तालिबानी हुकूमत LIVE:पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश के लोगों से माफी मांगी; अमेरिकी विदेश मंत्री बोले- काबुल छोड़ने से पहले गनी ने मुझसे बात की थी
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़कर भागे पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने दूसरी बार सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया है। गनी ने सोशल मीडिया पर बताया कि काबुल छोड़ना उनके जीवन का सबसे मुश्किल फैसला था। लेकिन देश के लोगों को बचाने और बंदूकों को शांत रखने के लिए यह जरूरी था। उन्होंने देश की जनता से माफी भी मांगी।
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को तालिबान के काबुल में घुसने के बाद मेरे देश छोड़ने के बाद लोगों को इसके बारे में स्पष्टीकरण देना मेरा फर्ज है। गनी ने लिखा कि पैलेस की सुरक्षा कर रहे लोगों की सलाह पर मुझे जाना पड़ा वरना 1990 के गृह युद्ध जैसा मंजर सामने आ सकता था। गनी ने कहा कि 15 अगस्त को देश छोड़ने से पहले उनकी अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात हुई थी।
जल्द दूंगा काबुल से निकलने की पूरी जानकारी
गनी ने आगे बताया कि काबुल से निकलने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी वे जल्द ही लोगों को देंगे। गनी ने कहा कि मैं और मेरी पत्नी अपनी संपत्ति को लेकर ईमानदार हैं। मैंने अपनी संपत्ति के बारे में सार्वजनिक तौर पर जानकारी भी दी है। उन्होंने कहा है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए वह अपनी और अपने सहयोगियों की संपत्ति की किसी स्वतंत्र या यूएन की एजेंसी से जांच कराने के लिए तैयार हैं।
तालिबान सरकार को 228 करोड़ रुपए की मदद देगा चीन
तालिबान द्वारा काबुल में अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा के एक दिन बाद चीन ने अफगानिस्तान को 228 करोड़ रुपए (200 मिलियन युआन) की मदद देने की घोषणा की। चीन इसमें अनाज, कोरोनावायरस के टीके सहित अन्य राहत सामग्री अफगानिस्तान सरकार को मुहैया कराएगा। तालिबान को यह राशि और सामान दान के तौर पर दी जाएगी।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अफगान आतंकवादी समूह की अंतरिम सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि यह व्यवस्था बहाल करने और अराजकता समाप्त करने के लिए एक आवश्यक कदम है। इसे पहले आज ही अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा था कि चीन, पाकिस्तान समेत कई देश तालिबानी सरकार के करीब जाएंगे। उन्होंने इसे दिलचस्प बताया था।
पाकिस्तान के खिलाफ लगातार चौथे दिन महिलाओं ने किया प्रदर्शन; बौखलाए तालिबानियों ने कोड़े बरसाए
तालिबानी बंदिशों और पाकिस्तान के दखल के खिलाफ काबुल में लगातार चौथे दिन बुधवार को भी प्रदर्शन हो रहे हैं। इनकी अगुआई महिलाएं कर रही हैं। इस दौरान तालिबानियों ने महिलाओं को रोककर विरोध और नारेबाजी बंद करने को कहा, लेकिन वे नहीं मानीं।
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए तालिबानी लड़ाकों ने महिलाओं पर ताबड़तोड़ कोड़े बरसाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं सड़क से गुजरती युवतियों को भी लड़ाकों ने बेरहमी से पीटा। दूसरी तरफ काबुल में निकाली गई पाकिस्तान विरोधी रैली के बाद तालिबान ने धमकी दी है कि सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शन नहीं चलेगा।
पंजशीर की सेना ने तालिबान की सरकार को बताया नाजायज
