दिल्ली शराब नीति पर CAG रिपोर्ट- 2026 करोड़ का नुकसान:केजरीवाल सरकार ने फैसलों पर LG की मंजूरी नहीं ली, लाइसेंस में गड़बड़ी; नेताओं को घूस

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दिल्ली में शराब नीति को लेकर CAG (कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया) की रिपोर्ट लीक हुई है। इसमें सरकार को 2026 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस होने की बात कही गई। इंडिया टुडे ने रिपोर्ट की कॉपी के हवाले से बताया कि शराब नीति में काफी गड़बड़ियां थीं, जिनमें लाइसेंस देने में खामी भी शामिल है। इसके साथ ही आप लीडर्स को कथित तौर पर घूस के जरिए फायदा पहुंचाया गया।

दिल्ली में 2021 में नई शराब नीति लागू की गई थी। इसमें लाइसेंस आवंटन को लेकर कई सवाल खड़े हुए। नीति वापस लेनी पड़ी। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। दोनों जेल भी गए। फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में रखा जाएगा रिपोर्ट में बताया गया है कि डिप्टी चीफ मिनिस्टर जिस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की अगुआई कर रहे थे, उसने एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था। कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी थी और कई अहम फैसलों पर तब के उप-राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई थी।

इस CAG रिपोर्ट को अभी दिल्ली विधानसभा में रखा जाना है। रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतों के बावजूद सभी को नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई थी। जिन्हें घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिए गए या रिन्यू कर दिए गए थे।

 

21 दिसंबर को LG ने केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दे दी थी। ED ने 5 दिसंबर को एलजी से केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी थी।

पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ ED ने इस साल मार्च में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। 21 मार्च को 4 घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को अरेस्ट किया गया था। केजरीवाल को इस केस में जमानत मिल गई थी, लेकिन ED ट्रायल शुरू नहीं कर पाई थी।

केस पहले से, LG के अब अनुमति देने की वजह 4 पॉइंट में समझें…

  1. ED ने ट्रायल कोर्ट में केजरीवाल के खिलाफ 7वीं चार्जशीट दायर की थी। ट्रायल कोर्ट ने 9 जुलाई को चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कहा था- केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
  2. केजरीवाल ने नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट में ED की 7वीं चार्जशीट पर संज्ञान लेने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि ED ने जो आरोप लगाए हैं, उन आरोपों के समय वे पब्लिक सर्वेंट थे।
  3. दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। केस चलाने के लिए ED के पास आवश्यक मंजूरी नहीं थी। इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर एक्शन लिया।
  4. हाईकोर्ट से केजरीवाल की मांग खारिज होने के बाद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। जहां कोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि केस चलाने के लिए सरकार की अनुमति जरूरी है।
  5. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को फैसला सुनाते हुए कहा था कि पब्लिक सर्वेंट पर सरकार की अनुमति के बिना मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) की धाराओं के तहत केस नहीं चलाया जा सकता है। यह नियम CBI और स्टेट पुलिस पर भी लागू होगी। इसके बाद ED ने राज्यपाल से इजाजत मांगी।

शराब नीति केस- केजरीवाल 156 दिन जेल में बिता चुके केजरीवाल को ED ने पिछले साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया। 10 मई को 21 दिन के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए रिहा किया गया। ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी। 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से 13 सितंबर को उन्हें जमानत मिल गई थी। उन्होंने 156 दिन जेल में बिताए।

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