मणिपुर जल रहा है। महीनों से। हिंसा रोकने के उपाय ज़्यादा दिखाई नहीं दे रहे हैं। राजनीति सिर चढ़कर बोल रही है। शुक्रवार को यहाँ एक अजीब वाक़या हुआ। गुरुवार रात मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा- कि वे शुक्रवार को राज्यपाल से मिलने राजभवन जाएँगे। उनके राजभवन जाने के वक्त सैकड़ों की तादाद में महिलाएँ रास्ते पर आ गईं और बीरेन सिंह के इस्तीफ़े का विरोध करने लगीं।
आश्चर्यजनक बात यह है कि इन महिलाओं ने बीरेन सिंह के इस्तीफ़े की कॉपी भी प्रदर्शन के दौरान फाड़ दी। वे कह रही थीं कि बीरेन सिंह इस्तीफ़ा मत दो, हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करो। ख़ैर, केंद्र और राज्य सरकार को हिंसा रोकने के प्रयास करते ढाई महीने से ज़्यादा हो गए लेकिन हिंसा रुक नहीं पा रही है।
झगड़ा आख़िर क्या है, यहाँ यह समझना ज़रूरी है। दरअसल, मणिपुर में तीन प्रमुख समुदाय हैं। मैतेई, नगा और कुकी। नगा और कुकी जनजाति के तहत आते हैं और ईसाई धर्म को मानते हैं। मैतेई वैष्णव हिंदू हैं। आबादी के हिसाब से मैतेई की जनसंख्या पचास प्रतिशत है लेकिन वे राज्य के केवल दस प्रतिशत हिस्से में रहते हैं। नगा और कुकी की आबादी का प्रतिशत 34 है लेकिन वे राज्य की नब्बे प्रतिशत भूमि पर रहते हैं।
Women supporting Manipur CM Biren Singh tear his resignation letter, CM says will not resign at this juncture
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— ANI Digital (@ani_digital) June 30, 2023
मैतेई का कहना है कि हमारे राजा ने कभी इन कुकी को म्यांमार से लड़ने के लिए भाड़े पर बुलाया था, लेकिन ये यहाँ क़ब्ज़ा जमाकर बैठ गए। कुकी का कहना है, यहाँ की ज़मीन, यहाँ के पहाड़ हमारे देवता हैं। हम इन्हें छोड़ नहीं सकते। कुकी का मानना है कि मैतेई पैसे वाले हैं। संपन्न हैं। अगर इन्हें आदिवासी घोषित कर दिया तो ये हमारी ज़मीन ख़रीद – ख़रीदकर हमें ही बेघर कर देंगे।
इसके उलट कुकी का कहना है कि हम 1949 में मणिपुर के भारत में शामिल होने के वक्त आदिवासी ही थे। कहा जाता है कि यहाँ के मैतेई राजा वैष्णव हो गए थे और बाद में उन्हीं ने अपनी प्रजा को भी वैष्णव बनाया था।
कुल मिलाकर झगड़ा अस्तित्व, अस्मिता और ज़मीन का है। बातचीत का कोई तरीक़ा काम नहीं आ रहा है। शांति कहीं खो गई है। कोई किसी की सुनने को तैयार नहीं है। चूँकि पूरा का पूरा समाज ही आंदोलित है, इसलिए किसी तरह की सख़्ती भी कारगर साबित नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में ज़्यादा सख़्ती की भी नहीं जा सकती।
मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा के बीच शुक्रवार सुबह से खबरें आ रही थीं कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह कुर्सी छोड़ने वाले हैं। वे दोपहर 3 बजे राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे।
हालांकि, अटकलों के बीच सैकड़ों महिलाएं इंफाल में राजभवन के सामने पहुंचीं। महिलाओं ने बीरेन सिंह से इस्तीफा ना देने और हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेंने की मांग की।
उधर, मुख्यमंत्री ने शाम 4 बजकर 1 मिनट पर ट्विटर पर लिखा- इस मोड़ पर तो मैं इस्तीफा नहीं देने वाला हूं। यानी बीरेन सिंह ने साफ कर दिया कि वे मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ रहे।
एन बीरेन सिंह का इस्तीफा, जो कटे-फटे हाल में वायरल हो रहा है
समर्थकों को देखकर वापस लौटे CM