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार की घोषणा के बाद अब पंजशीर के लड़ाकों ने भी अपनी अलग सरकार बनाने का ऐलान किया है। नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स के नेता अहमद मसूद ने तालिबान की सरकार को नाजायज बताया है। उन्होंने कहा कि हम लोग जल्द ही अपने नेताओं और समर्थकों के साथ चर्चा कर अफगानिस्तान में एक समानांतर सरकार बनाने का ऐलान करेंगे। खामा न्यूज ने रेजिस्टेंस फोर्स के हवाले से कहा, “मसूद ने स्वीकार किया कि वे इस संक्रमणकाल में लोकतांत्रिक और वैध सरकार की स्थापना करेंगे। यह लोगों के वोटों के आधार पर बनाई लाएगी और इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी स्वीकार्य होगा।” बयान में आगे कहा गया, “तालिबान की नाजायज सरकार अफगानिस्तान, क्षेत्र और दुनिया की स्थिरता और सुरक्षा के लिए खतरा है।’
अफगानिस्तान के मसले पर पाकिस्तान और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक
अफगानिस्तान में तालिबान के अंतरिम सरकार के ऐलान के ठीक एक दिन बाद पाकिस्तान एक वर्चुअल मीटिंग कर रहा है। इस मीटिंग में चीन और ईरान के साथ ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री भी शामिल हैं। इसकी अध्यक्षता पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी कर रहे हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस बैठक में अफगानिस्तान की उपजी स्थिति में क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए साझा चुनौतियों और नए अवसरों की पहचान पर चर्चा की जाएगी।’ इससे पहले इन देशों के प्रतिनिधियों और राजदूतों ने 5 सितंबर को चर्चा की थी।
पाकिस्तान ने 200 अफगानियों को लौटाया
अफगानिस्तान में तालिबान के खौफ से हजारों अफगानी भागकर पाकिस्तान चले गए थे, लेकिन पाकिस्तान ने अब 200 लोगों को वापस भेज दिया है। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। पाकिस्तानी अखबार DAWN की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा है कि जिन लोगों को लौटाया गया है वे अवैध रूप से पाकिस्तान में घुसे थे।
तालिबानी शिक्षा मंत्री ने कहा- पीएचडी या मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं
तालिबान की सरकार का ऐलान होते ही शिक्षा को लेकर उसकी सोच का पता चल गया है। तालिबानी सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए शेख मौलवी नूरुल्लाह मुनीर ने कहा है कि पीएचडी या मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं है। मुल्लाओं और सत्ता में शामिल तालिबानी नेताओं के पास भी ये डिग्रियां नहीं हैं, यहां तक कि उनके पास तो हाईस्कूल की डिग्री भी नहीं है, लेकिन फिर भी वे ताकतवर हैं।
हेरात में तालिबान विरोधी प्रदर्शन में फायरिंग, 2 लोगों की मौत
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा करने के तीन हफ्ते बाद तालिबान मंगलवार शाम को अपनी सरकार का ऐलान कर रहा था। इसी दौरान हेरात में तालिबान विरोधी प्रदर्शन चल रहे थे। इसे रोकने के लिए तालिबान ने फायरिंग की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 8 जख्मी हो गए। इससे पहले दोपहर में काबुल में निकाली जा रही पाकिस्तान विरोधी रैली में भी तालिबान ने हवाई फायरिंग की थी। राहत की बात ये रही कि इसमें किसी की मौत नहीं हुई। हालांकि ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें प्रदर्शनकारियों पर तालिबानी बंदूकें ताने दिख रहे हैं,लेकिन लोग डरने के बजाय आतंकियों की आंख में आंख डाले नजर आ रहे हैं।
विरोध-प्रदर्शन का कवरेज कर रहे पत्रकारों को पीट रहा तालिबान
