क्या जगरूप सिंह गिल बनाएंगे अपने भांजे को मेयर? आप से चल रही नराजगी के चलते कांग्रेस के साथ मिलकर खेल सकते हैं खेला

-कांग्रेस किला बचाने तो आप बहुमत नहीं होने के बावजूद किले में सेधमारी के लिए मार रही हाथ-पैर ,आप समर्थित मेहता ग्रुप और कांग्रेस के बीच है कड़ा मुकाबला, जोड़तोड़ में जुटे सभी दलों के दिग्गज पर स्थिति स्पष्ट नहीं, खरीदपरोख्त को लेकर चर्चा जोरों पर पर पार्षदों ने कहा सिर्फ अफवाह नीचले स्तर पर किसी गुट नेे नहीं किया गया है अभी तक संपर्क , पैसे की नहीं दिल की आवाज सुनेंगे

बठिंडा, 2 फरवरी : नगर निगम बठिंडा में खाली पड़े मेयर के पद के लिए लोकल बाड़ी डिपार्टमेंट की तरफ से चुनाव करवाने की हिदायत के बाद अब राजनीतिक सर्गमियां तेज हो गई है। इसमें प्रमुख तौर पर नगर निगम में सत्ताधारी कांग्रेस को बाहर करने के लिए सबसे ज्यादा जोर आम आदमी पार्टी का लगा हुआ है। आप अब तक सभी निगमों में अपना मेयर बना चुकी है व राज्य में बड़ी निगमों में शामिल बठिंडा में सत्ता की चांबी अपने हाथ में लेने के लिए पूरी ताकत लगाना चाहती है। जमीनी हालात यह है कि आम आदमी पार्टी के पास 8 पार्षद है जबकि मेयर बनाने के लिए आकड़ा 26 के पार चाहिए। इसके बावजूद आप मेयर चुनाव में साम, दाम, दंड, भेदज् की रणनीति अपनाकर मेयर का चुनाव जीतना चाहती है।
किसी काम को करवाने के लिए प्रलोभन, जबरदस्ती, दबाव, या प्रभाव का इस्तेमाल पहले भी सत्ताधारी दल करते रहे हैं लेकिन इस बार चुनाव से पहले स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है कि किसके पाले में कितने पार्षद है जबकि पांच फरवरी को चुनाव के लिए जरनल हाउस की बैठक होने जा रही है।

दूसरी तरफ 50 पार्षदों वाले सदन में कांग्रेस 26 पार्षदों के साथ बहुमत के आकड़े को छूने का दाना कर रही है लेकिन अंदर खाते कांग्रेस में मेयर बनने के दावेदार अधिक होने के चलते चल रहे तूफान को लेकर स्थिति साफ नहीं है। कांग्रेस की चिंता इस मायने में भी बढ़ी हुई है कि उन्हें अपने पार्षदों के टूटना का डर है। यही कारण है कि बहुमत होने के बावजूद वह दूसरे गुटों से जुड़े पार्षदों से लगातार संपर्क कर रहे हैं। वही रविवार को देर सांय कांग्रेस खेमे के पार्षदों की बैठक में मेयर को लेकर रणनीति बनाई गई जिसमें अभी तक दो दावेदार सामने आए है जो मेयर का चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसमें कार्यकारी मेयर की जिम्मेवारी संभाल रही सीनियर डिप्टी मेयर फिलहाल इस रेस से बाहर है। वही एक चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि विधायक जगरूप सिंह गिल अपने भांजे को मेयर पद की रेस में शामिल कर सकते हैं व संभावना है कि इसमें कांग्रेस किसी तरह की टूट से बचने के लिए विधायक के भांजे का समर्थन करने के साथ उन्हें कांग्रेस में भी शामिल करवा सकती है। इससे विधायक जहां अपने विरोधी मेहता गुट को पटखनी देंगे वही आप में बार-बार नजरअंदाजी से बेरुखी का सामना करने के चलते कांग्रेस में वापसी की सियासी पारी भी शुरू कर सकते हैं। गिल चार दशक से अधिक समय तक कांग्रेस में रहे हैं व इस दौरान वह पूर्व नगर कौसिंल के प्रधान से लेकर चार दशक तक कांग्रेस की तरफ से पार्षद का चुनाव भी लड़कर जीतते रहे हैं।

 

