PoK में घुसकर 19 शहीदों के बदले मारे 40 आतंकी:फायरिंग से भड़क जाते कमांडो तो फेल हो जाती सर्जिकल स्ट्राइक, झाड़-पत्तियों में छिपे रहे

उरी में चार आतंकियों ने सेना के क्षेत्रीय मुख्यालय पर हमला किया था। इस हमले में 19 जवान शहीद और 30 जवान घायल हुए थे। जवाबी कार्रवाई में चारों आतंकी मारे गए थे। इसके मात्र 10 दिन में भारत ने भी पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी।

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भारतीय सेना ने आज से छह साल पहले पीओके में घुसकर पाकिस्तान परस्त 50 आतंकियों का सफाया कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। यह जम्मू कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर किए गए हमले में शहीद 19 जवानों की मौत का बदला था। यह ऐसा बदला था, जिससे आज तक दुश्मनों के दांत खट्टे हैं। बुधवार को देश के नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) नियुक्त किए गए सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की भी सर्जिकल स्ट्राइक की व्यूह रचना में अहम भूमिका थी।

दरअसल, 18 सितंबर 2016 को उरी में आतंकियों ने हमला किया था। इसमें 19 जवान शहीद हो गए थे। इसे लेकर पूरे देश में आतंकियों व उसके आका पाकिस्तान के खिलाफ जबर्दस्त रोष था। भारत सरकार भी हैरान होने के साथ ही बदले की आग में झुलस रही थी। आखिरकार सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके में घुसकर आतंकियों का घर में सफाया कर डाला। इन दहशतगर्दों को ऐसा सबक सिखाया कि उनके डेरे कब्रगाह में बदल गए।

सर्जिकल स्ट्राइक को 28-29 सितंबर 2016 की रात पीएम नरेंद्र मोदी, तत्कालीन रक्षामंत्री स्व. मनोहर पर्रिकर, तत्कालीन सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, तत्कालीन डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और उत्तरी कमान के तत्कालीन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा और एनएसए अजीत डोभाल की सुगठित रणनीति के तहत अंजाम दिया गया था।

29 सितंबर 2016 का दिन था। भारत के DGMO यानी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन के लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं। उन्होंने ऐलान किया- ‘भारत ने सीमापार आतंकियों के लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक की है।’ मतलब ये कि भारतीय सेना ने पहली बार LoC पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड तबाह कर डाले। ये न सिर्फ उरी हमले का बदला था, बल्कि पाकिस्तान को एक खुली चेतावनी थी कि जब-जब आतंकी हमला होगा, भारत उनके घर में घुसकर मारेगा।

सैन्य रणनीति की पढ़ाई में इस तरह के हमलों को प्रीएमटिव स्ट्राइक कहते हैं। अब तक अमेरिका और इजराइल जैसे देश इस तरह की आक्रामक स्ट्रैटजी को अपनाते आए थे। भारत के इस कदम से दुनिया हैरान रह गई।

2018 में सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी बरसी पर यह फुटेज जारी किया था।
2018 में सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी बरसी पर यह फुटेज जारी किया था।

 

सबसे पहले जानिए उरी हमला कैसे हुआ

तारीख- 18 सितंबर 2016। समय- सुबह के साढ़े 5 बजे। चार आतंकवादी भारतीय सैनिकों के वेश में LoC को पार कर कश्मीर में घुस आते हैं। उनके निशाने पर है उरी भारतीय सेना का ब्रिगेड हेडक्वार्टर। उजाला होने से पहले आतंकी हमला करते हैं। 3 मिनट के भीतर ही आतंकियों ने 15 से ज्यादा ग्रेनेड कैंप पर फेंके। हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो जाते हैं। कई घायल हुए। सेना के जवानों ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए आतंकियों पर फायरिंग की। सेना की जवाबी कार्रवाई में चारों आतंकी मारे गए।