तालिबान ने इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म प्लेटफॉर्म एतिलात रोज के 3 पत्रकारों को हिरासत में लिया है। एतिलात रोज के मुताबिक संपादक खदीम हुसैन करीमी, रिपोर्टर अबर शैगान और लोतफाली सुल्तानी को हिरासत में लिया गया है। दूसरी ओर मंगलवार को काबुल में महिलाओं के प्रदर्शन कवर कर रहे 20 से ज्यादा पत्रकारों को भी हिरासत में लिया था, जिनमें से कई को बुरी तरह पीटा गया है।
फारुख अब्दुल्ला ने किया तालिबान सरकार का समर्थन
नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने तालिबान का समर्थन किया है। अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि तालिबान अच्छी तरह सरकार चलाएगा। ये भी उम्मीद करते हैं कि तालिबानी सरकार अफगानिस्तान में इस्लाम के सिद्धांतों का पालन करेगी और मानवाधिकारों का ख्याल रखेगी। उन्हें सभी देशों से दोस्ताना रिश्ते बनाने की कोशिश करनी चाहिए।’
पिछले हफ्ते फारुख अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने तालिबान को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किया था। उन्होंने कहा था कि केंद्र इस बात पर अपना रुख साफ करे क्या वह तालिबान को आतंकी संगठन मानता है या नहीं? अगर नहीं मानता है तो क्या संयुक्त राष्ट्र की आतंकी संगठनों की लिस्ट से तालिबान का नाम हटवाया जाएगा, क्योंकि भारत अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है।
भारत-रूस की चिंता- तालिबानी शासन में आतंकवाद बढ़ेगा
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को लेकर रूस और भारत की एक जैसी चिंताएं हैं। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों का मानना है कि तालिबानी शासन के चलते सेंट्रल एशिया में न सिर्फ अस्थिरता आएगी बल्कि आतंकवाद, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी का जरिया भी बन जाएगा। अफगानिस्तान के मुद्दे पर आज भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की रूस के सुरक्षा सलाहकार निकोलाई पेत्रुशेव के साथ बैठक भी हुई है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक इस बैठक में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों को लेकर भी चर्चा हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डोभाल ने अमेरिका की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (CIA) के चीफ विलियम बर्न्स से भी मुलाकात की है। हालांकि, ये पता नहीं चल पाया है कि दोनों के बीच क्या चर्चा हुई।
अमेरिका ने कहा- तालिबान से समझौता करेगा चीन
तालिबानी सरकार के ऐलान के कुछ घंटे बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन पर निशाना साधा। बाइडेन ने कहा है कि तालिबान के साथ चीन की असली समस्या है, इसलिए वह तालिबान के साथ कुछ समझौता करने की कोशिश करेगा, ये बात हम अच्छी तरह जानते हैं। पाकिस्तान, रूस और ईरान ने भी ऐसा ही किया है और ये सभी देश अब इसमें जुटे हैं कि आगे क्या करना है। बाइडेन ने कहा कि अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।
बता दें कि बाइडेन पहले ही कह चुके हैं कि तालिबान को मान्यता देना फिलहाल दूर की बात है। दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भी एक ऑनलाइन पिटीशन शुरू की है, जिसमें उन्होंने अमेरिका से अपील की है कि तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी जाए। साथ ही उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान का नया गृह मंत्री एक आतंकी है और FBI की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है।
तालिबान की सरकार में मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को मंत्री परिषद का प्रमुख यानी नई सरकार का मुखिया बनाया गया है। सरकार का नाम ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ होगा। तालिबान के प्रमुख शेख हिब्दुल्लाह अखुंदजादा सुप्रीम लीडर होंगे। उन्हें अमीर-उल-अफगानिस्तान कहा जाएगा।
