होगी और मौसम चक्र पर भी इसका असर साफतौर पर देखा जाएगा। अब दुनियाभर की सरकारों को चेत जाना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इन ग्लेशियरों का रहना बेहद जरूरी है। वैज्ञानिकों ने कहा- इन ग्लेशियरों को खोना किसी त्रासदी से कम नहीं होगा।

जेनेवा. वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को लेकर एक और चेतावनी जारी की गई है। एक शोध में कहा गया है कि अगर दुनिया का तापमान मौजूदा रफ्तार से बढ़ता रहा तो सन 2100 तक विश्व के आधे हैरिटेज ग्लेशियर पिघल जाएंगे। इससे पीने के पानी का संकट पैदा होगा, समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और मौसम चक्र में भी परिवर्तन हो सकता है। इस आपदा की चपेट में आकर हिमालय का खुम्भू ग्लेशियर भी खत्म हो सकता है।

तीन बड़े हैरिटेज ग्लेशियर पर खतरा ज्यादा

यह अध्ययन ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर’ यानी आईयूसीएन ने किया है। हैरिटेज ग्लेशियर्स को लेकर यह दुनिया का पहला शोध माना गया है। रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों के अनुसार, स्विट्जरलैंड के मशहूर ग्रोसर एल्चेस्टर और ग्रीनलैंड के जैकबशावन आईब्रेस भी खतरे के दायरे में आते हैं। अध्ययन के लिए ग्लोबल ग्लेशियर इन्वेंट्री डेटा के अलावा कंप्यूटर मॉडल की भी मदद ली गई। इनके जरिए वर्तमान स्थितियों का आकलन किया गया।

21 ग्लेशियर को बचाना मुश्किल

शोध पत्र में कहा गया है कि अगर तापमान वृद्धि और कार्बन उत्सर्जन मौजूदा दर से होता रहा तो सन 2100 तक 46 प्राकृतिक ग्लेशियरों में से 21 हैरिटेज खत्म हो जाएंगे। रिसर्च के मुताबिक, अगर उत्सर्जन कम भी होता है तो इनमें से आठ को बचाना मुश्किल होगा।

मानव सभ्यता के लिए खतरनाक होंगे परिणाम

शोध की अगुआई करने वाले वैज्ञानिक पीटर शैडी ने कहा, “इन ग्लेशियर को खोना किसी त्रासदी से कम नहीं होगा। इसका सीधा असर पेयजल के संसाधनों पर पड़ेगा। समुद्री जलस्तर में वृद्धि होगी और मौसम चक्र पर भी इसका असर साफतौर पर देखा जाएगा। अब दुनियाभर की सरकारों को चेत जाना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इन ग्लेशियरों का रहना बेहद जरूरी है।

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