फिल्ममेकर आनंद एल राय बोले:रक्षाबंधन का ख्याल पैंडेमिक में आया था, इंडस्ट्री में 20 साल तक इस रिश्ते के बारे में किसी ने नहीं सोचा

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निर्देशक आनंद एल राय ‘रक्षाबंधन’ फिल्म लेकर आ रहे हैं। फिल्म में चार बहनों की शादी-ब्याह की जिम्मेदारी उठाते लीड रोल में अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर नजर आएंगे। फिल्म से जुड़ी रोचक जानकारियां निर्देशक आनंद एल राय ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में दी। पढ़िए बातचीत का अंश…

पेंडेमिक के समय लगा कि पारिवारिक फिल्म बनानी चाहिए
इस फिल्म की नींव तभी पड़ गई थी, जब अपने हिसाब से कहानियां सुनानी शुरू की और ऑडियंस उसे एप्रिशिएट करना शुरू किया। पेंडेमिक का दौर चला, तब ‘अतरंगी रे’ बना रहा था। उस वक्त सोचा कि भविष्य में अगर किसी भी कहानी की जरूरत होगी, तब वह पारिवारिक फिल्म की होगी, जो दिल से हिंदुस्तानी हो। कहानी उन वैल्यूज की बात करे, जिनमें हम पलकर बड़े हुए हैं। उन सबसे बड़ी बात यह कि देश बदल रहा है और हमें बड़ा-बड़ा सोचना चाहिए। हम अपनी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ जो सच रूप में हैं, इस कहानी में उसे वैसा ही दिखा दिया।

कहानी सुनते ही अक्षय ने बोला कि मैं करूंगा:
इस कहानी पर जब सोचना शुरू किया, तब एक दिन अक्षय सर को फोन करके बोला कि ऐसी एक कहानी सोच रहा हूं। मुझे लगता है कि इसे आपको करनी चाहिए। पता नहीं किस इमोशन में, पर उन्होंने इसे सुनते ही बोला कि मैं करूंगा। अक्षय की एक जबरदस्त क्वालिटी यह है कि कहानी सुनते ही उसके इमोशन को तुरंत पकड़ लेते हैं।

अक्षय के बाद बोर्ड पर आईं भूमि:
‘अतरंगी रे’ का पहला शेड्यूल खत्म करने के बाद ही पहला लॉकडाउन लग गया, तब तीन महीने घर पर ही बैठा रहा। उस समय अक्षय सर से बात हुई और उन्होंने हामी भर दी थी। अक्षय के हां कहने के बाद भूमि पेडनेकर बोर्ड पर आईं और उसके बाद चारों बहनों का चुनाव किया गया।

नए चेहरे लेने की वजह:
मुझे एक चीज शुरू से सोच रखी थी कि बहनों के लिए जितने भी चेहरे आएं, वे फ्रेश हों। जितने नए चेहरे आएं उतना ही बेहतर होगा, क्योंकि उनके साथ किसी और कहानी का बैगेज नहीं आएगा। ये चारों बहनें सच्ची लगनी चाहिए। अक्षय कुमार के सामने चार नई बहनें दिखाई देंगी, तब वाकई में यह रक्षाबंधन लगेगा।

चारों बहनों के बिना अक्षय खाना नहीं खाते थे:
एक बताऊं तो अपने नई जनरेशन वाले एक्टर्स से बहुत खुश हूं। इनमें आत्मविश्वास की कमी नहीं है। ये अपनी तैयारी और मेहनत के साथ आते हैं। कहीं न कहीं इसकी क्रेडिट अक्षय सर को भी देना चाहूंगा, क्योंकि उन्होंने कभी इन चारों नई लड़कियों को यह महसूस होने नहीं दिया कि वे मझे हुए कलाकार हैं और वे नई हैं। अक्षय ने सबको अपना बनाकर रखा। एकदम बड़े भाई की तरह रहे। सेट पर देखते, तब यही बात नजर आती, क्योंकि वे इन चारों बहनों के बिना अक्षय खाना ही नहीं खाते थे।

विदाई सीन के समय रो पड़े अक्षय कुमार:
‌हां, फिल्म में शादी के सीन हैं। मैं डायरेक्टर हूं तो लेंस से देखता हूं। लेकिन विदाई के समय बहन कार में बैठकर जा रही है, तब अक्षय को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह सच में यहां से चली जाएगी। वे भूल गए कि लाइटें वगैरह यहां लगी हैं, थोड़ी देर बाद हम साथ ही बैठे होंगे। दोनों ऐसे रो रहे थे कि जैसे अगला शार्ट ही नहीं लगेगा। इसके बाद वह गाड़ी रुकेगी ही नहीं। एक्चुअली, हर एक्टर ने इस फिल्म में अपना मूवमेंट जिया है।

सोचा न था कि इतने सहज मिल जाएगा ‘रक्षाबंधन’ टाइटल:
फिल्म का नाम ‘रक्षाबंधन’ रखने के पीछे एक मजे की बात बताता हूं। मैंने जब बोला कि इस फिल्म का नाम ‘रक्षाबंधन’ रखते हैं, तब सबने पूछा कि पक्का? मैंने कहा- हां। इस नाम को रजिस्टर्ड करवाने के लिए दे दो। लेकिन यह टाइटल किसी न किसी के पास जरूर होगा और उससे मांगना पड़ेगा कि भई! प्लीज यह टाइटल हमें दे दो। पता करके बताओ यह कि मुझे यह रिक्वेस्ट किसके सामने जाकर करनी है। खैर, टाइटल रजिस्ट्रेशन के लिए गया तो सीधा मिल गया।

इस पर मुझे यकीन नहीं हुआ, तब मैंने कहा- नहीं, नहीं। मुझे भरोसा नहीं है। कल को बोलोगे कि नहीं मिला, तब इस बात पर उन्होंने लेटर दिखाया। मैंने कहा कि लेटर पर भी भरोसा नहीं है। एसोसिएशन को फोन करो। उन्होंने फोन लगाया, तब मैंने कहा- यह टाइटल हमें दिया है। सामने से जवाब मिला कि सर, यह आपका ही टाइटल है। मैंने कहा- एक बात बताओ कि आखिरी बार यह टाइटल कब रजिस्टर्ड हुआ था। उन्होंने बोला कि 20 साल पहले। यह सोचिए कि 20 साल तक किसी ने रक्षाबंधन के बारे में सोचा नहीं।

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