पीएम मोदी के आलोचकों को शाह का जवाब : गृहमंत्री बोले- विरोधी की बात भी धैर्य से सुनते हैं PM, जरूरी मसले पर 2-3 बैठकों के बाद ही फैसला लेते हैं

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी को केंद्र और राज्य में शासन करते हुए रविवार को 20 साल पूरे हो गए। इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने संसद टीवी बात करते हुए कहा कि वे विरोधी की बात भी धैर्य के साथ सुनते हैं और जरूरी मसलों पर 2 से 3 बार बैठक करने के बाद ही फैसला करते हैं।

शाह ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के काम करने के अंदाज को काफी करीब से देखा है। किसी मुद्दे पर जब कोई बैठक होती है तो मोदी जी कम बोलते हैं। मैंने मोदी जैसा अच्छा श्रोता नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि मोदी जी पर निरंकुश होने के जो आरोप विपक्ष लगाता है वह निराधार है।

किसानों की बेहतरी के लिए लाए कृषि सुधान कानून
शाह ने कहा कि मोदी अच्छी सलाह देने वाले लोगों की बातों को प्राथमिकता देते हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि सलाह देने वाला व्यक्ति कौन है। उनकी आलोचना करने वाले भी इस बात को मानते हैं कि इससे पहले किसी कैबिनेट ने इतने स्वतंत्र रूप से कभी काम नहीं किया।

अमित शाह ने कृषि सुधार कानूनों के मुद्दे पर भी पीएम मोदी का बचाव किया। उन्होंने कहा कि इस कानून के बारे में चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है। भाजपा सरकार ने बिल को किसानों के लिए उठाया गया जरूरी कदम करार दिया है।

1.5 लाख करोड़ किसानों के खाते में जा रहे
शाह ने कहा कि 11 करोड़ किसानों को हर साल 6 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। इसका मतलब है किसानों को हर साल 1.5 लाख करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। कुछ समय पहले यूपीए सरकार ने 60 हजार करोड़ का लोन माफ किया था। यह पैसे बैंकों को तो मिल गए थे, लेकिन किसानों के हाथों में कुछ नहीं आया था, लेकिन एनडीए सरकार के द्वार दिए गए 1.5 लाख करोड़ सीधे किसानों तक पहुंचे हैं।

शाह ने कहा कि किसानों के पास एवरेज 1.5 से 2 एकड़ जमीन है। इस पर खेती करने के लिए 6 हजार रु. दिए जा रहे हैं, जिससे किसानों को लोन नहीं लेना पड़ रहा है।

प्रशासन की बारीकियों को समझते हैं मोदी
शाह ने मोदी की लीडरशिप पर उठने वाले सवालों पर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मोदी ने जब गुजरात की कमान संभाली, वहां भाजपा की हालत अच्छी नहीं थी। जिम्मेदारी लेने के बाद उन्होंने पार्टी को नई दिशा दी। मोदी प्रशासन की बारीकियों को अच्छी तरह से समझते हैं।

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