इंडियन पैरा ट्रूपर स्पेशल फोर्सेज यानी PARA SF पहुंचती है। इन कमांडोज की पहचान गाढ़े भूरे रंग की टोपी से होती है। इन्हें मैरून बैरे कहते हैं। PARA SF के पहुंचने तक यह हमला खत्म हो चुका था। पिछले 20 साल में सेना पर हुआ ये सबसे बड़ा हमला था। पूरे देश में इस हमले के खिलाफ गुस्सा था। हर ओर बदला लेने की बात उठने लगी थी।

डिफेंस एनालिस्ट नितिन गाोखले बताते हैं कि अब तक सुरक्षा एजेंसियों ने पता लगा लिया था कि ये आतंकी PoK से आए थे और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे। पाकिस्तान की सेना इन्हें पूरा सपोर्ट देती है।

1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जून 1966 में PARA SF का गठन किया गया था।
1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जून 1966 में PARA SF का गठन किया गया था।

दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने का आदेश दिया

दिल्ली में सरगर्मी बढ़ी हुई थी। हाईलेवल की मीटिंग्स का दौर चल रहा था। नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी, आर्मी और डिफेंस मिनिस्टर सबका एक ही राय था, दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब तो देना ही पड़ेगा। यानी उरी हमले के बाद चुप रहा नहीं जा सकता था। इसके बाद सीमापार जाकर आतंकी ठिकानों यानी लॉन्च पैड को नष्ट करने का फैसला लिया गया। जल्द ही सभी विकल्पों पर चर्चा की गई।

हमारे पास हवाई हमले से लेकर लांग रेंज आर्टिलरी फायर तक का ऑप्शन था। लेकिन मकसद था पाकिस्तान को कड़ा संदेश पहुंचाने का। फैसला लिया जा चुका था। एक सर्जिकल ऑपरेशन किया जाएगा। भारतीय सेना दुश्मन के इलाके यानी PoK में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड को नष्ट करेगी।

इस ऑपरेशन के लिए चुना गया जम्मू कश्मीर में बेस्ड इंडियन आर्मी की PARA SF की 2 यूनिट्स को चुना गया। दुश्मनों को पैरा PARA SF के जवानों से बेहतर कोई नहीं जानता था।

एक टॉप सीक्रेट मिशन तैयार किया गया। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे खतरनाक मिशन के लिए 2 टीमें तैयार की गईं। स्ट्राइक टीम-1 के लीडर थे मेजर अवनीश (बदला हुआ नाम) और स्ट्राइक टीम-2 के लीडर थे मेजर विनीत। इस हमले को अंजाम देने वाले दोनों लीडर का नाम कभी डिस्क्लोज नहीं किया गया।

तारीख : 23 सितंबर 2016

समय : सुबह के 9 बजे थे

स्ट्राइक टीम-2 के लीडर मेजर विनीत को फोन आता है कि आप फौरन ट्रेनिंग एरिया में रिपोर्ट करिए। इसी के बाद से सर्जिकल स्ट्राइक के लिए गेम प्लान बनना शुरू हो गया। स्ट्राइक टीम 1 के लीडर मेजर अवनीश कहते हैं कि हम लोगों ने उन सभी ऑप्शन पर गौर करना शुरू कर दिया था जो हमारे पास थे। इसके बाद इस प्लान को दिल्ली भेजा जाता है।

तारीख : 23 सितंबर 2016

समय : सुबह के 10:30 बजे थे

प्रधानमंत्री के सामने 23 सितंबर को एक प्लान पेश किया गया। PoK में मल्टीपल टारगेट पर हमला करने की तैयारी थी। आर्मी हेडक्वार्टर ने आतंकियाें के 6 ठिकाने यानी लॉन्च पैड को चुना थे। ये सभी टारगेट दुश्मन के इलाके में थे। साथ ही बहुत दुर्गम भी था। ये टारगेट एक दूसरे से काफी दूर भी थे। हर जगह एक साथ हमला करना लगभग नामुमकिन था।

