छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से बीटेक के साथ बीए भी कर सकेंगे, जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा

भारत में हायर एजुकेशन की डिमांड और सप्लाई में बहुत बड़ा गैप है। हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट आवेदन करने वाले छात्रों में से केवल 3% छात्रों को ही कैंपस में दाखिला दे पाते हैं। कई यूनिवर्सिटी कई विषयों के ऑनलाइन कोर्स और ओपेन और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स चला रहे हैं। अच्छे कोर्स होने के बावजूद उनमें सीटें खाली रह जा रही थीं। छात्र चाह कर भी एक साथ दो कोर्स में एडमिशन नहीं ले पा रहे थे।

0 999,134

नई दिल्ली। देश में छात्र अब बीटेक के साथ बीए भी कर सकेंगे। दोनों की कोर्स की डिग्री मान्य होगी। ग्रेजुशन के साथ पोस्ट ग्रेजुएशन और डिप्लोमा कोर्स करते हुए यह सुविधा मिलेगी। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी UGC ने इसकी मंजूरी दे दी है। यूनिवर्सिटीज इसी सत्र यानी 2022-23 से यह नई व्यवस्था लागू कर सकेंगी। हालांकि इसके साथ कुछ शर्तें भी होंगी।

सबसे पहले जानते हैं की UGC की नई गाइडलाइंस क्या है और यह कब से लागू होगी?

  • UGC के चेयरपर्सन एम जगदीश कुमार कहा है कि हायर एजुकेशन लेवल पर अब दो डिग्री कोर्स एक साथ किए जा सकेंगे। यानी छात्र अब बीटेक के साथ ही बीए भी कर सकेंगे।
  • नए नियम से छात्र ग्रेजुएशन, डिप्लोमा और पोस्टग्रेजुशन लेवल पर दो कोर्स कर सकेंगे। दोनों डिग्री फिजिकल मोड या एक ऑफलाइन और दूसरी ऑनलाइन हो सकती है या दोनों ही ऑफलाइन हो सकती है।
  • जगदीश कुमार ने कहा कि नई गाइडलाइंस यूनिवर्सिटी के लिए ऑप्शनल होंगे। यानी यूनिवर्सिटी चाहे तो इसे माने या न माने। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को एक ही समय में अलग-अलग स्किल्स सीखने में मदद मिलेगी।
  • उच्च शिक्षा संस्थानों की वैधानिक निकाय और काउंसिल से भी इसकी मंजूरी की आवश्यकता होगी। तभी ये लागू किया जा सकेगा।
  • यूजीसी ने उम्मीद जताई है कि सभी यूनिवर्सिटी को ऐसा करने के लिए वो प्रोत्साहित करेंगे।
  • जगदीश कुमार ने बताया कि यूनिवर्सिटीज इसी सत्र यानी 2022-23 से यह नई व्यवस्था लागू कर सकेंगी। छात्र दोनों कोर्स एक ही यूनिवर्सिटी से भी कर सकेंगे। साथ ही अलग-अलग यूनिवर्सिटी से भी। इसके साथ ही छात्र एक कोर्स को देश की यूनिवर्सिटी और दूसरे कोर्स को विदेश की यूनिवर्सिटी से भी कर सकेंगे।

छात्र किस तरह का सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन ले सकेंगे?

  • जगदीश कुमार ने बताया कि सब्जेक्ट का कॉम्बिनेशन अलग-अलग यूनिवर्सिटी में एडमिशन के क्राइटेरिया पर निर्भर होगा। यानी यह यूनिवर्सिटी के स्तर पर होगा कि वो दो डिग्री के लिए किस तरह के सब्जेक्ट्स के विकल्प देते हैं।
  • उन्होंने इसे और क्लियर करते हुए कहा कि एक छात्र साइंस और ह्यूमैनिटीज में एक साथ डिग्री ले सकेंगे या एक ही स्ट्रीम में भी दो डिग्री ले सकेंगे।
  • इस उदाहरण से समझ सकते हैं। यदि किसी छात्र ने पहले बीटेक में दाखिला ले लिया और वह बीए भी करना चाहता है तो वह कर सकता है।
  • यदि किसी यूनिवर्सिटी में बीकॉम के ऑफलाइन कोर्स की शिफ्ट इवनिंग में है और बीए की शिफ्ट मार्निंग में तो छात्र दोनों कोर्स में दाखिला ले सकता है।

छात्रों के पास किस तरह के विकल्प होंगे?

