7 राज्यों के बच्चों को लगेगी कोरोना वैक्सीन; जानिए ये कितनी सेफ? बच्चों को वैक्सीन की जरूरत है भी या नहीं?

देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की एंट्री हो चुकी है। पहले से मौजूद वैरिएंट से कई गुना ज्यादा तेजी से फैलने की वजह से माना जा रहा है कि इस पर वैक्सीन भी बेअसर हो सकती है। साथ ही अलग-अलग स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि समय के साथ शरीर में वैक्सीन द्वारा बनी एंटीबॉडी कम हो जाती है। इस वजह से कई देश लोगों को वैक्सीन का बूस्टर डोज दे रहे हैं। भारत सरकार भी जल्द ही बूस्टर डोज पर गाइडलाइन जारी कर सकती है।

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केंद्र सरकार जल्द ही 7 राज्यों में 12-17 साल के बच्चों को वैक्सीनेशन की शुरुआत करेगी। केंद्र ने इन राज्य सरकारों से कहा है कि वो ऐसे जिलों को आइडेंटिफाई करें जहां वैक्सीनेशन कम हुआ है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही बच्चों के वैक्सीनेशन पर गाइडलाइन भी जारी कर सकती है।

इसके साथ ही भारत दुनियाभर के उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जहां बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन दी जा रही है।

आइए जानते हैं, बच्चों के वैक्सीनेशन पर सरकार का क्या प्लान है? बच्चों को कौन-सी वैक्सीन दी जाएगी और ट्रायल में वो कितनी सेफ रही है? दुनिया के किन देशों में बच्चों को किन शर्तों के साथ वैक्सीन लगाई जा रही है? क्या कहीं वैक्सीनेशन के बाद बच्चों में साइड इफेक्ट भी देखने को मिला है? और बच्चों के वैक्सीनेशन पर एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?…

किन राज्यों में पहले लगेगी बच्चों को वैक्सीन?

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि जायकोव-डी को पहले महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में लगाया जाएगा। सरकार ने जायकोव-डी के एक करोड़ डोज का ऑर्डर नवंबर में ही दे दिया है। सरकार ने इन राज्यों से कहा है कि वो ऐसे जिलों को आइडेटिंफाई करें जहां वैक्सीनेशन कम हुआ है। उसके बाद ऐसे जिलों में 12-17 साल के लोगों को वैक्सीनेशन की शुरुआत होगी।

भारत में बच्चों के लिए किस वैक्सीन को अप्रूवल मिला है?

  • सरकार ने जायकोव-डी को बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए अप्रूव किया है। जायकोव डी को जायडस कैडिला ने बनाया है। DCGI ने अगस्त में कैडिला को अप्रूवल दिया था। वैक्सीन को 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन (EUI) की मंजूरी मिली है।
  • अक्टूबर में नेशनल ड्रग्स रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने कोवैक्सिन को भी बच्चों के लिए इमरजेंसी यूज की सिफारिश की थी। वैक्सीन को अब तक DCGI से अप्रूवल मिलना बाकी है। इसे 2-18 साल के बच्चों को लगाया जा सकेगा।
  • बच्चों पर और किस-किस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है?

    • 2-18 साल के 920 कैंडिडेट पर कोवैक्सिन के दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल जारी हैं। कोवैक्सिन के 2-6, 6-12 और 12-18 साल तक के बच्चों पर अलग-अलग ट्रायल चल रहे हैं।
    • बायोलॉजिकल-E की वैक्सीन कोर्बेवैक्स के भी दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल जारी हैं। कंपनी 5-18 साल उम्र के 920 कैंडिडेट पर ट्रायल कर रही है।
    • अमेरिकी वैक्सीन कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन भी दुनियाभर में बच्चों पर अपनी वैक्सीन का ट्रायल कर रही है। भारत में भी 12-17 साल के लोगों पर ये ट्रायल चल रहा है।

    क्या जायकोव-डी के बच्चों पर ट्रायल हुए हैं?

    जायडस कैडिला ने कहा है कि उसने 50 सेंटर पर 28 हजार से भी ज्यादा कैंडिडेट पर वैक्सीन का ट्रायल किया है। कंपनी का दावा है कि ये सबसे बड़ा वैक्सीन ट्रायल है। जिन 28 हजार कैंडिडेट को ट्रायल में शामिल किया गया था, उनमें से 1 हजार की उम्र 12 से 18 साल के बीच की थी। कंपनी ने कहा है कि ये ट्रायल इस एज ग्रुप में भी पूरी तरह सफल रहे हैं।

  • क्या सभी बच्चों को एक साथ लगेगी वैक्सीन?