आज हम इनमें से 2 टीम की कहानी बता रहे हैं।

ऑपरेशन के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई थी। स्ट्राइक टीम 1 और स्ट्राइक टीम-2 को नॉर्थ कश्मीर के 2 टारगेट की जिम्मेदारी मिली। मेजर अवनीश और मेजर विनीत ने अपनी स्पेशलाइज्ड रेकी टीम को तैयार किया। उनका काम था दुश्मन पर करीब से नजर रखना और जरूरी जानकारी जुटाना। मेजर विनीत अपनी टीम के साथ होम बेस से निकल पड़े। इस रेकी के 3 मुख्य उद्देश्य थे।

पहला- लाइन ऑफ कंट्रोल पर जाने के लिए बेस्ट रूट को चुनना।

दूसरा- टारगेट पर 24 घंटे नजर रखना।

तीसरा- सेफ एग्जिट प्लान पर काम करना।

आतंकियों की रेकी के लिए PARA SF दो टीमें PoK पहुंचती हैं

तारीख : 24 सितंबर 2016

समय : शाम के 6 बजे थे

LOC के पास काफी बिल्टअप एरिया थे और काफी गांव थे। दुश्मन के खबरी हर तरफ फैले हुए थे। सबसे बड़ा चैलेंज था कि दुश्मन को इसकी भनक नहीं लगे। आतंकवादियों के घुसपैठ का रास्ता इन घने जंगलों से होकर गुजरता है। मेजर विनीत की रेकी टीम अपने मिशन पर निकलती है।

तारीख : 24 सितंबर 2016

समय : रात के 9:30 बजे थे

दूसरी तरफ करीब 100 किलोमीटर दूर मेजर अवनीश अपनी रेकी टीम के साथ होम बेस से निकल चुके थे। उन्होंने पीर पंजाल के घने जंगलों को अपना रास्ता चुना। यहां से कोई नहीं गुजरता था। इसकी खास वजह भी है। जमीन से कुछ इंच नीचे एंटी पर्सनल माइंस बिछी हुई थीं। जो हल्के से कॉन्टैक्ट के साथ ही फट सकती थी। यानी एक गलत कदम और इन जवानों के साथ ही ये मिशन भी खत्म। वजह है बहुत वक्त बीत जाने से माइंस वहां से खिसक जाती हैं जहां उन्हें लगाया जाता है। ये पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि माइंस कहां खिसकी होंगी।

लेकिन ट्रेनिंग और सावधानी काम कर गई। मेजर अवनीश और उनकी रेकी टीम-1 LoC को पार करते हुए PoK के लीपा वैली में प्रवेश करती है। दूसरी तरफ मेजर विनीत और उनकी रेकी टीम-2 PoK के वीरान अरनकेर सेक्टर में पहुंच चुकी थी। वहां पर कोई रास्ता नहीं था, हर ओर जंगल ही था।

तारीख : 25 सितंबर 2016

समय : रात के 12:45 बजे थे

दोनों रेकी टीम अब PoK में थीं। यहां से उन्हें अपनी हिफाजत खुद करनी थी। मौत का साया हरपल मंडरा रहा था। पाकिस्तानी पोस्ट, 24 घंटे मुस्तैद पेट्रोलिंग और सर्विलांस ड्रोन हर हरकत पर पैनी नजर रख रहे थे। सुबह होते ही आसमान में एक आवाज सुनाई दी।

मेजर अवनीश और रेकी टीम-1 वहीं थम गए। ये हाईटेक मोशन सेंसर से लैस एक पाकिस्तानी ड्रोन था। यह हल्की से हल्की हरकत भी पकड़ सकता था। ड्रोन के जाने तक टीम उसी तरह खड़ी रही। इसके बाद मेजर अवनीश अपने साथियों को आगे बढ़ने का आदेश देते हैं।

तारीख : 25 सितंबर 2016

समय : सुबह के 6:54 बजे थे

रेकी टीम का पहला मकसद पूरा हो गया था। टीम को LOC के उस पार आतंकियों लॉन्च पैड तक पहुंचने का सबसे सुरक्षित रूट मिल गया था। मेजर अवनीश कहते हैं कि वैसे तो हम इस तरह का ट्रैक 5 से 6 घंटे में पूरा कर लेते हैं लेकिन उस दिन हमें करीब 10 घंटे लग गए थे।