  • दो डिग्री कोर्स करने के लिए छात्र के पास 3 विकल्प हाेंगे।
  • पहला विकल्प होगा कि छात्र दोनों कोर्स फिजिकल मोड वाले ही करे। हालांकि इसमें यह देखना होगा कि दोनों डिग्री कोर्स की टाइमिंग एक न हो।
  • छात्रों के पास दूसरा विकल्प यह होगा कि वे एक कोर्स फिजिकल और दूसरा ओपेन और डिस्टेंस लर्निंग मोड में करें।
  • तीसरा विकल्प यह होगा कि दोनों कोर्स ऑनलाइन या दोनों कोर्स ओपेन और डिस्टेंस लर्निंग मोड वाले हो सकते है।
  • UGC के चेयरपर्सन एम जगदीश कुमार ने ऑफलाइन कोर्स में अटेंडेस के सवाल पर कहा कि ऐसे मामले में छात्र और कॉलेज यह देखेंगे कि एक कोर्स के क्लास का टाइम दूसरे कोर्स के टाइम से ओवरलैप नहीं हो यानी एक साथ नहीं हो।
  • नई गाइडलाइंस में स्पष्ट है कि दोनों कोर्स एक ही लेवल के हों। यानी या तो दोनों ग्रेजुएशन की डिग्री हों या दोनों पोस्ट ग्रेजुएशन की। एक पोस्ट ग्रेजुएशन और दूसरा ग्रेजुएशन की डिग्री ऐसा विकल्प इस गाइडलाइंस में नहीं है।
  • यह गाइडलाइंस एमफिल और पीएचडी के मामले में अप्लाई नहीं होगी।

क्या एडमिशन एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और अटेंडेंस नियमों को बदला जाएगा?

  • जगदीश कुमार ने कहा कि अटेंडेंस के लिए यूनिवर्सिटी को गाइडलाइन जारी करने का अधिकार होगा। ये व्यवस्था यूनिवर्सिटी के लिए अनिवार्य नहीं है बल्कि ऑप्शनल है।
  • उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र किसी भी क्षेत्र में विशेष डिग्री लेना चाहता है। इसके लिए यूनिवर्सिटी के मिनिमम क्राइटेरिया में उस विषय में बेसिक नॉलेज का होना जरूरी है।
  • उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र किसी भी क्षेत्र में एक विशेष डिग्री हासिल करने की इच्छा रखता है, लेकिन न्यूनतम मानदंड के लिए उसे विषय का बुनियादी ज्ञान होना आवश्यक है, तो वह उस विशेष पाठ्यक्रम में नामांकन करने में सक्षम नहीं हो सकता है। हालांकि यह पूर्ण रूप से कॉलेज या यूनिवर्सिटी के नियमों पर निर्भर करेगा।
  • देखा जाए तो सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों को एग्जाम के लिए मिनिमम अटेंडेंस की जरूरत होती है। हालांकि यूनिवर्सिटी को इन कोर्स के लिए मिनिमम अटेंडेंस के नियमों को रिवाइज करना पड़ सकता है। इस जगदीश कुमार कहते हैं कि UGC अटेंडेंस को लेकर कोई नियम नहीं जारी करता है बल्कि ये यूनिवर्सिटी के अपने नियम होते हैं।

UGC का यह आइडिया कितना प्रैक्टिकल है?

  • जगदीश कुमार ने कहा कि यह गाइडलाइंस सरकार की नई एजुकेशन पॉलिसी यानी NEP का ही हिस्सा है। इसमें कहा गया था कि छात्र एक साथ चाहें तो अलग अलग डिसिप्लिन की पढ़ाई कर सकते हैं और एक साथ कई तरह के स्किल हासिल कर सकते हैं।
  • यह पूछने पर कि यह आइडिया कितना प्रैक्टिकल है। जगदीश कुमार कहते हैं कि यह पूरी तरह से छात्र की क्षमता पर निर्भर करता है।
  • उन्होंने यह स्वीकार किया कि एक छात्र के लिए ऑफलाइन मोड में दो डिग्री हासिल करना काफी मुश्किल होगा लेकिन यह असंभव नहीं है।
  • उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि यदि IIT दिल्ली में बीटेक करने वाली कोई छात्रा JNU की इवनिंग शिफ्ट में बीए फ्रेंच का कोर्स करना चाहती है तो वह बहुत आसानी से कर सकती है।
  • शाम को जेएनयू में बीए फ्रेंच की पढ़ाई करना चाहती है, तो वह बहुत अच्छी तरह से सड़क पर चलकर ऐसा कर सकती है।
  • उन्होंने कहा कि यदि दो में से किसी एक डिग्री को ऑनलाइन मोड में किया जाता है तो कोई कठिनाई नहीं होगी।

छात्रों को क्या फायदा होगा?

  • भारत में हायर एजुकेशन की डिमांड और सप्लाई में बहुत बड़ा गैप है। हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट आवेदन करने वाले छात्रों में से केवल 3% छात्रों को ही कैंपस में दाखिला दे पाते हैं।
  • कई यूनिवर्सिटी कई विषयों के ऑनलाइन कोर्स और ओपेन और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स चला रहे हैं। अच्छे कोर्स होने के बावजूद उनमें सीटें खाली रह जा रही थीं। छात्र चाह कर भी एक साथ दो कोर्स में एडमिशन नहीं ले पा रहे थे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.