    ये अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि कोमोरबिडिटी वाले बच्चों को पहले वैक्सीनेट किया जा सकता है। साथ ही सरकार कोमोरबिडिटी में किन बीमारियों को जोड़ा जाए और इसके लिए किन डॉक्युमेंट्स की जरूरत होगी, इस पर अभी विचार कर रही है। गाइडलाइन जारी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

    भारत में जब वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी, तब अलग-अलग प्रायोरिटी ग्रुप के आधार पर लोगों को वैक्सीनेट किया गया था। माना जा रहा है कि बच्चों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।

    बच्चों को वैक्सीन की जरूरत है भी या नहीं?

    महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक

    • वैक्सीन का प्राइमरी काम संक्रमण से रोकना नहीं बल्कि हॉस्पिटलाइजेशन और गंभीर लक्षणों को रोकना है। चूंकि बच्चों में ओमिक्रॉन या कोरोना की किसी भी वैरिएंट की वजह से गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं, इस लिहाज से बच्चों को वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है।
    • साथ ही ओमिक्रॉन के आने की वजह से कोई बदलाव नहीं हुआ है। हमने देखा है कि कोरोना के ओरिजिनल स्ट्रेन के बाद कई सारे वैरिएंट आए, लेकिन सारे वैरिएंट का बच्चों पर कोई अतिरिक्त असर नहीं पड़ा।
    • फिलहाल हाई-रिस्क कैटेगरी के बच्चों के अलावा किसी को भी वैक्सीन की जरूरत नहीं है। हालांकि एक बार देश में ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन होने के बाद बच्चों के वैक्सीनेशन पर विचार किया जा सकता है। वैक्सीन कहीं न कहीं बच्चों को प्रोटेक्ट करेगी ही।

    किन देशों में बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है?

    दुनियाभर के 40 से भी ज्यादा देश अलग-अलग शर्तों के साथ बच्चों को कोरोना वैक्सीन दे रहे हैं। क्यूबा में 2 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है तो वहीं, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस में 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन हो रहा है। अलग-अलग देशों में वैक्सीनेशन अलग-अलग शर्तों के साथ भी हो रहा है। कहीं केवल कोमोरबिडिटी वाले बच्चों को वैक्सीनेट किया जा रहा है, तो कहीं सभी को वैक्सीन लगाई जा रही है।

  • क्या कहीं बच्चों में वैक्सीन की वजह से साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं?

    • इजराइल में फाइजर की वैक्सीन लगवाने के बाद कई बच्चों के दिल की मांसपेशियों में सूजन की शिकायतें आई थीं। हालांकि इन सभी में कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। साथ ही वैक्सीन की वजह से ही सूजन आई, ये भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
    • इजराइल में मांसपेशियों में सूजन के केसेज को डिटेल में समझने के लिए न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने एक स्टडी की थी। स्टडी में सामने आया था कि 16-19 साल के 6,637 लोगों में से केवल 1 में ही इस तरह की शिकायत सामने आई थीं।
    • इसी तरह अमेरिका में दिसंबर 2020 से लेकर जून 2021 तक 687 लोगों में फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन लेने के बाद दिल की मांसपेशियों में सूजन आ गई थी। इन सभी लोगों की उम्र 30 साल से कम थी। वैक्सीन लगवाने के दो हफ्ते बाद ही ज्यादातर युवाओं में इस तरह की शिकायतें आने लगी थीं।

    इजराइल और अमेरिका में बच्चों को mRNA वैक्सीन दी जा रही है। भारत में फिलहाल जायकोव-डी को अप्रूवल मिला है, जो DNA वैक्सीन है।

ओमिक्रॉन के खतरे के बीच जल्द जारी होगी बूस्टर डोज पर गाइडलाइन, तो क्या पहली दोनों डोज हो चुकी हैं बेअसर?

देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की एंट्री हो चुकी है। पहले से मौजूद वैरिएंट से कई गुना ज्यादा तेजी से फैलने की वजह से माना जा रहा है कि इस पर वैक्सीन भी बेअसर हो सकती है। साथ ही अलग-अलग स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि समय के साथ शरीर में वैक्सीन द्वारा बनी एंटीबॉडी कम हो जाती है। इस वजह से कई देश लोगों को वैक्सीन का बूस्टर डोज दे रहे हैं। भारत सरकार भी जल्द ही बूस्टर डोज पर गाइडलाइन जारी कर सकती है।

समझते हैं, ओमिक्रॉन से निपटने क्या बूस्टर डोज लेना होगा? अभी किन-किन देशों में बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं? वहां किन शर्तों के साथ लोगों को बूस्टर डोज लग रहे हैं? क्या कोरोना को रोकने में बूस्टर डोज कारगर है? और भारत सरकार बूस्टर डोज को लेकर क्या तैयारी कर रही है?…

ओमिक्रॉन आने के बाद बूस्टर डोज की चर्चा क्यों हो रही है?

  • दुनियाभर में इस वक्त कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट ने तहलका मचा रखा है। इस वैरिएंट से संक्रमित कई लोग ऐसे भी हैं, जो फुली वैक्सीनेटेड थे। इसके बाद भी वे संक्रमित हो गए।
  • ओमिक्रॉन को डेल्टा के मुकाबले ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है, यानी ये ज्यादा तेजी से फैल रहा है। इस वजह से भी बूस्टर डोज की चर्चा होने लगी है।
  • माना जाता है कि वैक्सीन लेने के 9 महीने से 1 साल तक शरीर में एंटीबॉडी रहती है। उसके बाद यह कम होने लगती है। यानी शरीर में एंटीबॉडी लेवल बनाए रखने के लिए आपको बूस्टर डोज लेना होगा।
  • स्टडीज में सामने आया है कि कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट्स पर समय के साथ वैक्सीन की इफेक्टिवनेस भी कम होती जाती है। ओमिक्रॉन पर वैक्सीन कितनी इफेक्टिव है, अभी इसकी कोई स्टडी नहीं है। अगर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस कम होती है तो बूस्टर डोज देना होगा।

भारत सरकार बूस्टर डोज को लेकर क्या कर रही है?

  • देश की कोविड टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि सरकार गंभीर रोगियों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए वैक्सीन की एडिशनल डोज (बूस्टर डोज) पर नई पॉलिसी लाने जा रही है।
  • नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (NTAG) इस पॉलिसी को 2 हफ्ते में तैयार करेगा। NTAG देश के 44 करोड़ बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए भी नई पॉलिसी लाने जा रहा है।
  • 2 दिसंबर को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने भारत में बूस्टर डोज के रूप में कोवीशील्ड वैक्सीन के लिए ड्रग रेगुलेटर से मंजूरी मांगी है। सीरम इंस्‍टीट्यूट ने वैक्‍सीन की पर्याप्त डोज का हवाला देते हुए बूस्टर डोज के रूप में वैक्सीन के लिए मंजूरी मांगी है।
  • केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक ने भी केंद्र सरकार से अपील की है कि वो ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए बूस्टर डोज पर कोई फैसला ले। माना जा रहा है कि 15 दिन के भीतर सरकार बूस्टर डोज पर गाइडलाइन जारी कर सकती है।

तो क्या वैक्सीन की पहली दोनों डोज बेअसर हो चुकी हैं?

नहीं। दरअसल, समय के साथ शरीर में एंटीबॉडी की संख्या कम हो जाती है, इस वजह से ही बूस्टर डोज दिया जाता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पहले दोनों डोज बेअसर हो गए। बूस्टर डोज आपके शरीर में एंटीबॉडी लेवल को मेंटेन करने का काम करता है।

कहां-कहां दिया जा रहा है बूस्टर डोज?
Our World in Data के मुताबिक, दुनियाभर के 35 से भी ज्यादा देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं। अलग-अलग देशों में कोमोर्बिडिटी (एक समय में एक से ज्यादा बीमारियां होना) और अलग-अलग फैक्टर को ध्यान में रखते हुए लोगों को कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जा रहा है।

इजराइल
इजराइल सबसे पहला देश है, जिसने बूस्टर डोज देने की शुरुआत की थी। इजराइल जुलाई से ही अपने नागरिकों को वैक्सीन का बूस्टर डोज लगा रहा है। अगस्त में सिर्फ 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन का तीसरा डोज दिया जा रहा था, लेकिन फिलहाल 12 से ज्यादा उम्र के लोगों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है।

