तालिबानी हुकूमत : अमरुल्लाह सालेह बोले- तालिबान ज्यादा दिन टिक नहीं पाएगा, पंजशीर के अलावा दूसरे इलाकों में भी उसका विरोध बढ़ रहा

इस बीच, दो अमेरिकी सीनेटर्स ने कहा है कि पंजशीर को एक सुरक्षित क्षेत्र के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। अमेरिका को रेजिस्टेंस फोर्स के कुछ नेताओं को भी मान्यता देनी चाहिए। कुछ रिपोर्टों से संकेत मिले हैं कि पंजशीर की ओर जाने वाले रास्ते को तालिबान ने गुलबहार-जबल सराज इलाके में ब्लॉक कर रखा है। हालांकि तालिबान ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

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अफगानिस्तान के पंजशीर में तालिबान से जंग लड़ रहे पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कहा है कि तालिबानी हुकूमत ज्यादा दिन टिक नहीं पाएगी। सालेह का कहना है कि तालिबान के कायदे-कानून अफगानिस्तान के लोगों को मंजूर नहीं है। अफगानी ये भी मंजूर नहीं करेंगे कि कोई एक ग्रुप देश का नेता चुने, इसलिए तालिबान लंबा नहीं टिक नहीं पाएगा। सालेह का कहना है कि तालिबान न तो अफगानिस्तान में और न ही बाहर वैध। उसे जल्द गहरे सैन्य संकट का सामना करना पड़ेगा। पंजशीर के अलावा दूसरे इलाकों में भी उसका विरोध बढ़ रहा है।

काबुल एयरपोर्ट पर फिर से आतंकी हमले का खतरा
ISIS- खुरासान (ISIS-K) के फिदायीन (सुसाइड बॉम्बर) काबुल एयरपोर्ट को फिर से निशाना बना सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार देर रात चेतावनी दी कि अगले 24 से 36 घंटे में काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमला हो सकता है। बाइडेन ने कहा है कि स्थिति बेहद खतरनाक है और एयरपोर्ट पर खतरा काफी बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने शनिवार को वॉशिंगटन में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के अधिकारियों से चर्चा के बाद ये बयान दिया है।

इसके बाद अमेरिकी दूतावास ने लगातार तीसरे दिन काबुल एयरपोर्ट पर हमले के खतरे का अलर्ट जारी किया है। अमेरिका ने ताजा चेतावनी में अपने नागरिकों से कहा है कि वे काबुल एयरपोर्ट और उसके आस-पास के इलाकों से तुरंत हट जाएं। बता दें काबुल एयरपोर्ट पर खतरे को लेकर अमेरिका ने पहला अलर्ट गुरुवार को जारी किया था और उसी दिन शाम को आतंकी संगठन ISIS-खुरासान (ISIS-K) ने एयरपोर्ट पर हमला कर दिया। इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 लोगों की जान गई थी।

अमेरिका ने काबुल के हमलावरों को फिर चेताया
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हालात बेहद चिंताजनक हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने काबुल एयरपोर्ट पर हमला करने वाले ISIS-खुरासान (ISIS-K) संगठन को एक बार फिर से कड़ी चेतावनी दी है। बाइडेन ने कहा है कि हाल ही में हमने ISIS-K के खिलाफ जो ड्रोन स्ट्राइक की है, उसे आखिरी न समझें। बाइडेन ने कहा है कि काबुल के घिनौने हमले में जो भी शामिल हैं उन्हें छोड़ेंगे नहीं। अमेरिका को जब भी कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा या हमारी सेना पर हमला करेगा तो हम करारा जवाब देंगे, इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए।

अफगानिस्तान के हालात पर भारत और अमेरिकी विदेश मंत्री ने चर्चा की
अफगानिस्तान के हालात पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की है। इस दौरान अफगानिस्तान में आपसी सहयोग जारी रखने पर सहमति बनी है। बता दें कि काबुल एयरपोर्ट 31 अगस्त तक अमेरिकी सेना के कब्जे में है, 1 सितंबर से यह तालिबान के कंट्रोल में चला जाएगा। अमेरिका और भारत समेत कई देश काबुल से अपने नागरिकों को निकालने में जुटे हैं। भारत ने बीते शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान से अपने ज्यादातर लोगों को निकाल लिया है, लेकिन कुछ अभी भी अटके हुए हैं।