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ मंत्री ने दावा किया कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह आज इस्तीफा देने वाले थे, लेकिन जनता के दबाव में उन्होंने अपना मन बदल लिया। बीरेन सिंह गवर्नर हाउस के लिए निकल रहे थे, इसी दौरान अपने घर के बाहर समर्थकों के प्रदर्शन को देखने के बाद वे वापस लौट गए।
बीरेन सिंह के घर के बाहर सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने ह्यूमन चेन बनाया और कहा कि वे नहीं चाहती थीं कि उनके CM इस्तीफा दें। उनके इस्तीफे की एक कॉपी भी तब फाड़ दी गई, जब दो मंत्री इसे लेकर CM हाउस के बाहर आए और उसे प्रदर्शन कर रही महिलाओं को सौंपा।
बीरेन सिंह के घर के बाहर और राजभवन पर समर्थकों की भीड़
इससे पहले मणिपुर के स्थानीय लोगों ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा था कि हम नहीं चाहते कि CM इस्तीफा दें, उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए। वह हमारे लिए बहुत काम कर रहे हैं। हम CM को समर्थन दे रहे हैं। हम 2 महीने से उथल-पुथल की स्थिति में हैं।
लोगों ने कहा कि हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब भारत सरकार और मणिपुर सरकार इस संघर्ष को लोकतांत्रिक तरीके से हल करेगी। ऐसी स्थिति में अगर मणिपुर के CM इस्तीफा दे देते हैं, तो लोग यहां कैसे रहेंगे। हमारा नेतृत्व कौन करेगा।
मणिपुर में गुरुवार को हुई गोलीबारी में 3 लोगों की जान चली गई। हिंसा की 2 घटनाओं में से एक गुरुवार सुबह 5:30 बजे कांगपोकपी जिले में हुई। यहां हथियार बंद लोगों ने गोलीबारी की। इस घटना में 2 लोगों की जान गई थी।
लोगों ने शवों को लेकर CM हाउस तक जुलूस निकालने की कोशिश की। पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया था। इसके अलावा, गुरुवार शाम को ही हिंसा की जांच कर रहे एक पुलिसकर्मी की भी गोली लगने से मौत हो गई थी।
5 जुलाई तक बढ़ा इंटरनेट बैन
मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। हिंसा में अब तक 131 से ज्यदा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 419 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। 6 हजार FIR हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। हिंसा को देखते हुए इंटरनेट पर बैन 5 जुलाई तक बढ़ा दी गई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं।
राहुल गांधी बोले- मणिपुर को शांति की जरूरत
कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिन का दौरा पूरा होने पर दिल्ली लौट गए। राहुल ने शुक्रवार को मोइरांग रिलीफ कैंप में हिंसा प्रभावित से मुलाकात की। फिर उन्होंने कहा- मणिपुर को शांति की जरूरत है। मैं चाहता हूं कि यहां शांति बहाल हो। मैंने कुछ राहत शिविरों का दौरा किया, इन राहत शिविरों में कमियां हैं, सरकार को इसके लिए काम करना चाहिए।
गुरुवार को राहुल ने चूराचांदपुर में रिलीफ कैंप में पीड़ितों से मुलाकात की थी। हालांकि, चूराचांदपुर पहुंचने से पहले राहुल का काफिला बिष्णुपुर में रोका गया था। पुलिस ने कहा था कि हिंसा की आशंका के चलते काफिला रोका गया था। इसके बाद राहुल हेलिकॉप्टर से चूराचांदपुर पहुंचे थे।
यहां उन्होंने कहा था- मैं मणिपुर के अपने सभी भाई-बहनों को सुनने आया हूं। सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है।
Social Media…..
While all over the media, the women of #manipur have been vilified and misrepresented by Kukis, the fact remains that they only want to go #home. Their homes in Kuki majority districts, where they lived for centuries, were burned down by #kuki mobs. Not a single Meitei house or… pic.twitter.com/gDyEmtUInm
— Billie Guarino (@billieguarino) June 30, 2023