नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरुपर्व के मौके पर देशभर के किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। PM मोदी ने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। यह ऐलान होते ही दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर पिछले एक साल से डटे किसान खुशी से झूम उठे। जश्न का माहौल है। किसान एक-दूसरे के गले मिलकर खुशी जाहिर कर रहे हैं। किसानों ने इसे लंबे संघर्ष की जीत बताया। साथ ही बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने इमरजेंसी मीटिंग बुला ली है।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार सुबह राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि केन्द्र सरकार तीनों नए कृषि कानूनों को नेक नीयत के साथ लाई थी, लेकिन भरपूर प्रयास के बाद भी यह बात हम किसानों को समझा नहीं पाए। यह कहते ही PM मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया और टिकरी बॉर्डर पर जश्न शुरू हो गया।
आमतौर पर सुबह 9 बजे के आसपास दोनों बॉर्डर पर किसानों के मंच पर हल्की चहल-पहल होती है, लेकिन कृषि कानूनों के वापस लेने की बात सुनते ही बड़ी संख्या में किसान मंच की तरफ पहुंचने शुरू हो गए हैं।
किसानों में खुशी की लहर
सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर कई किलोमीटर एरिया में किसानों के टेंट लगे हुए हैं। हालांकि, पहले के मुकाबले किसानों की संख्या बहुत कम है। सर्दी का सीजन शुरू होते ही मंच 10 बजे के बाद ही सजता है, लेकिन शुक्रवार को कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों ने अपने टेंट में ही जश्न मनाना शुरू कर दिया।
साथ ही किसान आंदोलन स्थल पर बनाए गए मुख्य मंच की तरफ बढ़ रहे हैं। कुछ देर बाद रोजाना की तरह मंच पर भाषण शुरू होगा, लेकिन अब सरकार को कोसने की बजाए कानूनों की वापसी के संघर्ष और खुशी का इजहार किया जाएगा।
एक साल चला किसानों का संघर्ष
पिछले साल नवंबर में ही पंजाब की धरती से तीनों नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का संघर्ष शुरू हुआ था। बाद में दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने डेरा जमा लिया। एक साल से सर्दी-गर्मी के बीच किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस कराने की मांग पर अड़े रहे।
पिछले 10 माह से किसानों और सरकार के बीच कानून वापसी को लेकर कोई बातचीत भी नहीं हुई, लेकिन शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करके सबको चौंका दिया।
600 किसानों की चली गई जान
कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन में अभी तक 600 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है। किसी की हार्टअटैक से, तो किसी की एक्सीडेंट में मौत हुई। इतना ही नहीं बहुत से किसानों ने आत्महत्या कर ली। आंदोलन लंबा खींचने की वजह से किसानों में भी सरकार के प्रति रोष बढ़ता जा रहा था।
इतना ही नहीं किसानों ने एक साल पूरा होने पर 26 नवंबर को आंदोलन को तेज करने के साथ ही 500 किसानों के साथ संसद कूच करने का ऐलान किया था, लेकिन शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री के कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कहते ही किसानों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।