काबुल एयरपोर्ट के 3 प्रमुख गेट से अमेरिकी सैनिक हटे, तालिबान ने संभाला मोर्चा
अमेरिकी सैनिकों ने काबुल हवाई अड्डे के तीन गेट और कुछ अन्य हिस्सों को शनिवार को खाली कर दिया। इसके बाद तालिबान लड़ाकों ने इन इलाकों का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है। टोलो न्यूज ने इसकी पुष्टि की है। दूसरी तरफ एक वरिष्ठ अमेरिकी सैन्य अफसर ने बताया कि शनिवार को अमेरिका के ड्रोन हमले में आतंकी संगठन ISIS-K के 2 बड़े आतंकी मारे गए हैं, जबकि एक घायल हुआ है।

तालिबान ने पंजशीर में दाखिल होने का दावा किया
तालिबान ने अपने कब्जे से बचे अफगानिस्तान के एक मात्र पंजशीर प्रांत में दाखिल होने का दावा किया है। तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य अनामुल्ला समांगानी ने कहा, ‘इस्लामिक अमीरात की सेना ने शनिवार को बिना किसी विरोध और खून-खराबे के पंजशीर में एंट्री कर ली है। इस दौरान विरोधी पक्ष से उनकी कोई लड़ाई नहीं हुई।’ हालांकि, समांगानी ने ये भी कहा कि बातचीत के लिए अभी भी दरवाजे खुले हैं।

वहीं पंजशीर के लड़ाकों ने तालिबान के दावों को खोखला बताया है। नॉर्दर्न अलायंस के प्रमुख अहमद मसूद के समर्थकों ने तालिबान के दावों को खारिज किया है। रेजिस्टेंस फोर्स के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख मोहम्मद अलमास जाहिद ने कहा, ‘पंजशीर में कोई लड़ाई नहीं हुई है। यहां तालिबान की एंट्री की खबरें बेबुनियाद हैं।’

सालेह की सेना ने कपिसा प्रांत में तालिबान को खदेड़ा
अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुके तालिबान को कपिसा प्रांत में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। यहां अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के नेतृत्व में मुकाबला कर रहे नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स ने तालिबान को मुंहतोड़ जवाब दिया है। दोनों गुटों के बीच ये जंग कपिसा प्रांत के संजन और बगलान के खोस्त वा फेरेंग जिले में हो रही है। पंजशीर में सीजफायर के उल्लंघन की वजह से सालेह के लड़ाकों ने तालिबान पर पलटवार किया है।

दोनों पक्षों के बीच सीजफायर पर समझौता हुआ था
तालिबान और अहमद मसूद के प्रतिनिधिमंडल के बीच पहले दौर की वार्ता 25 अगस्त को हुई थी। इस दौरान दोनों पक्ष दूसरे दौर की वार्ता तक एक-दूसरे पर हमला नहीं करने पर सहमत हुए थे। उस वक्त रेजिस्टेंस फोर्स के मोहम्मद अलमास जाहिद ने कहा था कि दूसरे दौर की वार्ता दो दिनों में होगी। उन्होंने बातचीत विफल होने पर तालिबान को नतीजे भुगतने की चेतावनी भी दी थी।

पंजशीर के लड़ाकों के पास भारी संख्या में हथियार उपलब्ध हैं।
पंजशीर के लड़ाकों के पास भारी संख्या में हथियार उपलब्ध हैं।

अमेरिकी सांसदों ने पंजशीर को मान्यता देने की मांग की
इस बीच, दो अमेरिकी सीनेटर्स ने कहा है कि पंजशीर को एक सुरक्षित क्षेत्र के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। अमेरिका को रेजिस्टेंस फोर्स के कुछ नेताओं को भी मान्यता देनी चाहिए। कुछ रिपोर्टों से संकेत मिले हैं कि पंजशीर की ओर जाने वाले रास्ते को तालिबान ने गुलबहार-जबल सराज इलाके में ब्लॉक कर रखा है। हालांकि तालिबान ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

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