मोदी, मंगल और महाकाल से 2 अद्भुत संयोग:प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी बड़े काम के लिए पहली बार मंगलवार चुना

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उज्जैन . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी मंगलवार को महाकाल लोक देश को समर्पित करने जा रहे हैं। इसी के साथ दो ऐसे संयोग बनने जा रहे हैं जो अध्यात्म और धर्म की दृष्टि से बहुत ही अलग और चौंकाने वाले हैं। कालगणना स्थली रही उज्जैन के ज्योतिषी के अनुसार, मोदी ने अपने कार्यकाल में दो ज्योतिर्लिंगों के बड़े कॉरिडोर को देश को समर्पित करने का काम किया। पहला उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ और दूसरा मध्यप्रदेश में महाकाल लोक।

मोदी से जुड़ा संयोग… पहली बार मंगल को इतना बड़ा काम
नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक के लोकार्पण के लिए मंगलवार चुना। यह भी संयोग की बात बन गई। नरेंद्र मोदी के जीवन से जुड़े तमाम इतिहास और ऐतिहासिक, धार्मिक, सकारात्मक और तयशुदा फैसलों को देखा जाए तो उसमें कभी मंगलवार नहीं आया। अधिकतर काम सोमवार को किए हैं। पहली बार किसी विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के विस्तार का लोकार्पण मंगलवार को उनके हाथों होने जा रहा है।

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उज्जैन को मंगल (मंगलनाथ) की जन्मभूमि माना गया है। दूसरा, मोदी जिस दिन यहां आए, उस दिन चंद्रमा मेष का है, जिसका स्वामी भी मंगल है। खुद नरेंद्र मोदी की राशि वृश्चिक का स्वामी मंगल है। मोदी की कुंडली का लग्न भी वृश्चिक है जिसका स्वामी मंगल ही है।

प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण करने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण करने जा रहे हैं।

अब दूसरा संयोग जान लेते हैं…
महाकाल और काशी विश्वनाथ दोनों को विश्व और भूलोक का स्वामी माना गया है। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पीएम मोदी का ज्योतिर्लिंग विस्तार के लिए इन्हीं दोनों को चुनना, यह अपने आप में एक संयोग भी है।

काशी विश्वनाथ। यह ज्योतिर्लिंग उत्तरमुखी हैं, जो कि देवों की दिशा है। यानी विश्व में देवों की सुरक्षा का जिम्मा काशी विश्वनाथ ही संभालते हैं। उसका विस्तार भी मोदी ने ही कराया। यहां तक बात योग के लिए इसलिए नहीं कही जाती, क्योंकि मोदी का लोकसभा क्षेत्र काशी ही है। ऐसे में काशी विश्वनाथ पहले दिन से ही उनके फोकस पर था।

PM मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया था।
PM मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया था।

अब बात महाकाल की। शास्त्रों के अनुसार महाकाल इकलौता ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है। दक्षिण को दैत्य, असुरों की दिशा कहा जाता है। यानी जिस महाकाल के विस्तार का लोकार्पण मोदी के हाथों कराया जा रहा है। वह महाकाल दैत्यों पर नजर रखने वाले भूलोक के स्वामी हैं।

मानना है कि इसे योग-संयोग कहें या धार्मिक महत्व से सोच समझकर लिया गया फैसला, पर इतना जरूर है कि नरेंद्र मोदी के हाथों काशी के बाद महाकाल मंदिर का जो विस्तार हुआ, वह पूरी दुनिया के लिए कल्याणकारी है। एक दैत्यों से बचाने वाले हैं, दूसरों देवों को संभालने वाले..।

पं. आनंद शंकर व्यास कहते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। कुदरत चाहती तो उनके हाथों से किसी और भव्य कॉरिडोर का लोकार्पण भी करा सकती थी लेकिन सबसे पहले उन्हें ये ही दो मिले। वैसे यहां बता दें कि केवल दक्षिण मुखी महाकाल ही हैं।

वाराणसी में पीएम मोदी पवित्र गंगाजल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था।
वाराणसी में पीएम मोदी पवित्र गंगाजल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था।
महाकाल के आंगन के विस्तार के बाद जो भव्य और सुंदर दृश्य सामने आए, उसे हम महाकाल लोक के नाम से जानेंगे। 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे देश को समर्पित करेंगे। दिव्यता, भव्यता और आध्यात्मिकता के इस संगम ने 4 साल की मेहनत के बाद आकार लिया है।
मंदिर आज जैसा दिखता है, पुराने समय में ऐसा नहीं था। 11वीं सदी में गजनी के सेनापति और 13वीं सदी में दिल्ली के शासक इल्तुतमिश के मंदिर ध्वस्त कराने के बाद कई राजाओं ने इसका दोबारा निर्माण करवाया।

विशेष फलदायी अमृत सिद्धि योग में होगा लोकार्पण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण अमृत सिद्धि योग में करेंगे। 11 अक्टूबर मंगलवार की शाम 6.30 बजे अश्विनी नक्षत्र होने से विशेष योग बन रहा है। इसे विशेष फलदायी माना जा रहा है। इससे पहले PM मोदी ने UP में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण रेवती नक्षत्र में किया था। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन भी अभिजीत मुहूर्त में किया था।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए महाकाल की नगरी उज्जैन तैयार है। महाकाल के आंगन को फूलों से सजाया गया है। पूरे शहर में सड़कों पर सजावट के साथ रोशनी की गई है। शिप्रा तट भी जगमगा रहा है। मंदिर के गर्भगृह को सजाने के लिए 7 शहरों से फूल मंगाए गए हैं।

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