मोदी, मंगल और महाकाल से 2 अद्भुत संयोग:प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी बड़े काम के लिए पहली बार मंगलवार चुना
उज्जैन . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी मंगलवार को महाकाल लोक देश को समर्पित करने जा रहे हैं। इसी के साथ दो ऐसे संयोग बनने जा रहे हैं जो अध्यात्म और धर्म की दृष्टि से बहुत ही अलग और चौंकाने वाले हैं। कालगणना स्थली रही उज्जैन के ज्योतिषी के अनुसार, मोदी ने अपने कार्यकाल में दो ज्योतिर्लिंगों के बड़े कॉरिडोर को देश को समर्पित करने का काम किया। पहला उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ और दूसरा मध्यप्रदेश में महाकाल लोक।
PM @narendramodi to inaugurate #ShriMahakalLok on October 11, 2022 in Ujjain, Madhya Pradesh.
Have a look at this video of Shri #MahakalLok created by Shubham Sharma👇#MahakalCorridor @ianuragthakur @Murugan_MoS @JM_Scindia @nstomar @ChouhanShivraj @MPTourism @incredibleindia pic.twitter.com/wY6Y1p6T2d
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) October 10, 2022
मोदी से जुड़ा संयोग… पहली बार मंगल को इतना बड़ा काम
नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक के लोकार्पण के लिए मंगलवार चुना। यह भी संयोग की बात बन गई। नरेंद्र मोदी के जीवन से जुड़े तमाम इतिहास और ऐतिहासिक, धार्मिक, सकारात्मक और तयशुदा फैसलों को देखा जाए तो उसमें कभी मंगलवार नहीं आया। अधिकतर काम सोमवार को किए हैं। पहली बार किसी विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के विस्तार का लोकार्पण मंगलवार को उनके हाथों होने जा रहा है।
उज्जैन को मंगल (मंगलनाथ) की जन्मभूमि माना गया है। दूसरा, मोदी जिस दिन यहां आए, उस दिन चंद्रमा मेष का है, जिसका स्वामी भी मंगल है। खुद नरेंद्र मोदी की राशि वृश्चिक का स्वामी मंगल है। मोदी की कुंडली का लग्न भी वृश्चिक है जिसका स्वामी मंगल ही है।
अब दूसरा संयोग जान लेते हैं…
महाकाल और काशी विश्वनाथ दोनों को विश्व और भूलोक का स्वामी माना गया है। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पीएम मोदी का ज्योतिर्लिंग विस्तार के लिए इन्हीं दोनों को चुनना, यह अपने आप में एक संयोग भी है।
काशी विश्वनाथ। यह ज्योतिर्लिंग उत्तरमुखी हैं, जो कि देवों की दिशा है। यानी विश्व में देवों की सुरक्षा का जिम्मा काशी विश्वनाथ ही संभालते हैं। उसका विस्तार भी मोदी ने ही कराया। यहां तक बात योग के लिए इसलिए नहीं कही जाती, क्योंकि मोदी का लोकसभा क्षेत्र काशी ही है। ऐसे में काशी विश्वनाथ पहले दिन से ही उनके फोकस पर था।
अब बात महाकाल की। शास्त्रों के अनुसार महाकाल इकलौता ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है। दक्षिण को दैत्य, असुरों की दिशा कहा जाता है। यानी जिस महाकाल के विस्तार का लोकार्पण मोदी के हाथों कराया जा रहा है। वह महाकाल दैत्यों पर नजर रखने वाले भूलोक के स्वामी हैं।
मानना है कि इसे योग-संयोग कहें या धार्मिक महत्व से सोच समझकर लिया गया फैसला, पर इतना जरूर है कि नरेंद्र मोदी के हाथों काशी के बाद महाकाल मंदिर का जो विस्तार हुआ, वह पूरी दुनिया के लिए कल्याणकारी है। एक दैत्यों से बचाने वाले हैं, दूसरों देवों को संभालने वाले..।
पं. आनंद शंकर व्यास कहते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। कुदरत चाहती तो उनके हाथों से किसी और भव्य कॉरिडोर का लोकार्पण भी करा सकती थी लेकिन सबसे पहले उन्हें ये ही दो मिले। वैसे यहां बता दें कि केवल दक्षिण मुखी महाकाल ही हैं।
The grandeur of @narendramodi ji’s vision is unparalleled,whether it’s infra or DHAM,it’s all world-class &created a new interest not just abroad but also in us Indians
Kashi overtook Goa to get 10.5 crore visitors in 2021-22 compared to Goa’s 3.5 crore#MahakalLok 🙏🙏 pic.twitter.com/c25zwI04zc
— PallaviCT (@pallavict) October 11, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण अमृत सिद्धि योग में करेंगे। 11 अक्टूबर मंगलवार की शाम 6.30 बजे अश्विनी नक्षत्र होने से विशेष योग बन रहा है। इसे विशेष फलदायी माना जा रहा है। इससे पहले PM मोदी ने UP में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण रेवती नक्षत्र में किया था। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन भी अभिजीत मुहूर्त में किया था।