यूएन / आखिर दुनिया ने बोली भारत की भाषा, मसूद अजहर वैश्विक आतंकी घोषित, चीन ने मसूद के मुद्दे पर पाक का साथ छोड़ा

मसूद अजहर ने पुलवामा, पठानकोट जैसे हमलों की साजिश रची थी, उसे कंधार प्लेन हाईजैक मामले में छोड़ा गया था चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों में से एक, वह भारत की कोशिशों में 3 साल से रोड़े अटका रहा था भारत ने कूटनीतिक कोशिशें तेज कीं, इसके बाद चीन ने हाल ही में कहा था कि मसूद के मामले में अच्छी प्रगति हुई है । संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया। एक्सपर्ट रहीस सिंह ने कहा- भारत के लिए बड़ी जीत तभी होगी, जब पाक मसूद के खिलाफ एक्शन लेगा चीन मामलों की जानकार नम्रता हसीजा ने बताया- चीन ने हर बार रोड़े अटकाए, लेकिन भारत ने भी मुद्दा नहीं छोड़ा भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसर सलमान हैदर ने कहा- चीन हर बार वीटो करता था, इस बार उसे अपनी गलती समझ आई।

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नई दिल्ली. जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर आखिरकार वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में बुधवार को इसका फैसला हुआ। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, “सभी देशों ने मिलकर यह फैसला लिया है।’

  • चीन ने मंगलवार को ही इसके संकेत दे दिए थे कि वह इस बार मसूद का नाम प्रतिबंधित सूची में शामिल करवाने की कोशिशों में रोड़ा नहीं बनेगा। हालांकि, इससे पहले चीन ने 4 बार भारत की कोशिशों को तकनीकी कारण बताकर रोका था। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पाक के बालाकोट में भारत की एयरस्ट्राइक के बाद मसूद अजहर को बहावलपुर में नजरबंद रखा गया था। उसे हाल में ही में इस्लामाबाद में किसी सुरक्षित जगह शिफ्ट किया गया है।

फ्रांस ने किया फैसले का स्वागत
फ्रांस की सरकार ने कहा- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसले का स्वागत है। हम लगातार मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए अपील कर रहे थे। फरवरी में हुए पुलवामा हमलेके लिए आतंकवादी संगठन का यह सरगना जिम्मेदार था। फ्रांस में 15 मार्च को ही मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

  • इसी साल ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को 21 देशों ने समर्थन दिया था। प्रस्ताव पेश करने के साथ ही फ्रांस ने अपने देश में मसूद की संपत्तियां जब्त करने का फैसला भी लिया था।

चीन ने इमरान को पहले ही दे दी थी फैसले की जानकारी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान हाल ही में चीन के दौरे पर थे। इस दौरान उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि इस मुलाकात के दौरान ही चीन ने इमरान को मसूद अजहर पर अपने फैसले की जानकारी दे दी थी। पुलवामा आतंकी हमले के बाद चीन पर कई देशों का दबाव था।

सुरक्षा परिषद ही फैसला करती है
किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद करती है। प्रस्ताव 1267 में उस व्यक्ति का नाम दर्ज करना होता है। सुरक्षा परिषद में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस स्थायी सदस्य हैं। इनके अलावा 10 अस्थाई सदस्य हैं। किसी को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सभी स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। इस सूची में नाम आने के बाद वह व्यक्ति वैश्विक आतंकी घोषित हो जाता है। दुनियाभर में उसकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। उसके यात्रा करने और उसे हथियार मुहैया कराने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
भारत में कई हमलों का जिम्मेदार है मसूद
मसूद अजहर भारत में कई आतंकी हमलों को साजिश रचने के साथ उन्हें अंजाम दे चुका है। इसी साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था। इसकी जिम्मेदारी भी मसूद के संगठन जैश ने ली थी। मसूद 2001 में संसद पर हुए हमले का भी दोषी है। इस दौरान नौ सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। इसके अलावा जनवरी 2016 में जैश के आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस और इसी साल सितंबर में उरी में सेना के हेडक्वॉर्टर पर हमला किया था।

