नहीं रहे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ:CDS बिपिन रावत का निधन, हेलिकॉप्टर क्रैश में पत्नी मधुलिका समेत सभी 14 लोगों की मौत

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नई दिल्ली। आखिरकार बुरी खबर आ ही गई है। जनरल बिपिन रावत नहीं रहे। वे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, यानी CDS थे। तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर उनका हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। उसमें जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत समेत सेना के 14 लोग सवार थे। इस हादसे में सभी 14 लोगों की मौत हो गई है।

रक्षा सूत्रों के मुताबिक जनरल रावत की मौत की खबर की पुष्टि के बाद प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी, यानी CCS की शाम 6.30 बजे बैठक बुलाई है। इसके बाद मौत की औपचारिक घोषणा की जा सकती है।

इससे पहले हादसे के बाद सभी घायलों को गंभीर हालत में वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया था। जहां से करीब साढ़े पांच घंटे तक खबर आती रही कि जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत कई जवान बुरी तरह घायल हैं। लेकिन फिर बारी-बारी से मौत की खबर आने लगी।

चश्मदीद बोले- आग का गोला बन गया था हेलिकॉप्टर
चश्मदीदों के मुताबिक हादसे से पहले बहुत तेज आवाज सुनाई दी। हेलिकॉप्टर पहले पेड़ों पर गिरा। इसके बाद उसमें आग लग गई, वो आग का गोला बन गया था। एक और चश्मदीद का कहना है कि उसने जलते हुए लोगों को हेलिकॉप्टर से बाहर गिरते हुए देखा।

हादसा तब हुआ जब जनरल रावत कुन्नूर में एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वापस सुलूर लौट रहे थे। हेलिपैड से 10 मिनट के दूरी पर घने जंगलों के बीच हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक हादसे की वजह खराब मौसम बताई जा रही है।

हेलिकॉप्टर में कौन-कौन सवार था
हादसे का शिकार हुए Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर में जनरल रावत उनकी पत्नी के अलावा 12 लोग और थे। इनके अलावा ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार, लांंस नायक बी. साई तेजा और हवलदार सतपाल सवार थे।

घने जंगल और कम विजिबिलिटी हादसे की वजह
दिल्ली में उच्च पदस्थ सूत्रों ने भास्कर को बताया कि हादसे की वजह घने जंगल और कम विजिबिलिटी रहे। खराब मौसम के दौरान बादलों में विजिबिलिटी कम होने की वजह से हेलिकॉप्टर को कम ऊंचाई पर उड़ान भरनी पड़ी। लैंडिंग पॉइंट से दूरी कम होने की वजह से भी हेलिकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भर रहा था। नीचे घने जंगल थे इसलिए क्रैश लैंडिंग भी फेल हो गई। इस हेलिकॉप्टर के पायलट ग्रुप कमांडर और सीओ रैंक के अधिकारी थे, ऐसे में मानवीय भूल की आशंका न के बराबर है।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने दोपहर 3 बजे ही दे दी श्रद्धांजलि
अभी जनरल बिपिन रावत के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सेना के सूत्र और कुछ पूर्व अफसरों ने जनरल बिपिन रावत की मौत को लेकर ट्वीट किया है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने जनरल बिपिन रावत को ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है।

हादसे के बाद हेलिकॉप्टर बुरी तरह से जल गया।
हादसे के बाद हेलिकॉप्टर बुरी तरह से जल गया

हेलिकॉप्टर में ये लोग सवार थे

1. जनरल बिपिन रावत

2. मधुलिका रावत

3. ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर

4. लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह

5. नायक गुरसेवक सिंह

6. नायक जितेंद्र कुमार

7. लांस नायक विवेक कुमार

8. लांंस नायक बी. साई तेजा

9. हवलदार सतपाल

चश्मदीद बोला- आग का गोला बन गया था हेलिकॉप्टर
हादसे के एक चश्मदीद ने बताया कि उसे पहले बहुत तेज आवाज सुनाई दी। हेलिकॉप्टर से पेड़ों पर गिरा। इसके बाद उसमें आग लग गई, वो आग का गोला बन गया था। एक और चश्मदीद का कहना है कि उसने जलते हुए लोगों को गिरते देखा।