आखिरकार दोनों रेकी टीम अपने टारगेट यानी आतंकियों के लॉन्च पैड के पास पहुंच गए। दोनों टीम ने अपनी पोजीशन ले ली। कुछ जवान तो टारगेट के 250 मीटर के करीब पहुंच गए थे। उनकी वर्दी उन्हें दुश्मन से छिपने में मदद करती है। अब उनका दूसरा लक्ष्य था टारगेट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना।

मिशन को सफल बनाने के लिए हर एक छोटी जानकारी भी बहुत जरूरी थी। 24 घंटे की निगरानी शुरू हो गई। लेकिन खुद को छिपाए रखते हुए इससे पहले दुश्मन के इलाके में इतना लंबा वक्त इन जवानों ने कभी नहीं बिताया था।

तारीख : 25 सितंबर 2016

समय : सुबह के 7:30 बजे थे

आतंकी लॉन्च पैड के वीडियो बनाए गए, बारीक चीजों को समझा गया। टारगेट का एक ले आउट मैप तैयार किया गया। यानी किस तरफ वो (आतंकी) अपना खाना पकाते हैं, हथियार,अनाज और पानी कहां रखते हैं। हर जानकारी निकाली गई। यानी कितने आतंकी थे, उनके पास कौन से और किस तरह के हथियार थे। उनके मूवमेंट का पैटर्न क्या था। जैसे दोपहर में आतंकी बोट गेम्स खेलते थे। साथ ही पोस्ट के बीच में बैठकर कुछ समय गुजारते थे।

तारीख : 25 सितंबर 2016

समय : दोपहर के ढाई बजे

लॉन्च पैड पर कुछ नए चेहरे दिखाई देने लगे। ये पूरी तरह से ट्रेन्ड आतंकियों का पूरा ग्रुप था। जो भारत में घुसने की तैयारी कर रहा था। सेना को अपने उन मुखबिरों से जो आतंकी संगठन जैश और लश्कर में काम कर रहे हैं। ये पता चला कि इन लॉन्च पैड पर आतंकियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। मेजर विनीत खुद भी यही चाहते थे। इस मिशन का लक्ष्य ही यही था कि एक ही हमले में ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को मारा जाए। शाम ढलते-ढलते इन लॉन्च पैड पर हलचल कम होती गई। रात 8 बजे तक बिल्कुल सन्नाटा छा गया था।

दूसरी तरफ मेजर अवनीश के टारगेट पर भी रात तक सभी हलचल बंद हो गई थी। तभी अचानक रात 8 बजकर 15 मिनट पर आतंकी गोलियां चलाने लगते हैं। मेजर अवनीश बिल्कुल शांत थे। उनके जवान गोली चलने के पैटर्न को समझ रहे थे। जल्द ही उन्हें पता चल गया कि ये सिर्फ स्पेकुलेटिव फायरिंग थी। ऐसा अक्सर किया जाता है। जिस दिशा से हमला होने का डर हो, उस तरफ अपनी सुरक्षा के लिए ऐसी फायरिंग होती है।

मतलब अब भी आतंकियों को रिकॉन टीम के बारे में पता नहीं चला था। यहां एक गलती पूरे मिशन को विफल कर सकती थी। मेजर अवनीश ओर उनकी टीम अभी भी बिल्कुल शांत थी और उम्मीद कर रही थी कि गोलियां उनकी तरफ न चलने लगें।

तारीख : 26 सितंबर 2016

समय : सुबह के 6:30 बजे थे

सुबह तक गोलियां चलना बंद हो गईं। अब दुश्मन के इलाके से निकलने का वक्त आ गया था। अब दोनों टीम के पास वो सारी जानकारी थी, जिनकी उन्हें इस सर्जिकल स्ट्राइक के लिए जरूरत थी।स्पेशल फोर्स के कमांडिंग अफसर कहते हैं कि अब हमारे पास आतंकियों के लॉन्च पैड की हर जानकारी थी। यानी वे कितने ताकतवर हैं। यहां तक की हमें आतंकियों के एक-एक कमांडर का नाम तक पता था।

