तालिबानी हुकूमत LIVE:काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले का खतरा; अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने अपने लोगों से कहा- एयरपोर्ट के पास हैं तो तुरंत हट जाएं
अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाले लोग 31 अगस्त के बाद भी वहां से निकल सकेंगे। तालिबान ने इसकी इजाजत दे दी है। न्यूज एजेंसी AFP ने जर्मन एंबेसी के हवाले से इसकी जानकारी दी है।
काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले की आशंका जताते हुए अपने नागरिकों से कहा है कि फिलहाल काबुल एयरपोर्ट पर नहीं जाएं और जो एयरपोर्ट के बाहर मौजूद हैं वहां से तुरंत हट जाएं। काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि जो अमेरिकी काबुल एयरपोर्ट के अब्बे गेट, ईस्ट गेट या नॉर्थ गेट पर मौजूद हैं, वे फौरन वहां से हट जाएं और अगले निर्देश का इंतजार करें।
अफगान संकट पर मोदी सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई
अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सरकार ने ऑपरेशन देवी शक्ति चला रखा है। इसके तहत 24 भारतीयों और 11 नेपालियों को काबुल से लेकर एयरफोर्स का विमान दिल्ली आ रहा है। अफगानिस्तान से लोगों को एयरलिफ्ट करने के साथ ही सरकार वहां के हालात पर करीब से नजर रखे हुए है। इसी सिलसिले में सरकार ने आज 11 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में सरकार सभी दलों को बताएगी कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर क्या रुख अपनाया जा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर इस बारे में जानकारी देंगे।
काबुल से निकाले गए 100 लोगों के ISIS से संबंध हो सकते हैं
अमेरिका और भारत समेत दुनिया के कई देश अपने-अपने नागरियों को अफगानिस्तान के निकाल रहे हैं। इस बीच अमेरिकी सरकार के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि काबुल से एयरलिफ्ट किए गए 100 अफगानियों के संबंध ISIS जैसे आतंकी संगठनों से हो सकते हैं और ये लोग इंटेलीजेंस एजेंसी की निगरानी लिस्ट में शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के ऑटोमेटेड बायोमीट्रिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम से इन लोगों की पहचान हुई है।
तालिबान का विरोध बढ़ने का दावा
पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के भाई अहमद वाली मसूद ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान का विरोध तेजी से बढ़ रहा है और तालिबानी इसे रोक नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर तालिबान हमला करना चाहता है तो लोगों के पास विरोध करने का हक है। पूरे अफगानिस्तान में तालिबान का विरोध काफी फैल चुका है। अहमद वाली मसूद ने पेरिस में न्यूज एजेंसी AFP से बातचीत में ये दावा किया है। बता दें अहमद वाली मसूद के भतीजे अहमद मसूद पंजशीर घाटी में अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के साथ मिलकर तालिबान के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं।
लोगों को डराने के लिए तालिबान बच्चों-बुजुर्गों की हत्या कर रहा
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबानी क्रूरता की तस्वीर हर रोज सामने आ रही है। अफगानिस्तान के पूर्व गृह मंत्री मसूद अंदाराबी ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें पोस्ट की हैं। उन्होंने दावा किया है कि लोगों को डराने के लिए तालिबान घर के सदस्यों के सामने ही बच्चों की हत्या कर रहे हैं और घरों में सोते हुए बुजुर्गों को गोलियों से भून रहे हैं।
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबानी क्रूरता की तस्वीर हर रोज सामने आ रही है। अफगानिस्तान के पूर्व गृह मंत्री मसूद अंदाराबी ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें पोस्ट की हैं। उन्होंने दावा किया है कि तालिबानी परिवार के सामने बच्चों की हत्या कर रहे हैं। घर में सो रहे बुजुर्गों को गोलियों से भून दे रहे हैं।
तालिबान का दावा-नॉर्दर्न अलायंस के कमांडर ने 300 लड़ाकों के साथ सरेंडर किया
