मनप्रीत बादल के भाजपा में शामिल होने के बाद बठिंडा की राजनीति में मची हलचल -भाजपा जिला प्रधान सरुपचंद सिंगला ने कहा मनप्रीत के खिलाफ दी विजिलेंस शिकायत नहीं लेगें वापिस
-वही नगर निगम में कांग्रेस समर्थित मनप्रीत खेमे के पार्षदों के बीच भी शुरू हुई हलचल शुरू
बठिंडा. पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री पंजाब और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनप्रीत सिंह बादल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को बुधवार की सुबह ही इस्तीफा दे दिया था वही दोपहर बाद उन्होंने दिल्ली में भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर दी। भारत जोड़ो यात्रा के बीच पंजाब में कांग्रेस को झटका लगा है। मनप्रीत सिंह बादल पूर्व में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान और फिर कांग्रेस शासन काल में भी वित्त मंत्री रह चुके हैं। उनके कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल होने की घोषणा ने बठिंडा के राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा कर दी है। हाल ही में अकाली दल को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक व अग्रवाल समुदाय के बड़े नेता सरूपचंद सिंगला ने बेशक मनप्रीत सिंह बादल को भाजपा में शामिल करने के हाईकमान के फैसले को सही ठहराया लेकिन साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि मनप्रीत बादल के खिलाफ उन्होंने जो शिकायते विजिलेंस विभाग के पास की है उसे वही वापिस नहीं लेंगे क्योंकि यह जनहित का मामला है व लोगों के साथ वह किसी तरह की गद्दारी नहीं कर सकते हैं। सरूपचंद सिंगला इससे पहले अकाली दल में रहते मनप्रीत सिंह बादल के खिलाफ दो विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं वही दोनों को राजनीतिक गलियारे में एक दूसरे का अब तक चिर विरोधी माना जाता था लेकिन अब राजनीतिक परिवार एक होने के बाद उनकी रणनीति क्या रहेगी यह तो आने वाले समय की राजनीतिक गतिविधियों से ही पता चल सकेगा। साल 2022 के विधानसभा चुनावों में अकाली दल के साथ सरुपचंद सिंगला की नाराजगी का बड़ा कारण भी मनप्रीत सिंह बादल रहे थे। इस दौरान सरुपचंद सिंगला ने आरोप लगाया था कि बादल परिवार(सुखबीर सिंह बादल व अकाली दल) ने अपने उम्मीदवार(सरुपचंद सिंगला) को पराजित करने के लिए काम किया जबकि बादल परिवार कांग्रेस के उम्मीदवार मनप्रीत सिंह को विजयी बनाने के लिए मैदान में समर्थकों के साथ डटे थे। इस बाबत उन्होंने पुख्ता सबूत भी पेश किए थे। इसके बाद अकाली हाईकमान की तरफ से सरुपचंद सिंगला की तरफ से लगाए आरोपो पर किसी तरह की प्रतिक्रिया तक नहीं दी गई जिससे स्पष्ट हो गया कि मामले में कुछ तो काला है। इसके बाद भाजपा में शामिल हुए सरुपचंद सिंगला को भाजपा के जिला शहरी प्रधान की बड़ी जिम्मेवारी दी गई जिसमें हाल ही में उनके ताजपोशी समागम में जिला भाजपा के साथ प्रदेश हाईकमान पहुंची थी व सरुपचंद सिंगला का भाजपा में कद भी बढ़ा है। इस स्थिति में कहा जा रहा है कि मनप्रीत सिंह बादल के भाजपा में आने से सरुपचंद सिंगला को किसी तरह का नुकसान नहीं होने वाला है बल्कि इससे भाजपा पहले से ज्यादा मजबूत होगी व मनप्रीत बादल का कार्यक्षेत्र बठिंडा से किसी अन्य स्थान पर किया जा सकता है। मनप्रीत बादल इससे पहले मुक्तसर जिले में एक्टिव रहे हैं व मलोट से चुनाव भी जीतते रहे हैं जबकि उनका घर लंबी में है।
वही दूसरी तरफ मनप्रीत सिंह बादल के भाजपा में शामिल होने का सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस समर्थित नगर निगम बठिंडा में पड़ने वाला है। नगर निगम बठिंडा में 45 के करीब पार्षद कांग्रेस पार्टी से संबंधित है व तमाम विरोध व प्रतिरोध के बावजूद अधिकतर पार्षद मनप्रीत सिंह बादल के समर्थक रहे हैं। इसमें अधिकतर पार्षद ऐसे है जो मनप्रीत बादल के वित्त मंत्री रहते उनके खास सिपाहसलाहकारों में शामिल रहे हैं। इस स्थिति में पार्षद भ्रमक स्थिति में है कि अब वह कांग्रेस के साथ ही जुड़े रहे या फिर भाजपा का पाला पकड़े। वैसे भी नगर निगम में दल बदल के लिए जरूरी पार्षदों का समर्थन मनप्रीत बादल के पास है जिसमें संभव है कि उनके इशारे पर पार्षदों की लाबी आने वाले समय में कोई बड़ा धमाका कर सबको चौका दे। फिलहाल मनप्रीत के भाजपा में आने के बाद लोगों की नजर नगर निगम की गतिविधियों पर भी टिकी हुई है। वही बुधवार को भाजपा में शामिल होकर मनप्रीत बादल ने कांग्रेस पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि आप उस पार्टी के साथ कैसे काम कर सकते हैं जो खुद से युद्ध कर रही है? एक को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, दूसरे को विधायक दल का नेता बनाया जाता है और ये गुट आपस में लड़ते हैं… हर राज्य में ऐसी स्थिति है, कांग्रेस का यही हाल है। उन्होंने इस्तीफे में लिखा, ‘पार्टी और सरकार में मुझे जो भी जिम्मेदारी दी गई उसे निभाने में मैंने अपना सब कुछ झोंक दिया। मुझे ये मौका देने और सम्मान देने के लिए शुक्रिया. दुर्भाग्य ये पार्टी के भीतर जारी मौजूदा संस्कृति और उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण मैं अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा नहीं बना रहना चाहता.’
मनप्रीत बादल अकाली दल व कांग्रेस की टिकट पर 5 बार विधायक बने हैं जिसमें वो 2 बार राज्य के वित्त मंत्री रह चुके हैं। मनप्रीत ने 9 बार बजट पेश किया है. उन्होंने बॉस्केटबॉल में पंजाब का प्रतिनिधित्व भी किया। गौर हो कि मनप्रीत सिंह बादल मालवा के दिगगज कांग्रेस नेता हैं और उनकी मौजूदा पंजाब कांग्रेस के प्रधान राजा वड़िंग के साथ अनबन सबके सामने है। पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। जहां चुनावों से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी का साथ छोड़ा था। वहीं इससे पहले दिग्गज नेता सुनील जाखड़ भी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कल ही पंजाब से हिमाचल पहुंची है। इस बीच राहुल की यात्रा के जाते ही मनप्रीत बादल के इस्तीफे से कांग्रेस को झटका लगा है।