वहीं मेजर विनीत के जवान 80 डिग्री के ढलान पर तैनात थे। यहां से निकलना आसान नहीं था। इसलिए कुछ रस्सियां बांधकर वहीं छोड़ दी गईं, ताकि हमले के बाद लौटने में आसानी हो।

अब रेकी टीम का तीसरा लक्ष्य एग्जिट प्लान यानी वापस जाने के लिए एक छोटा और सुरक्षित रास्ता खोजना था। क्योंकि भारतीय सेना के हमले के बाद उस इलाके की पाकिस्तानी फौज जवाबी फायरिंग करेगी और एक पुख्ता प्लान जवानों की जिंदगी और मौत के बीच का अंतर बन सकता था।

फोन आता है बडी निकलने का वक्त आ गया है

तारीख : 27 सितंबर 2016

समय : दोपहर के 3 बजे थे

आतंकियों के लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक का वक्त आ चुका था। मेजर अवनीश और मेजर विनीत ने अपने सबसे काबिल सैनिक चुन लिए। मेजर अवनीश बताते हैं कि हम लॉन्च पैड पर जिस स्ट्रैटजी के साथ हमला करना चाहते थे। उसी जरूरत और काबिलियत के हिसाब से सैनिकों को चुना गया। मेजर विनीत कहते हैं कि जितने भी जवान चुने गए थे। वे घाटी में करीब 15-16 साल से तैनात थे। हर स्पेशलिस्ट स्क्वाड को अटैक की पोजीशन बता दी गई थी। हर एक के पास घातक हथियार थे। प्लान बहुत ही सिंपल था। पूरी तैयारी से हमला करना।

स्पेशल फोर्स के एक जवान बताते हैं कि रात को हम लोग डिनर कर रहे थे। मैं हमारे सीओ ओर बाकी के मेंबर। तभी फोन आता है। सीओ ने थमसप किया, फिर एक लाइन कही बडी निकलने का वक्त आ गया है। स्ट्राइक टीम-1 निकल पड़ती है। अब उन्हें मिशन पूरा करके ही लौटना है।

तारीख : 28 सितंबर 2016

समय : दोपहर के 4 बजे थे

मेजर अवनीश की टीम को होम बेस से एयरलिफ्ट किया गया।

तारीख : 28 सितंबर 2016

समय : शाम के 4:45 बजे थे

स्ट्राइक टीम-1 को अनमार्क्ड लैंडिंग जोन में उतारा गया।

तारीख : 28 सितंबर 2016

समय : रात के 8:15 बजे थे

मिलिट्री ट्रक और सिविलियन व्हीकल से स्ट्राइक फोर्स को स्ट्रैटजी के हिसाब से तय किए गए स्थानों पर पहुंचाया गया। प्लान के मुताबिक स्ट्राइक टीम-2 पीर पंजाल के जंगल की तरफ बढ़ रही थी। अंदर जाने के लिए सही समय और चांद की सही रोशनी का इंतजार हो रहा था। टीम ऐसे रास्ते से अंदर गई जहां से कोई नहीं देख पाया यहां तक कि हमारे अपने लोग भी।

स्ट्राइक टीम की तादात बड़ी है। उनके हथियार भारी भरकम हैं। और गोला बारूद बड़ी मात्रा में है। यानी पकड़े जाने का खतरा और ज्यादा था। रेकी टीम की तैयारी काम आई और दोनों स्ट्राइक टीम LoC तक पहुंच गई थीं। बिना किसी की नजरों में आए यानी पूरी तरह सुरक्षित.

