चुनाव के दौरान फ्री ऑफर्स पर रोक लगे:सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से रास्ता निकालने को कहा; पॉलिटिकल पार्टियां देती हैं प्रलोभन
वोटर्स को लुभाने के लिए मुफ्त की योजनाओं की घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च को आपत्ति जताई थी, जिस पर याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली थी, लेकिन मंगलवार को कोर्ट ने इसी तरह के एक दूसरे पेंडिंग मामले में सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाओं पर रोक लगाने की बात कही है। इसके लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया है, कि जल्द से जल्द इस दिशा में कोई रास्ता निकालें। इस मामले में अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी।
वोटर्स को लुभाने के लिए मुफ्त की योजनाओं की घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च को आपत्ति जताई थी, जिस पर याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली थी, लेकिन मंगलवार को कोर्ट ने इसी तरह के एक दूसरे पेंडिंग मामले में सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ ?
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वित्त आयोग से बात करें। मुफ्त में खर्च किए गए पैसे को ध्यान में रखकर जांच करें।
- चुनाव आयोग ने सुझाव दिया कि सरकार इस मुद्दे से निपटने के लिए एक कानून ला सकती है।
- सरकार का यह तर्क था कि यह मामला चुनाव आयोग के क्षेत्र में आता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर स्टैंड लेने से क्यों झिझक रहा।
कपिल सिब्बल से पूछे उनके विचार
सुनवाई के दौरान किसी अन्य मामले को लेकर वकील कपिल सिब्बल भी कोर्ट में मौजूद थे। कोर्ट ने मुफ्त की योजना के इस मुद्दे पर उनसे भी उनके विचार पूछे। इस पर सिब्बल ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है, लेकिन राजनीतिक रूप से इसे नियंत्रित करना मुश्किल है। वित्त आयोग को अलग-अलग राज्यों को पैसा आवंटित करते समय उनका कर्ज और मुफ्त योजनाओं को ध्यान में रखना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार से निर्देश जारी करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। वित्त आयोग इस मुद्दे की जांच करने के लिए सही प्राधिकरण है।
अगले हफ्ते होगी सुनवाई
याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग को राज्य और राष्ट्रीय पार्टियों को ऐसे वादे करने से रोकना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते के लिए तय कर दी है।