राजनीति:विपक्ष के पास पुराने मुद्दे, सत्ता पक्ष के सामने टिकना मुश्किल

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विपक्षी गठबंधन देशभर में रैलियों की तैयारी कर रहा है। इन रैलियों में महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को उठाया जाएगा। दूसरी तरफ़ सत्ता पक्ष संसद के विशेष सत्र पर फ़ोकस कर रहा है। इसका पूरा एजेण्डा तो अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन राज्यसभा बुलेटिन में चार विधेयक पेश किए जाने के साथ इस सत्र में पिछले 75 वर्षों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियाँ, अनुभव, यादों और सीख पर चर्चा होगी।

हालाँकि, एजेंडे में बदलाव भी हो सकता है लेकिन विधेयक पेश होना तो कम से कम निश्चित माना जा रहा है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया वाला बिल। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए चीफ़ जस्टिस, प्रधानमंत्री और विपक्ष का नेता मिलकर राष्ट्रपति से सिफ़ारिश करें।

राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा बिल पेश किया जाएगा। ये बिल राज्यसभा में पेश होने के बाद लोकसभा में रखा जाएगा।
राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा बिल पेश किया जाएगा। ये बिल राज्यसभा में पेश होने के बाद लोकसभा में रखा जाएगा।

माना जा रहा है कि सरकार विधेयक के ज़रिए इन तीन में से चीफ़ जस्टिस को हटाकर उनकी जगह प्रधानमंत्री द्वारा नामित किसी केंद्रीय मंत्री को रखने का प्रावधान करने जा रही है। ऐसा हुआ तो मुख्य चुनाव आयुक्त वही बन पाएगा जिसे सरकार चाहेगी। क्योंकि सत्ता की तरफ़ से दो सदस्य हो जाएँगे और विपक्ष का नेता चाहे जो कर ले, बहुमत से फ़ैसला हो ज़ाया करेगा।

ख़ैर विपक्षी गठबंधन की बुधवार को फिर एक मीटिंग हो गई। इसमें रैलियों की तारीख़ें ही घोषित की गईं हैं। सीटों के बँटवारे का मामला फिर टल गया है। जहां तक मुद्दों की बात है तो महंगाई, बेरोज़गारी जैसे मुद्दे कहने, उठाने में अच्छे लगते हैं लेकिन समय बदलने के साथ ये काफ़ी घिस गए हैं।

इसके जवाब में सत्ता पक्ष यानी भाजपा के पास करारा जवाब है। यह है- राम मंदिर और उसके लिए गाँव- गाँव में अलख जगाना। देशभर की संत समितियों ने फ़ैसला किया है कि क़रीब एक हज़ार संत नवंबर माह के पहले हफ़्ते से “हर मंदिर, राम मंदिर” और “संत चले गाँव की ओर” कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं।

NCP सुप्रीमो शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक हुई।
NCP सुप्रीमो शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक हुई।

घोषणा की गई है कि ये हज़ार संत देश के उन पाँच लाख गाँवों में जाएँगे जहां हिंदू आबादी की बहुतायत है। इसके अलावा दूसरा मुद्दा हमेशा की तरह खुद विपक्ष ने ही थाली में परोसकर भाजपा को दे दिया है। सनातन का। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने सनातन की तुलना कीड़े, मकोड़ों से करके विपक्षी गठबंधन के पैर पर भारी भरकम पत्थर पटक दिया है।

रही- सही कसर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के बेटे ने पूरी कर दी। खडगे के बेटे ने उदयनिधि के बयान का न सिर्फ़ समर्थन किया बल्कि उनसे भी आगे जाकर सनातन को बुरा- भला कहा। भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। उसने कहना शुरू कर दिया है कि विपक्षी गठबंधन दरअसल, हिंदू विरोधी गठबंधन है।

हालाँकि, ममता बनर्जी सहित विपक्ष के तमाम नेता सनातन वाले बयान पर सफ़ाई देते फिर रहे हैं, लेकिन अब तो भाजपा इस मुद्दे को ले उड़ी है। कोई सफ़ाई काम आने वाली नहीं है।

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