अमेरिका
सितंबर में अमेरिका ने बूस्टर डोज के लिए अप्रूवल दिया था। कहा गया था कि दोनों डोज लगवाने के 6 महीने बाद लोग बूस्टर डोज ले सकेंगे। सितंबर में ये केवल फाइजर की वैक्सीन को ही बूस्टर शॉट के लिए अप्रूवल मिला था, लेकिन फिलहाल तीन वैक्सीन के बूस्टर शॉट लग रहे हैं। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके लोग 2 महीने बाद ही तीसरा डोज भी लगवा सकते हैं। फिलहाल 18 साल से ज्यादा उम्र को कोई भी अमेरिका में बूस्टर डोज लगवा सकता है।

यूरोप
24 नवंबर को यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) ने सभी व्यस्कों के लिए बूस्टर डोज रिकमंड किया है। यूरोप के अलग-अलग देश अलग-अलग शर्तों के साथ लोगों को बूस्टर डोज दे रहे हैं। ऑस्ट्रिया, ब्रिटेन, चेक रिपब्लिक, जर्मनी, हंगरी, इटली जैसे कई देश बूस्टर डोज दे रहे हैं।

कनाडा
कनाडा ने नवंबर से बूस्टर डोज देने की शुरुआत की है। यहां पर मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन के बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं। कोमोर्बिडिटी और उम्र के हिसाब से डोज की क्वांटिटी को अलग-अलग रखा गया है। 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग फाइजर का बूस्टर डोज लगवा सकते हैं।

क्या सभी को लगाया जा रहा है बूस्टर डोज?

नहीं, अलग-अलग देशों में बूस्टर डोज के लिए अलग-अलग शर्ते हैं। कई देश केवल 40+ उम्र के लोगों को तो कई 18 से ज्यादा उम्र वालों को बूस्टर डोज दे रहे हैं।

  • अमेरिका में कोमोर्बिडिटी और रिस्क वाले एरिया में रहने/काम करने वाले 18+ उम्र के लोग बूस्टर डोज लगवा सकते हैं।
  • ब्रिटेन में केवल उन्हें ही बूस्टर डोज नहीं दिया जा रहा है, जिन्हें पहले दोनों डोज की वजह से गंभीर रिएक्शन हुआ था। बाकी लोगों को बूस्टर डोज लेने की सलाह दी गई है। कोमोर्बिडिटी वाली प्रेग्नेंट महिलाओं को भी बूस्टर डोज दिया जा रहा है।
  • कनाडा में उम्र और कोमोर्बिडिटी के हिसाब से अलग-अलग ग्रुप्स को बूस्टर डोज दिया जा रहा है।
  • इजराइल में 12 साल से ऊपर के सभी लोग बूस्टर डोज के लिए एलिजिबल हैं।
  • जापान ने नवंबर में फाइजर के बूस्टर डोज को मंजूरी दी है। दिसंबर में हेल्थकेयर वर्कर्स को भी बूस्टर डोज देने की शुरुआत हुई है। जनवरी से बुजुर्ग आबादी को बूस्टर डोज दिया जाएगा।

क्या कोरोना को रोकने में बूस्टर डोज कारगर है?

  • इजराइल में बूस्टर डोज की इफेक्टिवनेस को लेकर एक स्टडी की गई थी। 7.28 लाख लोगों पर की गई इस स्टडी में सामने आया था कि वैक्सीन का बूस्टर डोज कोरोना की वजह से हॉस्पिटलाइजेशन रोकने में 93% कारगर है। साथ ही कोरोना के गंभीर लक्षणों को रोकने में भी 92% इफेक्टिव है।
  • वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 महीने बाद एंटीबॉडी लेवल में कमी आने लगती है। इंग्लैंड में फाइजर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर की गई स्टडी में सामने आया था कि दूसरा डोज लगवाने के 2 हफ्ते तक वैक्सीन इंफेक्शन को रोकने में 90% कारगर है, लेकिन 5 महीने बाद केवल 70% ही कारगर रह जाती है। इसी स्टडी में मॉडर्ना वैक्सीन की इफेक्टिवनेस भी समय के साथ कम होती गई थी।

बूस्टर डोज पर WHO का क्या कहना है?
बूस्टर डोज पर WHO का रुख देशों के विपरीत रहा है। नवंबर में WHO चीफ ने कहा था कि बूस्टर डोज एक धांधली है और इसे रुकना चाहिए। जो देश लोगों को बूस्टर डोज दे रहे हैं, वे इसकी बजाय गरीब देशों को वैक्सीन डोनेट करें।

क्या बूस्टर डोज से किसी तरह के रिएक्शन को कोई मामला सामने आया है?
नहीं। दुनिया में अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। हालांकि, बूस्टर डोज देने के बाद आपको हल्का बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द जैसे सामान्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

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