सुप्रीम कोर्ट बोला- राज्य सरकारें सस्ता इलाज देने में नाकाम:इससे प्राइवेट अस्पतालों को बढ़ावा मिला; केंद्र सरकार जरूरी गाइडलाइन बनाए

0 998,947

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा, ‘राज्य सरकारें किफायती चिकित्सा और बुनियादी ढांचा देने में नाकाम रही हैं। इससे प्राइवेट अस्पतालों को बढ़ावा मिल रहा है। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार को गाइडलाइन बनानी चाहिए।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी, जिसमें कहा गया था कि प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों और उनके परिवारों को अस्पताल की फार्मेसी से महंगी दवाएं और मेडिकल इक्विपमेंट खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। इसलिए ऐसे अस्पतालों पर नकेल कसी जाए। इसे रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया जाए।

जस्टिस सूर्यकांत और एनके सिंह की बेंच ने इस पर सुनवाई की। केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि मरीजों को अस्पताल की फार्मेसी से दवा खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह जरूरी है कि राज्य सरकारें अपने अस्पतालों में दवाएं और मेडिकल सेवाएं सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराएं ताकि मरीजों का शोषण न हो।

जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा- इसे कैसे नियंत्रित करें? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘हम याचिकाकर्ता की बात से सहमत हैं, लेकिन इसे कैसे नियंत्रित करें? कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि वे प्राइवेट अस्पतालों को कंट्रोल करें, जो मरीजों को अस्पताल की दुकान से दवाई खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। खासकर वे दवाइयां जो किसी और जगह सस्ते में मिल जाती हैं।’

कोर्ट ने केंद्र सरकार को गाइडलाइन बनाने को कहा, जिससे प्राइवेट अस्पताल आम लोगों का शोषण न कर सकें।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी राज्यों को नोटिस भेजा था। ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों ने जवाब दाखिल किए थे। दवाइयों की कीमतों के मुद्दे पर राज्यों ने कहा कि वे केंद्र सरकार के प्राइस कंट्रोल ऑर्डर पर निर्भर हैं। केंद्र सरकार ही तय करती है कि किस दवा की क्या कीमत होगी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.