आज UN हेडक्वार्टर में योग करेंगे PM मोदी:177 देशों ने योग को अंतरराष्ट्रीय बनाया; क्या ये चीन की पांडा डिप्लोमेसी का जवाब है

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‘भारत कभी सांप-सपेरों का देश माना जाता था, लेकिन आईटी सेक्टर ने देश की पुरानी पहचान को बदल दिया। अब पूरे विश्व में पहुंचने के लिए, पूरी दुनिया को अपना बनाने के लिए सबसे बेहतर रास्ता योग है। काश ऐसा होता कि विश्व में भारत की पहचान बनाने के लिए योग को एक रास्ता बना लिया गया होता।’

नरेंद्र मोदी ने ये बात 28 मई 2013 को कही थी, तब वो प्रधानमंत्री नहीं थे। BJP ने उन्हें 2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। 12 महीने बाद मई 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। उनके प्रधानमंत्री बनने के करीब 7 महीने बाद यूनाइटेड नेशन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पास हुआ।

पाकिस्तान के विरोध के बावजूद भारत की योग डिप्लोमेसी पर UN में लगी थी मुहर
27 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार यूनाइटेड नेशन्स में हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। फोर्ब्स के मुताबिक मोदी के इसी भाषण से जाहिर हो गया था कि भारत अब खुलकर योग को डिप्लोमेसी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।

11 दिसंबर 2014 को यूनाइटेड नेशन में भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पेश किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। पाकिस्तान नहीं चाहता था कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पास हो। हालांकि इस प्रस्ताव को पहले से ही यूनाइटेड नेशन के करीब 177 देशों का समर्थन मिला हुआ था।

पाकिस्तान के नहीं चाहने के बावजूद मुस्लिम देशों के संगठन OIC के 56 देशों में से 48 ने भारत का साथ दिया। इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव पर चीन ने भी पाकिस्तान की बजाय भारत का साथ दिया।

इस तरह बिना वोट कराए भारत का यह प्रस्ताव यूनाइटेड नेशन में सर्वसम्मति से पास हो गया। भारत ने योग डिप्लोमेसी से पाकिस्तान को तब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अकेला कर दिया था।

वहीं, 2018 में भारत और चीन की सेना के बीच डोकलाम विवाद हुआ। इसके बावजूद साल भर बाद 21 जून 2019 को भारत और चीन के सैनिकों ने गुवाहाटी में एक साथ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया था। तब योग डिप्लोमेसी के जरिए दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव कम करने की कोशिश की गई थी।

तस्वीर 2014 की है, जब PM नरेंद्र मोदी ने UN में पहला भाषण दिया था और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव रखा था।
तस्वीर 2014 की है, जब PM नरेंद्र मोदी ने UN में पहला भाषण दिया था और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव रखा था।

राजीव गांधी की कल्चरल डिप्लोमेसी को पीएम मोदी ने योग से आगे बढ़ाया
साल 1985 की बात है। दुनिया में भारत को नई पहचान देने के लिए राजीव गांधी ने अमेरिका में ‘फेस्टिवल ऑफ इंडिया’ के नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की। इसका मकसद ये था कि भारत के अलग-अलग कल्चर और त्योहारों के बारे में दुनिया को पता चले।

जून 1985 में इसी योजना के तहत फ्रांस की राजधानी पेरिस में राजीव गांधी ने एक भव्य प्रोग्राम कराया। इसमें पतंग उड़ाने के कार्यक्रम से लेकर भारतीय फिल्में दिखाने और खाने तक को शामिल किया गया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें पेरिस के 2 लाख लोग शामिल हुए थे। राजीव गांधी ने कहा था- पेरिस में सबकुछ है, पर आज हम यहां पूरे भारत को लेकर आए हैं।

विदेश मामलों के एक्सपर्ट्स ने राजीव के इस प्रयास को तब भारत की कल्चरल डिप्लोमेसी बताया था। करीब 29 साल बाद एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में भारत को नई पहचान देने के लिए योग को कल्चरल डिप्लोमेसी के तौर पर इस्तेमाल किया। 2022 में दुनिया के 192 देशों ने योग दिवस को सेलिब्रेट कर इस डिप्लोमेसी की सफलता पर मुहर लगा दी।