मंगलवार की शाम को जिस सरकार का ऐलान किया गया, उसमें कुल 33 मंत्री शामिल हैं। दोहा में भारत से बातचीत करने वाले शेर मोहम्मद स्टेनेकजई को उप विदेश मंत्री बनाया गया है। महिलाओं को हक देने की बात कहने वाले तालिबान ने अपनी सरकार में किसी महिला को शामिल नहीं किया है।
अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड को गृह मंत्री बनाया
तालिबान ने अपनी सरकार में सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया है। आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क का चीफ सिराजुद्दीन अमेरिका की आतंकी लिस्ट में मोस्ट वॉन्टेड है। अमेरिका ने उस पर करीब 37 करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया है। सिराजुद्दीन हक्कानी का नेटवर्क पाकिस्तान से ऑपरेट होता है। दुनियाभर में कई आतंकी वारदातों के पीछे इसका हाथ रहा है।
अभी केयरटेकर सरकार, स्थाई के लिए बातचीत जारी
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बताया कि अभी एक केयरटेकर कैबिनेट सरकार की जिम्मेदारी संभालेगी। यानी यह अंतरिम सरकार है। तालिबान का कहना है कि समावेशी सरकार के गठन को लेकर चर्चा चल रही है। तालिबान ने बिना किसी समारोह के सरकार की घोषणा की है, लेकिन आज समारोह हो सकता है। तालिबान की अंतरिम सरकार की लिस्ट इस तरह है…
प्रधानमंत्री – मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद
डिप्टी PM 1 – मुल्ला बरादर
डिप्टी PM 2 – अब्दुल सलाम हनाफी
गृह मंत्री – सिराजुद्दीन हक्कानी
रक्षा मंत्री – मोहम्मद याकूब मुजाहिद
वित्त मंत्री – मुल्ला हिदायतुल्ला बदरी
विदेश मंत्री – मौलवी आमिर खान मुतक्की
शिक्षा मंत्री – शेख मौलवी नूरुल्ला मुनीर
न्याय मंत्री – मौलवी अब्दुल हकीम शरिया
उच्च शिक्षा मंत्री – अब्दुल बाकी हक्कानी
ग्रामीण विकास मंत्री – यूनुस अखुंदजादा
शरणार्थी मामलों के मंत्री – खलीलउर्रहमान हक्कानी
जन कल्याण मंत्री – मुल्ला अब्दुल मनन ओमारी
पवित्रता मंत्री – शेख मोहम्मद खालिद
मिनिस्टर ऑफ कम्युनिकेशन – नजीबुल्ला हक्कानी
माइन्स एंड पेट्रोलियम मंत्री – मुल्ला मोहम्मद अस्सा अखुंद
मिनिस्टर ऑफ इलेक्ट्रिसिटी – मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसौर
मिनिस्टर ऑफ एविएशन – हमीदुल्लाह अखुंदजादा
मिनिस्टर ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कल्चर – मुल्ला खैरुल्लाह खैरख्वाह
मिनिस्टर ऑफ इकोनॉमी – कारी दिन मोहम्मद हनीफ
हज एंड औकाफ मिनिस्टर – मौलवी नूर मोहम्मद साकिब
मिनिस्टर ऑफ बॉर्डर्स एंड ट्राइबल अफेयर्स – नूरउल्लाह नूरी
उप विदेश मंत्री – शेर मोहम्मद स्टेनेकजई (इन्होंने ही पिछले दिनों दोहा में भारत के राजदूत दीपक मित्तल से मुलाकात की थी)
उप वित्त मंत्री – मुल्ला मोहम्मद फाजिल अखुंद
संस्कृति मंत्रालय के डिप्टी मिनिस्टर – जबीउल्लाह मुजाहिद
रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ – कारी फसीहउद्दीन (ताजिक मूल के तालिबान कमांडर, इनके नेतृत्व में ही तालिबान ने पंजशीर की लड़ाई लड़ी और जीती)
सेना प्रमुख – मुल्ला फजल अखुंद
डायरेक्टर जनरल ऑफ इंटेलिजेंस – अब्दुल हक वासिक
डिप्टी चीफ ऑफ इंटेलिजेंस – मुल्ला ताज मीर जवाद
नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्यूरिटी (NDS) प्रमुख – मुल्ला अब्दुल हक वासिक
चीफ ऑफ अफगानिस्तान बैंक – हाजी मोहम्मद अद्दरैस
एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ अफेयर्स – मौलवी अहमद जान अहमदी
चीफ ऑफ स्टाफ – फसिहुद्दीन