तालिबान ने एक वीडियो जारी कर दावा किया है कि पंजशीर में विद्रोही गुट नॉर्दर्न अलायंस के एक शीर्ष कमांडर अब्दुल हमीद खुरासानी ने अपने 300 लड़ाकों के साथ समर्पण कर दिया है। खुरासानी तालिबान का कट्टर दुश्मन था और पंजशीर का चर्चित कमांडर है। इसने कुछ दिन पहले तालिबान के प्रति वफादारी दिखाई थी। खुरासानी ने कहा है कि पंजशीर के दूसरे कमांडर और लड़ाके भी खून खराबा रोकें और तालिबान के समर्थन में आएं।
इधर, टोलो न्यूज के पत्रकार जियार खान याद को तालिबान लड़ाकों ने काबुल में रिपोर्टिंग के दौरान उनके साथ मारपीट की और कैमरा तोड़ दिया। वहीं कंधार में तालिबान ने दो पाकिस्तानी पत्रकारों को पकड़ा है। बताया जा रहा है कि ये दोनों पत्रकार बिना इजाजत के वहां काम कर रहे थे।
दुनिया के सामने झुका तालिबान- 31 अगस्त के बाद भी लोगों को देश छोड़ने की इजाजत दी
अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाले लोग 31 अगस्त के बाद भी वहां से निकल सकेंगे। तालिबान ने इसकी इजाजत दे दी है। न्यूज एजेंसी AFP ने जर्मन एंबेसी के हवाले से इसकी जानकारी दी है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कई बार बोल चुके हैं कि 31 अगस्त के बाद उनकी सेना अफगानिस्तान छोड़ देगी। हालांकि सोमवार को G7 देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति से 31 अगस्त की डेडलाइन को आगे बढ़ाने की मांग की थी। फिलहाल काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिका समेत नाटो देश की सेनाओं का नियंत्रण है। यहां से अलग-अलग देशों के नागरिकों को निकाला जा रहा है।
पंजशीर में घुसे तालिबान के लड़ाके
तालिबानी कब्जे के बाद 87 हजार से ज्यादा लोगों को काबुल से निकाला गया
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अभी तक 87 हजार 900 लोगों को वहां से निकाला जा चुका है। अमेरिका ने बताया कि मंगलवार से अब तक 42 अमेरिकी सैन्य विमानों से 19 हजार लोगों को निकाला गया है। इनमें 11,200 अमेरिकी और 48 सहयोगी देशों के 7,800 नागरिक शामिल हैं।
महिलाओं के लिए तालिबानी फरमान, कहा- हमारे लड़ाके आपकी इज्जत करने के लिए ट्रेंड नहीं, घर में ही रहें
अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद कामकाजी महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर खौफजदा हैं। अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों ने इस पर चिंता जताई है। इस बीच, तालिबान के प्रवक्ता ने महिलाओं के लिए फरमान जारी किया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हमारे लड़ाके महिलाओं की इज्जत करने के लिए ट्रेंड नहीं हैं, इसलिए कामकाजी महिलाओं से हमारी अपील है कि वे काम के लिए घर से बाहर न निकलें।
पंजशीर में बगावत से घबराया पाकिस्तान, ताजिकिस्तान बोला- तालिबानी हुकूमत मंजूर नहीं
पंजशीर में तालिबान और नॉर्दर्न अलायंस के लड़ाकों के बीच जंग से तालिबान के साथ पाकिस्तान भी घबराया हुआ है। इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों को साधने की जिम्मेदारी दी है। कुरैशी बुधवार को तालिबानियों के समर्थन में पड़ोसी देशों को साधने में जुट गए। इसी सिलसिले में कुरैशी तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान पहुंचे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमाम अली रहमान ने कुरैशी से कहा है कि अफगानिस्तान में ताजिक मूल के 46% लोग रहते हैं। ताजिकिस्तान ऐसी सरकार को स्वीकार नहीं करेगा जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व न हो। उन्होंने आरोप लगाया कि अफगानिस्तान में ताजिक मूल के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। पंजशीर घाटी में भी ज्यादातर ताजिक लोग ही रहते हैं।
अफगानिस्तान की एक चौथाई आबादी ताजिक मूल की
एक अनुमान के मुताबिक अफगानिस्तान की एक चौथाई आबादी ताजिक मूल की है। ताजिक पश्तूनों के बाद अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नस्लीय समूह है। कुछ दिन पहले रूसी मीडिया में दावा किया गया था कि ताजिकिस्तान ने पंजशीर के लड़ाकों के लिए हथियार और दूसरी जरूरी चीजें भेजी हैं। हालांकि इस खबर की पुष्टि नहीं हो सकी थी।
बता दें पंजशीर इस समय चारों तरफ से तालिबान के नियंत्रण वाले इलाकों से घिरा है और वहां अभी सिर्फ हवाई रास्ते से ही जाया जा सकता है। ऐसे में ताजिकिस्तान के पंजशीर में हथियार भेजने के दावों की पुष्टि कर पाना मुश्किल है। ताजिकिस्तान के भारत से भी नजदीकी संबंध हैं।