कंधार विमान अपहरण के बाद मसूद को भारत ने छोड़ा था
1994 में मसूद अजहर पुर्तगाल के पासपोर्ट पर बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुआ था। इसके बाद वो कश्मीर पहुंचा। अनंतनाग से उसे फरवरी 1994 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, 1999 में कंधार विमान अपहरण के बाद यात्रियों की सलामती के ऐवज में मसूद अजहर को तत्कालीन भाजपा सरकार ने छोड़ दिया था।

अजहर के मुद्दे पर चीन चार बार रोड़े अटका, आखिर में भारत की बात मान गया

आतंकी मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन आखिरकार भारत की बात मान गया। उसने चार बार भारत की राह में रोड़े अटकाए थे। वह जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं होने दे रहा था। लेकिन भारत की कूटनीतिक कोशिशें कामयाब हुईं और चीन ने अपनी आपत्तियां हटा लीं। दैनिक भास्कर प्लस ऐप ने विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह, चीन मामलों की एक्सपर्ट और स्कॉलर नम्रता हसीजा और भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसर सलमान हैदर से बातचीत कर जाना कि चीन आखिर कैसे पाकिस्तान का साथ छोड़ने को राजी हो गया।

अमेरिका ने जिस प्रोजेक्ट को एनाकोंडा बताया, उस पर भारत का विरोध नहीं चाहता चीन
विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह बताते हैं कि चीन ने हाल ही में कहा था कि वह मसूद के मुद्दे पर भारत के साथ नेगोशिएट करना चाहता है। इस मसले पर भारत का साथ देने के पीछे चीन की यह मंशा हो सकती है कि भारत उसके बेल्ट रोड इनीशिएटिव (बीआरआई प्रोजेक्ट) का विरोध न करे। चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट को अमेरिका ने एनाकोंडा बताया था, जबकि यूरोपियन यूनियन भी इसका विरोध करता रहा है। भारत भी इस प्रोजेक्ट का शुरू से विरोध कर रहा है। हो सकता है कि चीन यह चाहता हो कि भारत अब कम से कम बीआरआई प्रोजेक्ट का विरोध न करे।

वे बताते हैं कि पाक को अब मसूद पर प्रतिबंध लगाना होगा और उसकी गतिविधियों को बंद करना होगा। अगर पाक ऐसा नहीं करता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। फिलहाल पाक ग्रे लिस्ट में है। पाक के आर्थिक हालात बहुत खराब हैं। उसका चालू खाता घाटा इतना है कि वह आगे व्यापार करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए पाक को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी।

भारत ने मुद्दा नहीं छोड़ा, एयरस्ट्राइक का भी असर पड़ा
चीन मामलों की जानकार और स्कॉलर नम्रता हसीजा मसूद कहती हैं कि चीन हर बार मसूद के मुद्दे पर रोड़े अटकाता रहा, लेकिन इस बार भारत ने मुद्दे को नहीं छोड़ा और कामयाब भी हुआ। इसके पीछे भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस और यूके का बहुत बड़ा हाथ है, क्योंकि तीनों ने संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया था। पुलवामा हमले के बाद चीन पर काफी दबाव बढ़ा था कि वह आतंकवाद पर दोहरा रवैया नहीं अपना सकता। चीन का पाक में ज्यादातर निवेश पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में है। पुलवामा हमले के बाद भारत ने जिस तरह से एयरस्ट्राइक की, इसका असर भी हुआ। क्योंकि भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ने से चीन को भी खतरा है और उसके जो प्रोजेक्ट पीओके में चल रहे हैं, उन पर असर पड़ सकता है।

चीन भारत के साथ आया, क्योंकि उसे अपनी गलती समझ आई
भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसर सलमान हैदर का कहना है कि भारत दुनिया को समझाने में कामयाब रहा है कि वह पाकिस्तान की धरती से चलने वाले आतंकवाद से कितना प्रभावित है। चीन ने हर बार मसूद के मुद्दे को वीटो के जरिए टालने की कोशिश की, लेकिन अब उसे अपनी गलती समझ आ गई। इसलिए उसने पाक का साथ छोड़कर भारत का साथ दिया। चीन के इस फैसले के बाद पाक को अपनी धरती से चल रहे आतंक को बंद करना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उस पर कई प्रतिबंध लग सकते हैं।

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