बचावकर्मियों ने 2 शव बरामद किए हैं, जो करीब 85% तक जल गए थे।
बचावकर्मियों ने 2 शव बरामद किए हैं, जो करीब 85% तक जल गए थे।

रावत का हेलिकॉप्टर पहले भी क्रैश हुआ था, बच गए थे
जनरल बिपिन रावत एक बार पहले भी हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो चुके हैं। 3 फरवरी 2015 को उनका चीता हेलिकॉप्टर नगालैंड के दीमापुर में क्रैश हुआ था। तब बिपिन रावत लेफ्टिनेंट जनरल थे।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत।

पिछले महीने भी क्रैश हुआ था Mi-17, सभी 12 सवार मारे गए थे
एक महीने के अंदर देश में दूसरा Mi-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ है। पिछला चॉपर 19 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश में क्रैश हुआ था। उस घटना में चॉपर में सवार सभी 12 लोग मारे गए थे।

कारगिल में भी इस्तेमाल हुआ था Mi-17, भारी बोझ ढोने में सक्षम
जिस हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत सवार थे, वह Mi-17 सीरीज का हेलिकॉप्टर है। इस हेलिकॉप्टर को सोवियत संघ में बनाया गया था। भारत 2012 से इसे इस्तेमाल कर रहा है। यह मीडियम ट्विन टर्बाइन हेलिकॉप्टर है, जिसमें दो इंजन होते हैं। इस हेलिकॉप्टर को ट्रांसपोर्ट और बैटल दोनों ही रोल में इस्तेमाल किया जाता है।

तकनीकी तौर पर Mi-17 को इसके पिछले वर्जन Mi-8 में सुधार करके डेवलप किया गया था। इस चॉपर में भारी बोझ उठाने की क्षमता है। भारत ने कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी घुसपैठियों पर अटैक के लिए Mi-17 का इस्तेमाल किया था। दुश्मन की मिसाइल ने एक Mi-17 चॉपर को मार गिराया था। इसके बाद ही भारत ने अपने फाइटर जेट को हमले के लिए भेजा था। भारत में इसे VIP ट्रांसपोर्ट के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

दिसंबर 2019 में सरकार ने पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने की घोषणा की थी और 30 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत इस पद पर नियुक्त किए गए. तीनों सेनाओं के प्रमुख के इस पद पर नियुक्ति पाने वाले पहले अधिकारी थे. नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के छात्र रहे रावत ने साल 2016 में 27वें सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था. करीब 4 दशक लंबे करियर में रावत ने कई अहम पदों पर सेवाएं दी.

साल 1978 में भारतीय सेना में शामिल होने वाले जनरल रावत ने 17 दिसंबर 2016 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद संभाला. उनसे पहले जनरल दलबीर सिंह सुहाग इस पद पर तैनात थे. सबसे पहले 11 गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन के जवान के रूप में सेना का हिस्सा बने थे. चार दशकों की सेवा के दौरान रावत ने ब्रिगेडियर कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (GOC-C) सदर्न कमांड, मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड, कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी समेत कई बड़े पदों पर रहे. वे संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स का भी हिस्सा रहे और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली है.

पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने में रावत ने अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने साल 2015 में म्यांमार में क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन का अभियान चलाया था, जिसमें भारतीय सेना ने NSCN-K के उग्रवादियों को सफलतापूर्वक जवाब दिया था. यह मिशन रावत की अगुवाई में दीमापुर स्थित III कॉर्प्स के ऑपरेशन कमांड से चलाया गया था. वे साल 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक्स की योजना का हिस्सा रहे थे. सर्जिकल स्ट्राइक्स में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कार्रवाई को अंजाम दिया था.

जनरल रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चौहान राजपूत परिवार में हुआ. उनके पिता भी सेना में अफसर थे. दरअसल रावत के परिवार की परंपरा ही सेना में जाने की रही है. उन्होंने 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की.

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