ब्रेकिंग न्यूज़:ICICI बैंक की पूर्व CEO और MD चंदा कोचर और उनके पति दीपक गिरफ्तार, लोन फ्रोड केस में CBI की कार्रवाई
Ex-ICICI Bank CEO Chanda Kochhar Arrest: आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था. वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए. 2017 में इस लोन को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) में डाल दिया गया.
लोन फ्रोड केस में शुक्रवार को CBI ने ICICI बैंक की पूर्व CEO और MD चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया। दरअसल, चंदा उस कमेटी का हिस्सा रहीं जिसने 26 अगस्त 2009 को बैंक द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपए और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपए देने की मंजूरी दी थी। कमेटी का इस फैसले ने बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी का उल्लंघन किया था।
ICICI बैंक लोन धोखाधड़ी (ICICI Bank Fraud Case) मामले में CBI ने बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया है. चंदा कोचर (Chanda Kochhar) पर मार्च 2018 में अपने पति को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था. वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए. 2017 में इस लोन को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) में डाल दिया गया.
चंदा कोचर ने 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी आईसीआईसीआई बैंक ज्वॉइन किया था. जब 1994 में आईसीआईसीआई संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई तो चंदा कोचर को असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनाया गया. इसके बाद चंदा कोचर लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं. डिप्टी जनरल मैनेजर, जनरल मैनेजर के पदों से होती हुई 2001 में बैंक ने उन्हें एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बना दिया. इसके बाद उन्हें कॉरपोरेट बिज़नेस देखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. फिर वो चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर बनाई गईं.
2009 में चंदा कोचर को सीईओ और एमडी बनाया गया. चंदा कोचर के ही नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक ने रिटेल बिज़नेस में क़दम रखा जिसमें उसे अपार सफलता मिली. यह उनकी योग्यता और बैंकिंग सेक्टर में उनके योगदान का ही प्रमाण है कि भारत सरकार ने चंदा कोचर को अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से (2011 में) नवाजा. बैंक की कर्जदार कंपनी विडियोकॉन इंडस्ट्रीज की तरफ से कोचर के पति की कंपनी में निवेश को लेकर गड़बड़ी के आरोपों के बाद चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में इस्तीफा दे दिया.
दरअसल, वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के कोचर के पति दीपक कोचर के साथ बिजनेस संबंध हैं. वीडियोकॉन ग्रुप की मदद से बनी एक कंपनी बाद में चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की अगुआई वाली पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी गई. यह आरोप लगाया गया कि धूत ने दीपक कोचर की सह स्वामित्व वाली इसी कंपनी के ज़रिए लोन का एक बड़ा हिस्सा स्थानांतरित किया था. आरोप है कि 94.99 फ़ीसदी होल्डिंग वाले ये शेयर्स महज 9 लाख रुपये में ट्रांसफ़र कर दिए गए.
बैंक ने शुरुआत में कोचर के ख़िलाफ़ मामले को आनन-फानन में रफा-दफ़ा करने की कोशिश की, लेकिन बाद में लोगों और नियामक के लगातार दबाव के चलते पूरे मामले की जांच के आदेश देने पड़े. आईसीआईसीआई बैंक ने स्वतंत्र जांच कराने का फ़ैसला लिया. बैंक ने 30 मई 2018 को घोषणा की थी कि बोर्ड व्हिसल ब्लोअर के आरोपों की ‘विस्तृत जांच’ करेगा. फिर इस मामले की स्वतंत्र जांच की ज़िम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा को सौंपी गई. जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी हुई और चंदा कोचर को दोषी पाया गया. साल 2020 के शुरू में ईडी ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों से संबंधित 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली थी.