जालंधर. जिस कलह को खत्म करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को CM की कुर्सी गंवानी पड़ी, वह अब फिर शुरू हो गई है। पंजाब कांग्रेस इंचार्ज हरीश रावत ने रविवार को कहा कि अगले चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू की अगुआई में लड़े जाएंगे। इस पर पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जाखड़ ने कहा कि रावत का यह बयान हैरान करने वाला है। यह न सिर्फ मुख्यमंत्री के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश है, बल्कि चरणजीत चन्नी के उनके CM पद पर नियुक्ति के अधिकार को भी खारिज करने की कोशिश है।
सुनील जाखड़ ने इस संबंध में एक पोस्ट के जरिए सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या पंजाब में दलित CM पार्टी की तरफ से महज औपचारिकता है। इससे वह बात भी साबित हो रही है कि CM की कुर्सी पर चन्नी होंगे, लेकिन मर्जी सिद्धू की ही चलेगी। जाखड़ के इस बयान के बाद पंजाब कांग्रेस में नई बगावत की नींव पड़ गई है। हरीश रावत पहले भी कैप्टन की अगुआई में चुनाव लड़ने का बयान दे चुके हैं। उसके कुछ दिन बाद कैप्टन को कुर्सी गंवानी पड़ी।
BJP ने भी कसा तंज
हरीश रावत के अगला चुनाव सिद्धू की अगुवाई में लड़ने के बयान पर BJP ने भी तंज कसा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि कांग्रेस ने क्या नए CM चरणजीत चन्नी को नाइट वॉचमैन बनाया है। क्या वह चौकीदार हैं, जो 90 दिन के लिए कुर्सी पर बैठेंगे। चुघ ने कहा कि कांग्रेस ने दलितों का अपमान किया है।
जाखड़ के भतीजे ने भी दिया इस्तीफा
जाखड़ के इस रुख के बाद उनके भतीजे अजयवीर जाखड़ ने पंजाब किसान कमीशन के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। जाखड़ को पहले भी इस मुद्दे पर निशाना बनाया जाता रहा है। जाखड़ ने विधायक पुत्रों को नौकरी पर सवाल खड़े किए थे, जिसके बाद उनसे भी सवाल पूछे जाते थे कि उनका भतीजा चेयरमैन कैसे बन गया। हालांकि जाखड़ यह कहते थे कि वह तरस के आधार पर चेयरमैन नहीं बने। अब अजयवीर के इस्तीफे के पीछे जाखड़ की नाराजगी सामने आ गई है।
CM पद के दावेदार थे जाखड़, विधायकों ने किया विरोध
कैप्टन की विदाई के बाद सुनील जाखड़ CM के पद के लिए कांग्रेस हाईकमान की पहली पसंद थे। जब विधायक दल की बैठक में इसका इशारा किया गया तो विधायकों ने विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि कोई सिख चेहरा ही CM होना चाहिए। इस बात पर बाद में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने भी मुहर लगाई, जिसके बाद सुनील जाखड़ CM की रेस से बाहर हो गए। इसके बाद उन्हें डिप्टी CM का पद भी ऑफर किया गया, लेकिन उन्होंने इसे नकार दिया। इससे पहले जाखड़ कैंप ने 40 विधायकों के समर्थन की हवा भी उड़ाई थी, लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं मिला।
सिद्धू और कैप्टन की कलह मिटने की थी उम्मीद
कैप्टन अमरिंदर सिंह को CM की कुर्सी से हटाने के बाद कांग्रेस हाईकमान को उम्मीद थी कि पंजाब में सब कुछ ठीक हो जाएगा। इसी वजह से सिद्धू के सुखजिंदर रंधावा को CM बनाने के विरोध को भी हाईकमान ने कबूल किया। उनकी जगह अचानक ही डिप्टी CM पद के लिए चर्चा में रहे चरणजीत चन्नी को CM बना दिया गया। कैप्टन फिलहाल शांत चल रहे हैं। हालांकि अब जाखड़ के मुद्दा उठाने के बाद कांग्रेस में नए सिरे से बगावती ग्रुप तैयार होने के आसार बन गए हैं।