तस्वीर 1985 की है, जब अमेरिका की संसद कैपिटल हिल के सामने फेस्टिवल ऑफ इंडिया के तहत रथ यात्रा निकाली गई थी। इसे भारत की कल्चरल डिप्लोमेसी कहा गया था।
तस्वीर 1985 की है, जब अमेरिका की संसद कैपिटल हिल के सामने फेस्टिवल ऑफ इंडिया के तहत रथ यात्रा निकाली गई थी। इसे भारत की कल्चरल डिप्लोमेसी कहा गया था।

क्या चीन की पांडा डिप्लोमेसी का जवाब है भारत की योग डिप्लोमेसी
साल 1936 में जापान से जंग लड़ने में मदद करने पर चीन की फर्स्ट लेडी सूंग मे-लिंग ने अमेरिका को दो पांडा गिफ्ट किए थे। हालांकि इससे पहले भी चीन ने दूसरे देशों में पांडा भेजे थे, लेकिन 1936 में पहली बार ऐसा हुआ था कि चीन ने किसी देश को आधिकारिक तौर पर तोहफे में पांडा दिए हों। इसे चीन में पांडा डिप्लोमेसी की शुरुआत के तौर पर देखा जाता है।

पांडा गिफ्ट करने की डिप्लोमेसी 1984 तक जारी रही। कई ऐसे मौके आए जब चीन ने किसी देश से नजदीकियां बढ़ाने के लिए उसे पांडा गिफ्ट किया। 1957 में सोवियत रूस के हेड क्लिमेंट वोर्शिलोव चीन गए। इस दौरान चीन ने उन्हें पिंग-पिंग और कीकी नाम के दो पांडा गिफ्ट किए थे। हालांकि कुछ ही समय बाद रूस ने एक मेल पांडा के बदले फीमेल पांडा देने की मांग की ताकि वो उनकी आबादी को रूस में बढ़ा सके।

तस्वीर चीन की तरफ से अमेरिका को दिए पांडा की है। जो उसकी डिप्लोमेसी का एक हिस्सा है।
तस्वीर चीन की तरफ से अमेरिका को दिए पांडा की है। जो उसकी डिप्लोमेसी का एक हिस्सा है।

हालांकि 1984 में चीन ने पांडा की कम होती आबादी के चलते इन्हें गिफ्ट में देना बंद कर दिया। शी जिनपिंग ने पांडा डिप्लोमेसी को फिर जिंदा किया है। पिछले साल फीफा वर्ल्ड कप से पहले चीन ने कतर को 2 पांडा गिफ्ट किए। इसकी वजह वर्ल्ड कप के लिए चीन की कंपनियों को मिले कॉन्ट्रैक्ट माने जाते हैं।

भारत की योग डिप्लोमेसी भी कुछ इसी तरह से कल्चर के जरिए दुनिया से जुड़ने की कोशिश है। दुनिया के करीब 180 देशों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित होते हैं। 2003 से न्यूयॉर्क का टाइम्स स्क्वायर अलायंस 21 जून को योग दिवस पर कार्यक्रम करता रहा है जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। ऐसे में योग भारत के लिए उसी तरह से सॉफ्ट पावर के तौर पर काम करता है जैसे पांडा चीन के लिए। सॉफ्ट पावर के जरिए कोई देश किसी दूसरे देश को हथियार और दबदबे की बजाय अपनी संस्कृति के बल पर साथ लाता है।

वो किस्सा जब पुतिन ने पूछा- क्या मोदी योग करते हैं…
जून 2015 की बात है, जब भारत UN में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पास करवा चुका था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सेंट पीटर्सबर्ग में हो रहे इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम में हिस्सा ले रहे थे। तभी उनसे एक पत्रकार ने योग को प्रमोट करने के लिए भारत के आयुष मंत्रालय बनाने के बारे में सवाल किया, तो पुतिन ने मुस्कुराते हुए पूछा- कोई ऐसा क्यों करेगा, क्या पीएम मोदी योग करते हैं? हालांकि पुतिन ने बाद में कहा कि मोदी एक अच्छे इंसान हैं और उनके करीबी दोस्त हैं।

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