बूस्टर पर स्टडी शुरू:3000 लोगों पर होगा बूस्टर डोज का ट्रायल, 6 महीने पहले वैक्सीन लेने वाले होंगे शामिल; नतीजों से तय होगा फैसला
नई दिल्ली। देश में 3 हजार लोगों पर बूस्टर डोज का ट्रायल किया जाएगा। इस ट्रायल के नतीजों से यह तय किया जाएगा कि सभी लोगों को बूस्टर डोज लगाई जाए या नहीं। केंद्र सरकार ने बूस्टर डोज की जरूरत को जानने के लिए एक स्टडी शुरू की है, जिसमें छह महीने पहले वैक्सीन की दूसरी डोज लेने वाले लोगों को शामिल किया जाएगा।
यह स्टडी डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI) की तरफ से कराई जा रही है। इसमें कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-V वैक्सीनों को कवर किया जाएगा। स्टडी के लिए दिल्ली-NCR, गुरुग्राम और फरीदाबाद से सैंपल इकट्ठा किए जाएंगे।
ब्लड सैंपल लेने का काम शुरू
न्यूज 18 के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि यह एक एकेडमिक स्टडी है, जिसका मकसद यह समझना है कि वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी कितने समय तक रहती है। हमारी कोशिकाओं में बनने वाली इम्यूनिटी की स्टडी करने के लिए ब्लड सैंपल लेने का काम शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि हम T और B सेल के रिस्पॉन्स और एंटीबॉडीज का परीक्षण करेंगे और यह भी देखेंगे कि दूसरी डोज मिलने के छह महीने बाद शरीर में सुरक्षा का स्तर क्या है। इससे हमें यह समझ आएगा कि देश को बूस्टर डोज की जरूरत है या नहीं।
कैसे होगी स्टडी?
इस स्टडी के लिए लोगों की चार कैटेगरी तैयार की गई हैं- 40 साल से ज्यादा उम्र के लोग, 40 साल से कम उम्र के लोग, वे लोग जिन्हें वैक्सीन लगाने से पहले कोरोना इन्फेक्शन हुआ है और वे लोग जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। इन सभी लोगों की मेडिकल हिस्ट्री, वैक्सीनेशन स्टेटस और अन्य क्लिनिकल जानकारियां जुटाने के लिए आसान सवाल-जवाब तैयार किए गए हैं।
ICMR-DBT बूस्टर शॉट पर कर रहे बातचीत
वैक्सीन बूस्टर शॉट्स पर ICMR के डायरेक्टोरेट जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि बूस्टर शॉट को लेकर हम बातचीत कर रहे हैं। पॉलिसी बनाने पर विचार किया जा रहा है। ICMR और DBT साथ मिलकर वायरस को कल्चर करने का काम कर रहे हैं। हम ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन के प्रभाव को टेस्ट कर रहे हैं।