सिख दंगा के एक और केस में सज्जन कुमार दोषी:18 फरवरी को सजा; 41 साल पहले दिल्ली में सिख बाप-बेटे की हत्या हुई थी

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सिख दंगा के एक और केस में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया। कोर्ट 18 फरवरी को सजा सुनाएगी।

इस मामले में 41 साल बाद फैसला आया है। यह केस 1984 सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार में 2 सिखों की हत्या से जुड़ा है। दिल्ली दंगों में सज्जन के खिलाफ 3 से ज्यादा केस चल रहे हैं। एक में वे बरी हो चुके हैं।

इससे पहले दिसंबर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उन्हें हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। फिलहाल सज्जन तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं।

सज्जन कुमार के खिलाफ दंगा, हत्या और डकैती के आरोप में IPC की धारा 147, 149, 148, 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436, 440 के तहत केस दर्ज किया गया था।

1984 में हत्या, 2021 में आरोप तय, 2025 में फैसला… सरस्वती विहार की कहानी

1 नवंबर 1984: सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या की गई थी। पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में सज्जन कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

16 दिसंबर 2021: पुलिस जांच को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सज्जन के खिलाफ आरोप तय किए थे। इस दौरान पीड़ित के वकील ने दलील दी थी, “वकील ने कहा था, “बड़ी भीड़ खतरनाक हथियार लेकर सरस्वती विहार में घुसी।

उन्होंने लूटपाट, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। वे सिखों की प्रॉपर्टीज पर हमला कर रहे थे। वे इंदिरा गांधी की हत्या का बदला ले रहे थे। भीड़ ने जसवंत के घर हमला किया, उसकी और बेटे की हत्या कर दी। लूटपाट के बाद घर में आग लगा दी।

12 फरवरी 2025: स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने फैसला सुनाया- इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सज्जन कुमार न केवल भीड़ में शामिल थे, बल्कि भीड़ की अगुआई भी कर रहे थे।

पहले तीन बार टल चुका है फैसला 31 जनवरी 2025 को हुई सुनवाई में राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार पर फैसला टाल दिया था। इससे पहले 8 जनवरी और 16 दिसंबर 2024 को भी फैसला टाला गया था। दोनों बार विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की कोर्ट में तिहाड़ में बंद सज्जन कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुआ था।

दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी। ट्रायल में सज्जन कुमार को दोषी माना गया था। इसके बाद उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।

1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख बाहुल्य इलाकों में दंगे हुए थे। इसमें हजारों लोग मारे गए थे।
1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख बाहुल्य इलाकों में दंगे हुए थे। इसमें हजारों लोग मारे गए थे।

सुल्तानपुरी दंगा केस में बरी, लेकिन 5 सिखों की हत्या मामले में दोषी

  • 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद दिल्ली में पांच सिखों की हत्या और गुरुद्वारा जला दिया गया था। इसी केस में सज्जन कुमार को दोषी पाया गया। उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2018 को सज्जन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
  • सितंबर 2023 को राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली के सुल्तानपुरी में 3 लोगों की हत्या मामले में सज्जन कुमार को बरी कर दिया था। दरअसल, सुल्तानपुरी इलाके में 1984 के सिख दंगों के दौरान 3 लोगों की हत्या हुई थी। दंगे में CBI की एक अहम गवाह चाम कौर ने आरोप लगाया था कि सज्जन कुमार भीड़ को भड़का रहे थे।

1984 सिख दंगा: कब-क्या हुआ…

  • 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की गई थी।
  • अगले दिन यानी 1 नवंबर को दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे।
  • PTI के मुताबिक, तब सिर्फ दिल्ली में ही करीब 2700 लोग मारे गए थे। देशभर में मरने वालों का आंकड़ा 3500 के करीब था।
  • मई, 2000 में दंगे की जांच के लिए जीटी नानावती कमीशन का गठन हुआ।
  • 24 अक्टूबर, 2005 को CBI ने नानावती कमीशन की सिफारिश पर केस दर्ज किया।
  • 1 फरवरी, 2010 को ट्रायल कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, बलवान खोकर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, किशन खोकर, महा सिंह और संतोष रानी को समन जारी किया।
  • 30 अप्रैल, 2013 को कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया।
  • इसके खिलाफ CBI ने 19 जुलाई, 2013 को हाईकोर्ट में अपील की। 22 जुलाई, 2013 को हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया।
  • 17 दिसंबर, 2018 को हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को पांच सिखों की हत्या की हत्या के मामले में दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
  • दंगों के 21 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था- जो कुछ भी हुआ, उससे उनका सिर शर्म से झुक जाता है।
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