तारीख : 28 सितंबर 2016

समय : रात के 11:40 बजे थे

मेजर अवनीश की टीम दुश्मन के इलाके में यानी PoK में पहुंच चुकी थी। मेजर विनीत की टीम ने भी LOC को पार कर लिया था।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : रात के 12:10 बजे थे

मेजर विनीत की रॉकेट लॉन्चर टीम को दुश्मन के ठिकानों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। रॉकेट लॉन्चर से जबरदस्त बैक ब्लास्ट होता है। इसके पीछे 40 मीटर की खुली जगह चाहिए। वरना इसे चलाने वाला बुरी तरह झुलस सकता है।

ये इलाका चुनौतियों से भरा पड़ा था। ढलान लगभग 80 डिग्री की थी। लेकिन मेजर विनीत के पास इसका भी साॅल्युशन था। रॉकेट लॉन्चर टीम को हारनेस पहनाया गया। रस्सियां बांधकर खड़ी ढलान पर हमले के लिए एक सेफ फायरिंग पोजीशन बना ली गई।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : रात के 2 बजे थे

स्ट्राइक टीम-1 और टीम-2 अब हमला करने के लिए तैयार थी। पहले से ही तय था सुबह पहली किरण के साथ ही दोनों टीम आतंकियों के लॉन्च पैड पर हमला करेंगी। अब सिर्फ इंतजार करना था।

इसी बीच 300 किमी साउथ में जम्मू रीजन में स्पेशल फोर्सेज की एक और टीम ने आतंकवादियों के लॉन्च पैड को उड़ा दिया। यानी पाकिस्तान को जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक शुरू हो चुकी थी।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : रात के 2:20 बजे थे

कुछ ही मिनटों में स्ट्राइक टीम-1 के टारगेट यानी आतंकियों ने एहतियात के तौर पर अपने लॉन्च पैड के चारों ओर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। स्ट्राइक टीम-1 के सबक्वाड की तरफ फायरिंग होने लगी। आर्मी की तरफ से मिशन को जल्द खत्म करने का आदेश आ गया था। लेकिन फाइनल डिसीजन जंग के मैदान में टीम लीडर पर छोड़ दिया जाता है।

मेजर अवनीश के सबक्वाड पर जबरदस्त तरीके से गोलीबारी की जा रही थी। लेकिन वो एक कैलकुलेटिव रिस्क लेने को तैयार थे। उनकी टीम अभी भी दुश्मन की नजरों में नहीं आई थी। इसलिए वो खामोशी से बैठे रहे और सूरज निकलने का इंतजार करने लगे। इस दौरान उन्होंने टीम को थोड़ा पीछे हटने को कहा।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : सुबह के 5:15 बजे थे

दुश्मन की फायरिंग बंद हो गई। स्ट्राइक टीम-1 हमला करने के लिए तैयार थी और जवानों ने पोजीशन ले ली थी।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : सुबह के 6 बजे थे

मेजर अवनीश के एक्शन बोलते ही जवानों ने लॉन्च पैड पर हमला शुरू कर दिया। दुश्मन पर चारों तरफ से ताबड़तोड़ गोला बारूद दागे जाने लगे। जवानों ने दुश्मनों को संभलने का मौका तक नहीं दिया गया। आतंकियों को पता ही नहीं चल पाया कि क्या हो रहा है। दुश्मन इधर-उधर फैल गए थे। इसके बाद दूसरी टीम अंदर पहुंची। स्पेशल फोर्सेज ने दुश्मनों के लॉन्च पैड को तहस-नहस कर दिया।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : सुबह के 6:20 बजे थे

टारगेट-2 पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। लेकिन मिशन अभी भी पूरा नहीं हुआ। आसपास की पाकिस्तानी पोस्ट हरकत में आ चुकी थीं। उन्होंने स्ट्राइक टीम की दिशा में फायरिंग करनी शुरू कर दी। ये इशारा था कि एग्जिट प्लान शुरू किया जाए।

स्ट्राइक फोर्स को वहां से जल्द से जल्द निकलना था। गोलियों की बौछार और मोर्टार के धमाकों के बीच के वक्त का सही इस्तेमाल करके स्ट्राइक टीम वहां से निकलने में कामयाब रही।

POK में तबाह लॉन्च पैड की तस्वीरें।
POK में तबाह लॉन्च पैड की तस्वीरें।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : सुबह के 6:30 बजे थे

