मेन गेट पर मेडिकल स्टोर बना ट्रैफिक जाम का कारण तो चोर गेट बना मेडिकल स्टोरों की कमाई का साधन
इससे एमरजेंसी में अस्पताल में दाखिल मरीजों को बाहर लेकर जाने या फिर हादसा का शिकार व आपातकाल में अस्पताल में मरीजों को लेकर आने वाली एबुलेंस व गाड़ियों को घंटों दरवाजे पर लगी भीड़ से निकलकर अंदर जाने में लगते हैं। इसे लेकर पहले भी स्थानीय लोगों की तरफ से विरोध जताया गया था>
प्रशोत्तम मन्नू, रामपुरा फूल। सिविल अस्पताल रामपुरा फूल में कर्मियों की मिलीभगत से जहां लापरवाही कर मरीजों को परेशान किया जाता है वही अस्पताल के मुख्य दरवाजे में बना मेडिकल स्टोर फिर से सुरखियों में है। अस्पताल के मुख्य गेट पर बने इस स्टोर के कारण अस्पताल के इंट्रेस में हर समय भीड़ लगी रहती है व अस्पताल में जाते मुख्य रास्ते पर वाहनों की कतार लग रही है। इससे एमरजेंसी में अस्पताल में दाखिल मरीजों को बाहर लेकर जाने या फिर हादसा का शिकार व आपातकाल में अस्पताल में मरीजों को लेकर आने वाली एबुलेंस व गाड़ियों को घंटों दरवाजे पर लगी भीड़ से निकलकर अंदर जाने में लगते हैं। इसे लेकर पहले भी स्थानीय लोगों की तरफ से विरोध जताया गया था व प्रबंधकों से मांग की गई गई थी कि सिविल अस्पताल के दरवाजे में सटे इस मेडिकल स्टोर को दरवाजे से हटाया जाए या फिर इसका रास्ता अलग किया जाए। वर्तमान में स्टोर का दरवाजा एकदम मुख्य गेट के साथ खुलता है जिसके चलते दवा लेने वाले लोग अपने वाहनों को अस्पताल के गेट पर खड़ा कर देते हैं व इसके चलते अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है। नियमानुसार किसी भी अस्पताल के गेट में किसी तरह की दुकान व कबजा होना गलत है इससे जहां लोगों को परेशानी होती है वही मरीजों की जान पर आफत बनी रहती है। इसे लेकर लोगों ने कोर्ट में भी गुहार लगाई थी जिसमें इस तरह के कब्जों को हटाने व गेट का रास्ता खुला करने की मांग की थी। इस संबंध में लोगों ने डीसी बठिंडा के साथ सिविल सर्जन व रेडक्रास सोसायटी के सचिव को इसकी लिखित शिकायत भी की है व लोगों को राहत देने के लिए इस तरह के मेडिकल स्टोर को मुख्य गेट से हटाने की मांग की है।
चोर गेट के खुलने से डाक्टरों के साथ कर्मियों की चांदी, मरीजों की हो रही लूट
वही दूसरी तरफ दूसरा विवाद सिविल अस्पताल रामपुरा में कर्मियों की मिलीभगत से दवाईयों का गौरखधंधा चलाने वाला गेट का सुर्खियों में रहना है। सिविल अस्पताल के मेन गेट में लगा मेडिकल स्टोर जहां ट्रैफिक जाम का कारण बन रहा है वही पीछले तरफ बनए गए इस गेट को मरीजों के आवागमन का रास्ता बताया जाता है जबकि यह गेट पिछले कई साल से मरीजों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इस गेट के माध्यम से जहां सिविल अस्पताल में आए दिन चोरियां हो रही है इस गेट के सामने बनी कुछ मेडिकल दुकान मालिकों को मुनाफा देने का धंधा चलाया जा रहा है। प्रशासन ने मुख्य गेट पर बेशक रियायती दामों में रेड़क्रास सोसायटी का मेडिकल स्टोर खोल रखा है लेकिन अस्पताल के कर्मी मोटा मुनाफा कमाने व कमिशन के चक्कर में अस्पताल के पीछले गेट के इस्तेमाल करते हैं व वहां बनी मेडिकल दुकानों से बिना जरूरत की दवाएं व आपरेशन का साजों सामान लिया जाता है। इसमें कई मामले तो ऐसे आए जिसमें अस्पताल में तैनात कुछ स्टाफ की तरफ से मरीज की जरूरत से ज्यादा दवाओं की खरीद करवाई जाती है। आपरेशन व सर्जिकल का साजों सामान जितना मरीज को चाहिए उससे तीन गुणा मंगवा लिया जाता है। अगर किसी मरीज के आपरेशन में दो हजार का सामान व दवा लगती है तो उसे छह से सात हजार रुपए तक का मंगवा लिया जाता है व जब आपरेशन खत्म हो जाता है तो उक्त चार हजार के सामान व दवा को फिर से वापिस मेडिकल स्टोरों में पहुंचा दिया जाता है। इसमें कुछ कर्मी ही दुकनदारों से कमिशन लेते हैं व मरीज की जेब में डाका डाला जाता है।
अस्पताल में कुछ समय पहले ऐसा मामला भी सामने आया जिसमें इस गेट का इस्तेमाल कर नशा छोड़ने वाले मरीजों के लिए लाई गई दवा की पूरी पेटी ही चोरी कर दी गई व बाद में उक्त दवा को बाजार में बेच दिया गया। नसेड़ी किस्म के कुछ लोगों के लिए उक्त अस्पताल का पिछला गेट वरदान साबित हो रहा है जिसमें नशेड़ी अस्पताल में मरीजों के साजों सामान की चोरी कर आसानी से निकल जाते हैं या फिर अस्पताल की कीमती दवाओं को मिलीभगत से चोरी कर बेच देते हैं। इस बाबत सिविल अस्पताल रामपुरा में तैनात एमएमओ डा. अंजू कांसल ने पदभार संभालते ही इस समस्या का हल निकालने के लिए जहां जांच करवाई वही अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। अब कुछ लोग इन कैमरों का भी विरोध कर रहे हैं। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि अस्पताल में होने वाली अनियमियतता को रोकने के लिए उठाए गए कदम का विरोध करने वाले लोग इस कारण से विरोध कर रहे हैं कि अब उन पर तीसरी आंख से नजर रहेगी जिससे उनके लंबे समय से चले आ रहे कार्यों की पोल खुल सकती है। फिलहाल इस विरोध के बावजूद एसओमओ ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इन पूरे मामलों की निष्पक्ष जांच करवाएंगी व मरीजों के हितों स खिलवाड़ करने वाले किसी भी कर्मी व अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। दूसरी तरफ शहर की सामाजि व धार्मिक संस्थाओं ने प्रशासन से मांग की है कि इस विवादित गेट को स्थायी तौर पर बंद किया जाए जिससे अस्पताल में होने वाली चोरी पर रोक लगेगी वही मरीजों की जेब काटने व लूटने का सिलसिला भी बंद हो सकेगा।