जम्मू-श्रीनगर रेलवे लाइन का ट्रायल रन पूरा:272 km लाइन पर 111 Km की सुरंगें; चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल

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जम्मू-कश्मीर में उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट के हिस्से कटरा-बडगाम रेलवे ट्रैक पर ट्रायल रन रविवार को पूरा हो गया। 18 कोच की ट्रायल ट्रेन सुबह 8 बजे कटरा रेलवे स्टेशन से कश्मीर की ओर रवाना हुई। ट्रायल की देखरेख कर रहे रेलवे अधिकारियों ने बताया कि यह USBRL का आखिरी टेस्ट रन है।

41 हजार करोड़ रुपए की लागत से बने USBRL प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 272 किमी. है। इसमें 111 किमी. का रास्ता सुरंग के भीतर है। 12.77 किमी. लंबी टी-49 सुरंग इस प्रोजेक्ट में सबसे लंबी है।

रियासी जिले में चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल भी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है। पुल की लंबाई 1315 मीटर, जबकि नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर है। इसे बनाने में करीब 20 साल का वक्त लगा, जबकि 1486 करोड़ रुपए की लागत आई है।

चिनाब ब्रिज रेलवे के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट रहा। इसके कंस्ट्रक्शन के लिए कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को एग्जीक्यूटिव एजेंसी और डिजाइन कंसल्टेंट बनाया गया था।
चिनाब ब्रिज रेलवे के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट रहा। इसके कंस्ट्रक्शन के लिए कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को एग्जीक्यूटिव एजेंसी और डिजाइन कंसल्टेंट बनाया गया था।

भारतीय रेलवे का पहला केबल पुल भी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा भारतीय रेलवे ने इस प्रोजेक्ट के जरिए एक और उपलब्धि हासिल की है। अंजी खड्ड पर बनाया गया पुल भारतीय रेलवे का पहला केबल-स्टेड पुल है। यह पुल नदी तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर बना है। 1086 फीट ऊंचा एक टावर इसे सहारा देने के लिए बनाया गया है, जो करीब 77 मंजिला इमारत के बराबर ऊंचा है।

यह ब्रिज अंजी नदी पर बना है जो रियासी जिले को कटरा से जोड़ता है। चिनाब ब्रिज से इसकी दूरी महज 7 किलोमीटर है। इस पुल की कुल लंबाई 725.5 मीटर है। इसमें से 472.25 मीटर का हिस्सा केबल्स पर टिका हुआ है।

अंजी-खड्ड एक केबल ब्रिज है। इस ब्रिज के बीच में एक ऊंचा टावर है जिससे दोनों तरफ की केबल्स जुड़ी हुई हैं।
अंजी-खड्ड एक केबल ब्रिज है। इस ब्रिज के बीच में एक ऊंचा टावर है जिससे दोनों तरफ की केबल्स जुड़ी हुई हैं।

जून, 2024 में हुआ था पहला ट्रायल रन जम्मू के रामबन में संगलदान और रियासी के बीच ट्रेन का पहला ट्रायल रन जून, 2024 में हुआ था। यह ट्रेन चिनाब ब्रिज से भी होकर गुजरी थी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसके सफल परीक्षण की जानकारी दी थी। चिनाब ब्रिज पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा है। एफिल टावर की ऊंचाई 330 मीटर है, जबकि 1.3 किमी लंबे इस ब्रिज को चिनाब नदी पर 359 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।

पहला ट्रायल रन इलेक्ट्रिक इंजन से किया गया था।
पहला ट्रायल रन इलेक्ट्रिक इंजन से किया गया था।

20 साल में बनकर तैयार हुआ चिनाब ब्रिज USBRL प्रोजेक्ट को 1994-95 में मंजूरी मिली थी। आजादी के 76 साल पूरे होने के बाद भी कश्मीर घाटी बर्फबारी के सीजन में देश के दूसरे हिस्सों से कट जाती है। अभी कश्मीर घाटी तक सिर्फ नेशनल हाईवे- 44 के जरिए जाया जा सकता है। बर्फबारी होने पर ये रास्ता भी बंद हो जाता है।

कश्मीर जाने के लिए जम्मूतवी स्टेशन पर उतरना पड़ता है। यहां से लोगों को सड़क के रास्ते करीब 350 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। जवाहर टनल होते हुए गुजरने वाले इस रास्ते पर 8 से 10 घंटे का समय लग जाता है।

भारत सरकार ने 2003 में सभी मौसम में कश्मीर घाटी को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने के लिए चिनाब ब्रिज बनाने का फैसला लिया था। इसे 2009 तक बनकर तैयार होना था, लेकिन यह 2024 में बन सका। चिनाब ब्रिज 40 किलो तक विस्फोटक और रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता तक का भूकंप झेल सकता है। इस ब्रिज की ऐज 120 साल है।

कश्मीर के टूरिज्म और एक्सपोर्ट को फायदा, सेना तक तेजी से हथियार पहुंचेंगे चिनाब रेलवे ब्रिज बनने के बाद जम्मू-कश्मीर उधमपुर के रास्ते दिल्ली से जुड़ गया है। रेलवे रूट खुलने से यहां के टूरिज्म सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा होगा। इसके अलावा चिनाब ब्रिज देखने के लिए भी टूरिस्ट आने लगे हैं।

डिफेंस एक्सपर्ट रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी बताते हैं, ‘चिनाब ब्रिज कनेक्ट होने के साथ ही दिल्ली की कश्मीर तक सीधी पहुंच हो जाएगी। इससे हमारी सामरिक और सैन्य क्षमताओं में जबरदस्त इजाफा होगा। कश्मीर में तैनात सेना के लिए आर्म्स, एम्यूनिशन, टैंक सीधे घाटी में पहुंच सकेंगे। बारामूला तक रेल कनेक्ट होने से बॉर्डर तक रसद की पहुंच आसान होगी।’

‘अभी कश्मीर घाटी में फोर्स के मूवमेंट में बहुत समय और एफर्ट लगता है। रेल कनेक्टिवटी से कश्मीर में मूवमेंट तेज होगा और आर्थिक रूप से भी यह फायदे का रूट होगा।’

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