हाईकोर्ट बोला-हम दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुला सकते:CAG रिपोर्ट रखने के लिए भाजपा ने अपील की थी, शराब नीति से घाटे का जिक्र

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दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा विधायकों की उस याचिका को खारिज किया, जिसमें दिल्ली विधानसभा में CAG की रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, ‘संविधान के तहत CAG की रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य है, लेकिन अदालतें विधानसभा की बैठक बुलाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।’

बेंच ने कहा- कोर्ट भाजपा विधायकों की याचिका स्वीकार करने का इच्छुक नहीं है। स्पीकर को सदन बुलाने का निर्देश नहीं दे सकते। हालांकि, अदालत ने कहा कि कैग रिपोर्ट पेश करने में दिल्ली सरकार ने बहुत ज्यादा देरी की।

BJP ने याचिका में दावा किया था कि आप सरकार ने स्पीकर को CAG रिपोर्ट भेजने में देरी की थी। इससे पहले 16 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला आज के लिए सुरक्षित रखा था।

हाईकोर्ट ने दिल्ली CM से कहा था- सरकार की ईमानदारी पर संदेह

  • भाजपा के 7 विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा था कि CAG ने 14 मामलों रिपोर्ट तैयार की है, लेकिन इसे AAP सरकार ने सदन में पेश नहीं किया। इस पर चर्चा होनी चाहिए।
  • 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए आतिशी सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि CAG रिपोर्ट पर जिस तरह से दिल्ली सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे इनकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है।
  • इस पर आतिशी सरकार ने कोर्ट में कहा था- विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने वाला है, इसलिए रिपोर्ट सदन में लाने का फायदा नहीं है। नए कार्यकाल में रिपोर्ट पेश करने को लेकर नए सिरे से सोचा जाएगा।
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, CAG की रिपोर्ट में शराब नीति का भी जिक्र है। इसमें बताया गया है कि AAP सरकार की शराब नीति के कारण 2026 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस हुआ है।

विधानसभा चुनाव से पहले लीक हुई CAG रिपोर्ट

सूत्रों के मुताबिक CAG रिपोर्ट में शराब घोटाले से भी जुड़ी जानकारी है। 11 जनवरी को CAG की एक रिपोर्ट लीक हुई थी, जिसे भाजपा ने दिखाया था। भाजपा नेताओं ने रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2026 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस हुआ है।

दिल्ली में 2021 में नई शराब नीति लागू की गई थी। इसमें लाइसेंस आवंटन को लेकर कई सवाल खड़े हुए। नीति वापस लेनी पड़ी। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। दोनों जेल भी गए। CM और डिप्टी CM पद छोड़ना पड़ा। दोनों फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

रिपोर्ट में दावा- फैसलों पर LG की मंजूरी तक नहीं ली गई

रिपोर्ट में बताया गया है कि डिप्टी चीफ मिनिस्टर जिस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की अगुआई कर रहे थे, उसने एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था। कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी थी और कई अहम फैसलों पर तब के उप-राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतों के बावजूद सभी को नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई थी। जिन्हें घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिए गए या रिन्यू कर दिए गए थे।

CAG रिपोर्ट में शराब नीति को लेकर क्या-क्या …

  • आप सरकार ने नई शराब नीति को रद्द करने के फैसले में न कैबिनेट की मंजूरी ली और न उपराज्यपाल से राय मांगी।
  • कोविड प्रतिबंधों के कारण जनवरी 2022 के लाइसेंस शुल्क के रूप में 144 करोड़ रुपए की छूट रिटेल लाइसेंस धारियों को कैबिनेट की मंजूरी लिए बिना दी गई।
  • जिन वार्ड में शराब खोलने की अनुमति नहीं थी। वहां भी शराब की दुकान के लाइसेंस बांटे गए। ये फैसला भी उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिया गया।
  • डिप्टी चीफ मिनिस्टर जिस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की अगुआई कर रहे थे, उसने एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था।
  • कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी थी और कई अहम फैसलों पर तब के उप-राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई थी।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतों के बावजूद सभी को नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई थी। जिन्हें घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिए गए या रिन्यू कर दिए गए थे।
  • 21 दिसंबर को LG ने केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी

    दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दे दी थी। ED ने 5 दिसंबर को एलजी से केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी थी।

    पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ ED ने इस साल मार्च में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। 21 मार्च को 4 घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को अरेस्ट किया गया था। केजरीवाल को इस केस में जमानत मिल गई थी, लेकिन ED ट्रायल शुरू नहीं कर पाई थी।

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