नई दिल्ली। एक महीने की माथापच्ची और भागदौड़ के बाद भी शांति का कोई रास्ता नहीं निकला. लिहाजा मंगलवार-बुधवार की रात चैलेंज देकर रूसी (Russia Crisis) सेना का लाव-लश्कर यूक्रेन (Ukraine Crisis) की सीमाओं के अंदर जा घुसा मतलब खूनी संग्राम शुरू हो गया. खुद की सीमाओं की सुरक्षा की खातिर रूस ने यूक्रेन (Ukraine Russia Conflict) की सीमाओं को क्या लांघा, दुनिया भर में कोहराम मच गया. रूस-यूक्रेन में छिड़ी ‘वॉर’ (Russia Ukraine Tension) से खार खाए अमेरिका ने हड़बड़ाहट में बिना आगे पीछे की सोचे-समझे आधी रात में ही रूस पर तमाम प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर डाली. रूस पर प्रतिबंध लगाने के सिवाए अमेरिका के सामने कोई और दूसरा सटीक रास्ता नहीं था. क्योंकि वह खुलकर मैदान-ए-जंग में रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच सीधे-सीधे आमना-सामना करने की हालत में फिलहाल तो कतई नहीं है.
वहीं ब्रिटेन ने रूस को कथित रूप से हड़काने के लिए बड़े-बड़े मुंहजबानी बयान देने शुरू कर दिए. ताकि जमाना यह न सोचे कि अमेरिका ने रूस पर फटाफट प्रतिबंध लगा दिए. ऐसे में रूस की लगाम कसने और यूक्रेन को उसके बम-बारूद से बचाने के लिए ब्रिटेन ने क्या किया? ब्रिटने को इसकी भी गलतफहमी थी कि उसके मुंहजुबानी कड़े रूख से. यूक्रेन की सीमा में जा घुसा रूस अपने लाव-लश्कर को शायद घबड़ाकर वापिस कर ले. यह सिर्फ ब्रिटेन के हुक्मरानों की अपनी निजी सोच थी. जिसका कोई असर न तो रूस के ऊपर पड़ना था न ही पड़ा. इस पूरे कांड में सबसे बड़ी और अहम बात यह रही कि संग्राम तो रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुआ. पाकिस्तान मगर रातों-रात रूस के (Pakistan Prime Minister Imran Khan Russia Visit) पास जा पहुंचा. मतलब जंग भले ही क्यों न रूस और यूक्रेन में छिड़ी हो. भगदड़ मगर पाकिस्तान में मची हुई है.
रूस को दुनिया की कोई ताकत नहीं बांध सकी
दुनिया की कोई ताकत या फिर किसी भी देश की बड़ी से बड़ी धमकी. रूस को उसकी सीमाओं की रक्षा करने से नहीं रोक पाई. लाख समझाने के बाद भी जब यूक्रेन नहीं समझा या चेता. तो मंगलवार-बुधवार यानी 22-23 फरवरी 2022 को आधी रात. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने टीवी न्यूज चैनल पर जंग का ऐलान कर दिया. यह कहते हुए कि हमने (रूस ने) यूक्रेन (Russia Ukraine Border) में मौजूद जिन अलगाववादी क्षेत्रों, दोनेत्सक (Donetsk) और लुहांस्क (Luhansk)को स्वतंत्र रूप में मान्यता दी है. अब यूक्रेन की फौज के हमले से उन क्षेत्रों की सुरक्षा करना भी. रूस की पहली जिम्मेदारी है. मतलब रूस को यूक्रेन की सीमाओं में अपना लाव-लश्कर ले जाकर, झोंकने का रास्ता या कहिए बहाना मिल ही गया. भले ही इसके लिए रूस को क्यों न एक महीने का लंबा इंतजार करना पड़ा हो. रूस फरवरी में हर हाल में यूक्रेन पर धावा बोलकर ही दम लेगा. हालांकि यह बात अमेरिका बीते 15 दिनों से जमाने में चीख-चीख कर बता रहा था.
अभी जंग शुरू हुई है अंत कोई नहीं जानता
सीमाओं की सुरक्षा की आड़ में शुरू हुए इस खूनी संग्राम की थाह हाल-फिलहाल ले पाना, किसी के वश की बात नजर नहीं आती है. यूक्रेन की सीमा में घुस चुके रूसी सेना के तोप-टैंकों के पहिए अब कब कहां थमेंगे? इस सवाल का उत्तर भविष्य के गर्भ और रूसी हुकूमत के जेहन में बंद है. हां, इस संग्राम में सबसे खास बात यह देखने में आ रही है कि जिस तरह बीते साल अफगानिस्तान में. पाकिस्तान बिना बुलाए मेहमान की मानिंद कूद कर पहुंच गया था. उसी तरह अब पाकिस्तान ने यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े संग्राम में भी कथित रूप से ही सही मगर, छलांग लगा दी है. रूसी सेना के यूक्रेन के अंदर घुसने से ठीक पहले दुनिया भर के कर्जदार. इंसानी दुनिया में आतंकवाद की यूनिवर्सिटी कहे जाने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान. वक्त की नजाकत भांप कर ही शायद. रातों-रात रूस जा पहुंचे. हालांकि पाकिस्तान की दलील है कि इमरान खान को रूस ने बुलाया तब गए.