कांग्रेस के समय में ही वह इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन भी रहे लेकिन पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल जब कांग्रेस में रहे तो जगरूप गिल लगातार नजरअंदाजी के चलते कांग्रेस छोड़ने को मजबूर हुए व आप में शामिल होकर विधायक का चुनाव लड़कर जीते। इस हालत में वह कांग्रेस के लिए अछूत नहीं है। दूसरी तरफ जगरूप गिल आप के लिए किसी तरह की लाबिग नहीं कर रहे हैं व चुप रहकर तेल की धार देख रहे हैं इससे आप हाईकमान इलाके में सक्रिय हो रही है। आम आदमी पार्टी के लिए मेयर की कुर्सी हासिल करना इस मायने में भी जरूरी है कि डेढ़ साल बाद बठिंडा नगर निगम के वर्तमान पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा व फिर से चुनाव करवाए जाने हैं। चुनाव से पहले आप अपने मेयर के माध्यम से विकास काम करवाकर चुनाव लड़ना चाहती है व बहुमत से मेयर बनाने की जुगत में हैं।

इसका फायदा उसे साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी मिलेगा। यही कारण है कि कांग्रेस के किले में सेधमारी के लिए हाईकमान भी पल-पल की खबर ले रहा है। इसमें बेशक शहरी क्षेत्र में आम आदमी पार्टी का विधायक है लेकिन वह आप की तरफ से दावेदारी जता रहे मेहता गुट के विरोध में दिखाई दे रहे हैं क्योंकि बठिंडा में पिछले दिनों नगर निगम के वार्ड नंबर 48 में हुए उपचुनाव में आप ने अपने विधायक जगरूप सिंह गिल को दरकिनार कर पंजाब क्रिक्रेट एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत सिंह मेहता के बेटे पद्मजीत मेहता को उम्मीदवार बना दिया। इसका उन्होंने सार्वजनिक मंच से विरोध भी किया था।

हालांकि विधायक गिल के विरोध के बावजूद पदमजीत मेहता ने भारी मतों से जीत हासिल की थी। अब वही पदमजीत मेहता आप की तरफ से मेयर पद की रेस में शामिल है। पद्मजीत मेहता स्वयं को मेयर का दावेदार मानने के साथ जीत का भी दावा कर रहे हैं लेकिन वर्तमान में उनके पास अभी एक पार्षद है तो विधायक के पास आधा दर्जन पार्षद होने की बात कही जा रही है। वही इन चुनावों में पूर्व वित्त मंत्री व भाजपा नेता मनप्रीत सिंह बादल के समर्थित गुट की भूमिका अहम रहने वाली है। इस गुट के पास 8 के करीब पार्षद होने का दावा किया जा रहा है। इस स्थिति में इन पार्षदों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस के साथ मेहता ग्रुप पूरा जोर लगा रहा है।

मनप्रीत समर्थित पार्षदों में अधिकतर वह है जिन्हें कांग्रेस ने पार्टी विरोधी कारगुजारी के चलते छह साल के लिए निष्काशित कर रखा है। ऐसे में उक्त पार्षद कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करेंगे यह संभावना अधिक नहीं दिखाई दे रही है। फिलहाल पूरे मामले में सभी की नजर विधायक जगरूप सिंह गिल की गतिविधियों पर टिकी है। जगरूप गिल अगर पार्टी हित में आप की तरफ से मेयर की दावेदारी जता रहे पदमजीत मेहता को समर्थन देते हैं व मनप्रीत बादल गुट भी उन्हें समर्थन दे देता है तो यह संख्या 16 से 18 के बीच होगी व निगम मेयर के लिए अगर सभी 50 पार्षद सदन में उपस्थित रहते हैं तो जीत के लिए 26 पार्षदों की जरूरत होगी जो मेहता गुट के पास अभी पूरी नहीं हो रही है।

दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि पांच फऱवरी को होने वाले चुनाव में कांग्रेस जहां अपने पार्षदों की टूट को रोकने के लिए लगातार बैठके कर रही है व प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग लगातार उनके संपर्क में है। वही दूसरे गुट के कई पार्षद भी उनके संपर्क में हैं। इसमें कांग्रेस अभी पूरी तरह से कांफिडेंस है कि चुनाव में उनका ही मेयर बनेगा।

वही दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि कांग्रेस बहुमत के बीच मेयर के लिए एक मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारेंगी। इसके लिए कार्यकारी मेयर का कामकाज संभाल रहे अशोक प्रधान दावेदार नहीं होंगे जबकि वह पहले से सीनियर डिप्टी मेयर है। वही सूत्रों का कहना है कि नगर निगम में हाल की घड़ी में आम आदमी पार्टी किसी तरह से प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं करता तो कांग्रेस बहुमत में दिखाई दे रही है वही अगर इस बात की संभावना कम दिखाई दे रही है व माना जा रहा है कि कांग्रेस व मनुप्रीत गुट के कुछ पार्षद सदन में गैरहाजिर रहकर खेल का पासा पलट सकते हैं।

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