स्ट्राइक टीम-1 अपने टारगेट पर कहर बरपा रही थी। मिशन का वक्त खत्म हो रहा था। निकलने का टाइम हो चुका था। लेकिन उनकी डायरेक्शन में पाकिस्तान की तरफ से जमकर फायरिंग हो रही थी। जवानों के कान के पास से गोलियां गुजर रही थीं। कभी दाएं, कभी बाएं मोर्टार गिर रहे थे। तभी आदेश आया कि वहां से तुरंत निकलें।

सभी जवान दुश्मनों की गोलियों को चकमा देते हुए वहां से निकलने लगे। सुबह 9 बजे तक दोनों टीम हमले की जगह से निकल चुकी थीं। लेकिन वो अब भी दुश्मन के इलाके में हैं। काफी सावधानी बरतते हुए टीम LoC की ओर चलती है। स्ट्राइक टीम-2 भारत में कदम रख चुकी है।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : सुबह के 9:30 बजे थे

स्ट्राइक टीम-1 LOC पार करके कश्मीर घाटी में पहुंच चुकी है।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : सुबह के 9:45 बजे थे

ऑर्मी हेडक्वार्टर को संदेश भेजा की सभी टीमें सुरक्षित वापस आ चुकी हैं।

तारीख : 29 सितंबर 2016

समय : सुबह के 9:50 बजे थे

आगे बढ़ते वक्त जोरदार धमाका होता है। पता चला कि एक जवान ने माइन पर पैर रख दिया और धमाके में उसके पैर का एक हिस्सा उड़ गया। जवान का पैर बचाने के लिए तुरंत एयर लिफ्ट करना जरूरी था। मेजर अवनीश ने हेलिकॉप्टर मंगवाया। स्ट्राइक टीम-2 इवैकुएशन पॉइंट तक पहुंच गई। हेलिकॉप्टर से घायल जवान को ले जाया गया।

6 टारगेट पर कुल 38 से 40 आतंकी और पाकिस्तानी सेना के 2 सैनिक मारकर PARA SF के कमांडो ने उरी का बदला ले लिया। इसके बाद आर्मी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बताती है।

अगले दिन दोपहर तक दोनों टीमें अपनी पोस्ट पर पहुंच गई। और उन डिटेल्स को देखने लगे जो हमने वहां से जुटाई थी। अब टारगेट पर 24 घंटे नजर रखी जाने लगी। अनमैन्ड एरियल व्हीकल स्पेशल फोर्स के हेडक्वार्टर तक लाइव फीड पहुंचा रहे थे।

सिर्फ सात लोगों को थी सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी
सर्जिकल स्ट्राइक का ऑपरेशन इतना गोपनीय था कि इसकी जानकारी सिर्फ सात लोगों को थी। पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल ऑपरेशन के लिए कमांडो को मात्र दो घंटे का समय दिया गया था। आसमान में करीब 35 हजार फुट की ऊंचाई से भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टर इस ऑपरेशन की निगरानी कर थे। 125 कमांडो डोगरा और बिहार रेजिमेंट के थे। दोनों रेजिमेंट से तैयार विशेष संयुक्त पैरा कमांडो ने तड़के इस कार्रवाई को अंजाम दिया। कमांडो पैदल मार्ग से ही पीओके में घुसे।

सोया रह गया आतंक का आका
सर्जिकल स्ट्राइक की पाकिस्तानी सेना को जरा भी भनक नहीं लग पाई और उसकी सेना व हुक्मरान सोए रह गए। उन्हें पता तब चला जब भारत के जांबाज स्पेशल सैनिक आतंकियों का काम तमाम कर घर लौट आए थे। जैसे ही पाकिस्तान को इसकी भनक लगी उसने अपने लड़ाकू विमान सीमा पर भेजे, लेकिन वो खाली हाथ रहे। हालांकि, भारत ने इस अभियान को अंजाम देने के दौरान पाकिस्तान की किसी भी चुनौती से निपटने के भी पूरे इंतजाम कर रखे थे। यदि उसने उस दौरान कोई गुस्ताखी की होती तो ऐसा सबक मिलता कि वह कभी इस ओर देख नहीं पाता। सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद देश ने सेना के जांबाज को सलाम किया और देश का मान बढ़ने पर सभी ने गौरव अनुभव किया।

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