अडाणी पर रिपोर्ट पेश करने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी बंद:फाउंडर बोले- जिन विचारों पर काम किया, उनके पूरे होते ही इसे बंद करना था

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अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च बंद होने जा रही है। बुधवार देर रात कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि कंपनी बंद करने का फैसला काफी बातचीत और सोच कर लिया है। हालांकि एंडरसन ने कंपनी बंद करने का कोई विशेष कारण नहीं बताया। हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत 2017 में हुई थी।

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्टों ने भारत के अडाणी ग्रुप और इकान इंटरप्राइजेज सहित कई कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाया था। अगस्त 2024 में हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है।

नाथन एंडरसन ने लिखा-

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जैसा कि मैंने पिछले साल के अंत से ही अपने परिवार, दोस्तों और अपनी टीम के साथ शेयर किया। मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का निर्णय लिया है। प्लानिंग ये थी कि हम जिन विचारों पर काम कर रहे थे, उनके पूरे होते ही इसे बंद कर दिया जाएगा। और हाल ही में जिन पोंजी मामलों को हमने पूरा किया है और नियामकों के साथ साझा कर रहे हैं, वह दिन आज ही है।

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नाथन एंडरसन ने नोट में लिखा…

​​​मैं यह सब खुशी से लिख रहा हूं। इसे बनाना मेरे जीवन का सपना रहा है। मुझे शुरू में नहीं पता था कि क्या कोई संतोषजनक रास्ता खोजना संभव होगा। यह कोई आसान ऑप्शन नहीं था। लेकिन मैं खतरे को लेकर अनुभवहीन था। मैग्नेट की तरह इसकी तरफ खिंचा चला गया।

तो, अब क्यों न भंग किया जाए? कोई खास बात नहीं है- कोई खास खतरा नहीं, कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं और कोई बड़ा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है। किसी ने एक बार मुझसे कहा था कि एक तय पॉइंट पर एक सफल करियर एक स्वार्थी कार्य बन जाता है। शुरुआत में मुझे लगा कि मुझे खुद को कुछ चीजें साबित करने की जरूरत है। अब मुझे आखिरकार खुद के साथ कुछ आराम मिला है, शायद मेरे जीवन में ये पहली बार है।

मैं अपने परिवार के साथ समय बिताने, अपने शौक पूरे करने और सफर करने के लिए उत्सुक हूं। मैंने उनके लिए पैसा कमाया है। मैं अपना पैसे इंडेक्स फंड और कम तनाव देने वाली चीजों में इन्वेस्ट करने की प्लानिंग कर रहा हूं। फिलहाल मैं इस पर कॉन्सन्ट्रेट कर रहा हूं कि मैं मेरी टीम के सभी लोग उस जगह पर पहुंचें, जहां वे आगे बढ़ना चाहते हैं।

मुझे उम्मीद है कि जब हम अपनी प्रोसेस को पूरी साझा कर लेंगे, तब कुछ सालों में मुझे किसी का मैसेज मिलेगा, जो इसे पढ़ेगा (शायद आप)। जो इसी जुनून को अपनाएगा, यह कला सीखेगा और तमाम बाधाओं के बावजूद किसी ऐसे विषय पर रोशनी डालने का भरोसा पाएगा, जिसे इसकी जरूरत है। यह मेरा दिन बना देगा, भले ही तब मैं संगीत सीखने, बगीचा लगाने या जो भी मैं आगे करने की योजना बनाऊं, उसमें व्यस्त रहूं।

मैं परिवार और दोस्तों से उन पलों के लिए माफी चाहता हूं जब मैंने आपको नजरअंदाज किया और मेरा ध्यान कहीं और चला गया। अब मैं आप सभी के साथ ज्यादा वक्त बिताने का इंतजार नहीं कर सकता हूं।

अंत में, मैं हमारे रीडर का आभार जताना चाहता हूं। सालों से आपके जोशीले संदेशों ने हमें ताकत दी है। और यह मुझे बार-बार याद दिलाता है कि दुनिया में अच्छाई भरी हुई है। इसके लिए आप सभी का धन्यवाद। मैं इससे अधिक की कभी उम्मीद नहीं कर सकता। यह सब शुभकामनाएं हैं।

 

साल 2024: SEBI चीफ पर अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर एंटिटीज में हिस्सेदारी का आरोप लगाया था अगस्त 2024 में हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था SEBI सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के पास अडाणी ग्रुप के जरिए पैसों की हेराफेरी स्कैंडल में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर एंटिटीज में हिस्सेदारी थी।

डॉक्यूमेंट्स का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने कहा था कि बुच और उनके पति धवल बुच के पास एक ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। जिसमें गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने काफी मात्रा में पैसा लगाया था। विनोद, अडाणी ग्रुप की कंपनियों के चेयरमैन हैं।

 

6 मई 1937 को ब्रिटेन के मैनचेस्टर शहर में हिंडनबर्ग नाम का एक जर्मन एयर स्पेसशिप उड़ान भरते समय हवा में ही क्रैश हो गया था। इस हादसे में 35 लोगों की मौत हुई थी।

जांच के बाद पता चला था कि इस विमान के हाइड्रोजन गुब्बारों में आग लगने की वजह से ये घटना घटी थी। इससे पहले भी हाइड्रोजन गुब्बारों में आग लगने की वजह से हादसे हुए थे। जांच रिपोर्ट में पता चला कि कंपनी ने नियमों का पालन किए बिना क्षमता से ज्यादा लोगों को इस विमान में बिठा दिया था।

नाथन एंडरसन का मानना था कि स्पेसशिप कंपनी पहले की घटनाओं से सीखकर इस हादसे को टाल सकती थी। 80 साल पहले हुई घटना ने नाथन एंडरसन के दिल और दिमाग पर गहरा असर छोड़ा था। इसीलिए उन्होंने 2017 में अपनी कंपनी का नाम ‘हिंडनबर्ग’ रखा था।

ये नाम रखने का मकसद सिर्फ एक था- हिंडनबर्ग की तर्ज पर शेयर मार्केट में लाभ कमाने के लिए हो रही गड़बड़ियों पर नजर रखकर उसकी पोल खोलना। ताकि शेयर मार्केट में घोटालों की वजह से होने वाले किसी क्रैश को रोका जा सके।

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