पाकिस्तान के रूस पहुंचने का मतलब
ऐसे में पाकिस्तान (Pakistan Russia News) के रूस पहुंच जाने का भला क्या मतलब हो सकता है? अगर रूस के पास जाना ही था तो फिर भारत उसके पास पहले पहुंचता. वह भारत जिसकी रूस के साथ दांत काटे की दोस्ती सदियों से जमाने में जग जाहिर है. ऐसा भारत तो मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालातों पर चुपचाप पैनी नजर बनाए रखकर. रूस यूक्रेन (Russia Ukraine News) की जंग में खुद को एकदम तटस्थ रखे हुए है. पाकिस्तान (Indian Pakistan News) जिसका इस जंग से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है. वह हड़बड़ाहट में नजर आ रहा है. आखिर क्यों? इस सवाल के जवाब में पाकिस्तान ने दलील दी है कि, वह तो रूस के बुलावे पर वहां गया. चलिए मान भी लें कि रूस ने पाकिस्तान को बुला लिया. तो सवाल यह कि यूक्रेन के साथ छिड़े संग्राम में आखिर पाकिस्तान रूस के किस काम का है?
23 साल पाकिस्तान को रूस याद नहीं आया
इतिहास उठाकर देखा जाए तो यह वही पाकिस्तान है जिसे बीतेदो दशक से ज्यादा समय में, कभी भी रूस के साथ मिलकर. कदमताल करने का ख्याल नहीं आया था. अब जब दो देशों के बीच जंग छिड़ी. दुनिया भर में आतंकवाद की फैक्टरी के नाम से बदनाम. उसी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब 23 साल बाद. रातों-रात रूस पहुंच गए. आखिर क्यों ? 23 साल तक पाकिस्तान को रूस का और रूस को पाकिस्तान का हालचाल खैर-खबर लेने की सुध क्यों नहीं आई ? अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मामलों , विशेषकर भारत पाकिस्तान से जुड़े इन दोनो देशों के संबंधों के एक्सपर्ट्स की अपनी अपनी दलीलें हैं. मसलन, पाकिस्तान की रूस यात्रा का भारत को आईंदा क्या नफा नुकसान होगा? यह बाद की बात है. 23 साल लंबे अरसे बाद अचानक रातों-रातों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का यह रूसी दौरा. दुनिया भर में बदनाम हो चुके पाकिस्तान की छवि को सुधारने की एक कोशिश के रूप में जरूर देखा जा सकता है.
इन सवालों के भी जवाब तो चाहिए
अगर यह तर्क है तो फिर सवाल यह पैदा होता है कि इन बदलते हालातों में. अब पाकिस्तान के पड़ोसी मुल्क हिंदुस्तान की आईंदा क्या स्थिति होगी ? पाकिस्तान का अचानक रूस के पास जा पहुंचना कहीं, हिंदुस्तान को अपने भविष्य पर सोचने को विवश करेगा? अगर हां, तो फिर. सवाल यह निकल कर सामने आता है कि आखिर, इसकी हिंदुस्तान के पास क्या मजबूत काट होगी? हिंदुस्तान पाकिस्तान और रूस के मामलों के एक्सपर्ट्स की मानें तो, हो न हो जब रूस संकट के इस दौर में यूक्रेन से जूझने में व्यस्त है. तब संभव है कि पाई-पाई और दाने दाने को मोहताज पाकिस्तान. भले ही हिंदुस्तान के खिलाफ कुछ कर सके या न कर सके. वह इस भगदड़ में रूस से अरबों डॉलर तो झटक ही सकता है. ताकि पाकिस्तानी चूल्हों में कुछ और वक्त के लिए ही सही मगर आग तो जल सके.
भारत की चुप्पी पाकिस्तान को भारी पड़ेगी
इन सबके बीच यह भी कहा जा सकता है कि जिस तरह भारत और अमेरिका बीते कुछ वर्षें में करीब आए हैं. उसने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी थी. लिहाजा जिंदगी की जद्दोजहद में जिंदा रहने के लिए पाकिस्तान को भी. अपने खाने-कमाने का जुगाड़ कहीं से तो करना ही है. लिहाजा ऐसे में अगर पाकिस्तान, अमेरिका से आंख बचाकर रूस के पांवों में जा बैठा है. तो इसमें बुराई क्या है? हालांकि अगर इन विपरीत दिखाई दे रहे हालातों में हिंदुस्तान की बात की जाए. तो हिंदुस्तान की मौजूदा वक्त में इस मुद्दे पर “चुप्पी” ही आईंदा के लिए. हिंदुस्तान की बड़ी कूटनीति जीत में तब्दील हो सकती है. पाकिस्तान उन विपरीत हालातों में रूस पहुंचा है, जब वह (रूस) यूक्रेन से जूझ रहा है. दूसरी बात यूक्रेन विवाद पर अमेरिका और रूस के बीच पहले से ही घमासान जारी है. लिहाजा संभव है कि हिंदुस्तान का आज का सब्र या आज की उसकी “खामोशी” ही. आने वाले वक्त में पाकिस्तान को अमेरिका की नजरों से गिरवाने में कामयाब न हो जाए।