मंकीपॉक्स के 15 देशों में 100 से ज्यादा मामले सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बड़ा दावा किया है। हेल्थ एजेंसी का कहना है कि यूरोप में हाल ही में हुए बड़े सोशल इवेंट्स में सेक्शुअल कॉन्टैक्ट के जरिए यह बीमारी समलैंगिक पुरुषों में फैलने की आशंका है।
रेव पार्टी से फैला मंकीपॉक्स
WHO के एडवाइजर डॉ डेविड हेमैन ने न्यूज एजेंसी AP से बातचीत में बताया कि समलैंगिक पुरुषों में मंकीपॉक्स के संक्रमण फैलने की वजह स्पेन और बेल्जियम में हुई दो रेव पार्टीज हो सकती हैं। रेव पार्टी एक ऐसा इवेंट होता है जहां नाच-गाने और खाने-पीने के साथ ड्रग्स और सेक्स का भी इंतजाम होता है।
उधर, स्पेन की राजधानी मैड्रिड में सीनियर हेल्थ ऑफिशियल एनरिक रुइज एस्कुडेरो का कहना है कि हाल ही में हुए एक गे प्राइड इवेंट के बाद अब तक मंकीपॉक्स के 30 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इस इवेंट में करीब 80,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। इसलिए अधिकारी मंकीपॉक्स और इवेंट के कनेक्शन की जांच कर रहे हैं।
बता दें कि इससे पहले अफ्रीका के अलावा इतने बड़े लेवल पर मंकीपॉक्स का आउटब्रेक कहीं नहीं हुआ है। इसे देखते हुए WHO ने चेतावनी दी है कि किसी भी देश में इस बीमारी का एक मामला भी आउटब्रेक माना जाएगा।
मंकीपॉक्स सेक्स से फैला, लेकिन यह STD नहीं
मंकीपॉक्स का वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए फैल सकता है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स को छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है। एक मरीज संक्रमण के 4 हफ्तों तक किसी व्यक्ति को इन्फेक्ट करने में सक्षम होता है।
WHO के एडवाइजर एंडी सील ने CNBC से बातचीत में कहा कि मंकीपॉक्स एक यौन रोग यानी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिसीज (STD) नहीं है। इसका मतलब कि यह सीमेन या वजाइनल फ्लुइड्स के जरिए नहीं फैलता है। हालांकि, सेक्स के दौरान संक्रमित व्यक्ति के करीब जाने से इस बीमारी के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, सर्दी-जुकाम STD नहीं है, लेकिन यह सेक्शुअल कॉन्टैक्ट से फैल सकता है।
यूरोप में कई समलैंगिक पुरुष बीमार
फिलहाल ब्रिटेन और यूरोप में आ रहे ज्यादातर मामलों में ऐसे गे या बायसेक्शुअल पुरुषों को मंकीपॉक्स हो रहा है, जो युवा हैं और जिनका अफ्रीकी देशों से कोई लेना-देना नहीं है। स्पेन और पुर्तगाल के अधिकारियों के अनुसार, यहां सेक्शुअल हेल्थ चेकअप कराने आ रहे समलैंगिक पुरुषों में संक्रमण के पुष्टि हो रही है। वहीं, ब्रिटेन के डॉक्टर्स का मानना है कि अभी रोजाना मंकीपॉक्स के और मामले सामने आने की उम्मीद है।
फिलहाल ब्रिटेन, अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, इजराइल, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड में मंकीपॉक्स के केस सामने आए हैं।
कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया अब तेजी से मंकीपॉक्स की चपेट में आ रही है। यह बीमारी महज 15 दिन के अंदर 15 देशों में फैल गई है। सोमवार को बेल्जियम के बाद ब्रिटेन ने भी मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए 21 दिन का क्वारैंटाइन पीरियड कंपलसरी कर दिया है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि किसी भी देश में इस बीमारी का एक मामला भी आउटब्रेक माना जाएगा।
दूसरी तरफ, भारत भी मंकीपॉक्स को तेजी से फैलता देख अलर्ट हो गया है। सोमवार को मुंबई के बृहन्मुंबई नगर निगम ने कस्तूरबा अस्पताल में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के लिए 28 बेड का आइसोलेशन वॉर्ड तैयार कर दिया है। हालांकि, अभी देश में इस बीमारी का एक भी मामला नहीं मिला है।
अब तक किन देशों में फैला मंकीपॉक्स?
ब्रिटेन, अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, इजराइल, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड में मंकीपॉक्स के केस सामने आए हैं। केवल 2 हफ्तों में ही मामलों की संख्या 100 के पार जा चुकी है। हालांकि, इस बीमारी से अब तक एक भी मौत नहीं हुई है।
भारत सरकार भी एक्शन मोड में
मंकीपॉक्स को लेकर केंद्र सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को अलर्ट जारी किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे किसी भी बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट करें और सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) को भेजें।
गर्भवतियों और बच्चों को ज्यादा खतरा
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स जैसा दुर्लभ संक्रमण वैसे तो अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन यह कुछ लोगों में गंभीर साबित हो सकता है। ऐसे लोगों में छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बेहद कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग शामिल हैं। 5 साल से छोटे बच्चे इसकी चपेट में जल्दी आते हैं।
WHO इस बात से भी चिंता में है कि जिन लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हो रही है, उनमें से ज्यादातर लोगों का अफ्रीकी देशों से कोई कनेक्शन नहीं है। दरअसल, यह वायरस ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में पाया जाता है। नाइजीरिया, घाना और डीआर कांगो जैसे देशों में इसके मामले मिलना आम है।
क्या है मंकीपॉक्स, कैसे फैलता है?
- मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है, जो पहली बार 1958 में कैद किए गए बंदर में पाया गया था। 1970 में पहली बार इंसान में इसके संक्रमण के पुष्टि हुई थी। इसका वायरस चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
- मंकीपॉक्स का संक्रमण आंख, नाक और मुंह के जरिए फैल सकता है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स को छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर मवाद से भरे दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं और कुछ दिन बाद सूखकर गिर जाते हैं।