आदेश अस्पताल में आयुष्मान बीमा योजना में घपलेबाजी करने के आरोप में DR.Vitull K. Gupta की याचिका पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, जारी किया नोटिस

-अस्पताल ने मरीजों की जाली इंट्री कर सरकारी खजाने से हासिल किए क्लेम, जांच के बावजूद नहीं हो सकी बडी कारर्वाई

बठिंडा. बठिंडा-भुच्चो रोड स्थित आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च बठिंडा में आयुष्मान भारत जन आरोग्य बीमा योजना का गलत इस्तेमाल कर सरकार से कथित धोखाधड़ी करने के मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मेडिकल इंस्टीच्यूट को नोटिस जारी किया है। इसमें प्रसिद्ध डाक्टर वितुल कुमार गुप्ता ने हाइकोर्ट के में एचसी अरोड़ा के माध्यम से याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया कि सेहत बीमा योजना में फर्जी मरीजों के नाम दर्ज कर फर्जीवाड़ा चलाया जा रहा है व सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई जा रही है। इस याचिका में हाइकोर्ट ने पंजाब सरकार के साथ पंजाब विजीलेंस ब्यूरो को भी नोटिस जारी कर जबावतलबी की है।
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार और पंजाब विजिलेंस ब्यूरो को लगाए जा रहे आरोपों की जांच करवाने को लेकर नोटिस दिया है। आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, बठिंडा द्वारा आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) और पंजाब राज्य ‘सरबत सेहत बीमा योजना (एसएसबीवाई) के तहत मेडिकल कालेज व अस्पताल को जारी किए जाने वाले फंड का भी ब्योरा मांगा है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विनोद एस भारद्वाज की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पंजाब सरकार, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, पंजाब की राज्य विजिलेंस विभाग के साथ ही मुख्य निदेशक पंजाब, सतर्कता ब्यूरो मोहाली को अगली सुनवाई में इस बाबत जबाव देने की हिदायत दी है। डां. वितुल के.गुप्ता की तरफ से दायर याचिका में मांग की है कि अस्पताल में सेहत बीमा योजना के नाम पर फर्जी मरीज दाखिल कर उनके आधार कार्ड व नीले कार्ड के आधार पर बने बीमा कार्ड जमा करवाए जा रहे हैं व इन कार्ड में अस्पताल में मरीजों को दाखिल दिखाया जा रहा है जबकि असल में उक्त मरीज अस्पताल में दाखिल ही नहीं होते हैं व कागजों में बड़े स्तर पर हेराफेरी कर स्वास्थ्य एजेंसी के एजेंटों के साथ मिलभगत कर करोड़ों रुपए सरकारी खजाने से निकलवाकर धोखाधड़ी की जा रही है। अगर इस मामले में निष्पक्षता से जांच की जाए तो सेहत बीमा योजना में हो रही बड़े स्तर पर घपलेबाजी का खुलासा हो सकता है। इस तरह का गौरखधंधा अन्य कुछ प्राइवेट अस्पताल भी कर रहे हैं जिसमें भी जांच की जरूरत है। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और पंजाब राज्य ‘सर्बत सेहत बीमा योजना’ के तहत गरीब मरीजों को इलाज देने के मामले में आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, बठिंडा के खिलाफ एक जांच सरकार व सेहत विभाग की तरफ से पहले भी की गई थी। रिपोर्ट 14 अगस्त 2020 में पेश करते कहा गया था कि एक मरीज सुखदीप सिंह की उक्त अस्पताल में दो समानांतर फाइलें बनाई थीं। एक वास्तविक उपचार के लिए और दूसरी योजना के तहत पैकेज लेने के लिए बनी थी। इसके अलावा दूसरे रोगी हरनेक सिंह के एक अन्य मामले में अस्पताल ने मरीज को गुमराह कर पहले नकद भुगतान लिया गया था और जब पंजाब स्वास्थ्य प्रणाली निगम द्वारा पूछताछ की तारीख तय की गई थी, तो राशि वापिस रोगी को दे दी गई थी, जो स्वयं अपराध स्वीकार करने के बराबर है। इस तरह से सैकड़ों मामले उक्त संस्थान के खिलाफ सामने आ चुके हैं। उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता का तर्क था कि आदेश संस्थान को सरकार द्वारा केवल डी-पैनलमेंट द्वारा छोड़ दिया गया था और कुछ समय बाद पुन: पैनलबद्ध भी किया गया। ऐसे सभी मामलों की गहन जांच करने की बजाय गरीब रोगियों को उपरोक्त दो योजनाओं के तहत मुफ्त इलाज दिया गया, ताकि धन के दुरुपयोग की वास्तविक भयावहता उजागर हो सके। लगातार गलती व घपले कर रही संस्थान पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

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