कल्याण सिंह का निधन:उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री का लखनऊ में निधन, सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

48 दिन से लखनऊ PGI में थे भर्ती; PM मोदी और शाह लगातार ले रहे थे अपडेट, CM योगी 6 बार पहुंचे

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लखनऊ। कल्याण सिंह (बाबू जी) नहीं रहे। उन्होंने 89 साल की उम्र में SGPGI में आखिरी सांस ली। यूपी के पूर्व सीएम और राज्यपाल कल्याण सिंह दो महीने से अस्पताल में भर्ती थे। 7 दिनों से वेंटिलेटर पर थे। 21 जून को उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के कारण लखनऊ के लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद स्वास्थ्य में सुधार न होने पर 4 जुलाई को उन्हें PGI शिफ्ट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह के निधन पर दुख जताया है। योगी ने कहा कि 23 अगस्त यानी सोमवार को नरौरा में गंगा तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दिन प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश रहेगा, ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। वहीं, यूपी में 3 दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। योगी ने कहा- कल्याण सिंह दो महीने से अस्वस्थ थे। उन्होंने आज रात सवा नौ बजे आखिरी सांस ली। हम सभी दुखी है। मैं दिवंगत आत्मा के लिए शांति की कामना करता हूं।

UP में भाजपा के पहले CM थे कल्याण
कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम थे। उन्होंने पहली बार सीएम बनने के बाद मंत्रिमंडल के साथ सीधे अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी।

कल्याण सिंह की राजनीतिक जीवन यात्रा को जानिए-

  • 5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ के मढ़ौली गांव में पैदा हुए

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ था। भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे।

एक दौर में कल्याण राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर थी।

  • यूपी में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने

कल्याण सिंह 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। वह भाजपा के यूपी में पहले सीएम भी थे। पहले कार्यकाल में 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तक और दूसरी बार 21 सितंबर 1997 से 21 फरवरी 1998 तक CM रहे। हालांकि, अगले दिन 22 फरवरी 1998 को वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने और 12 नवंबर 1999 तक इस पद पर रहे।

30 अक्टूबर, 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था।

ऐसे वक्त में भाजपा ने मुलायम का मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया। कल्याण सिंह भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता सबसे ज्यादा बेताब रहती थी।

  • मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली

कल्याण सिंह ने एक साल के अंदर ही भाजपा को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया कि पार्टी ने 1991 में अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली। इसके बाद कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम बने।

सीबीआई में दायर आरोप पत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने की शपथ ली थी।

  • कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। ढांचा गिराए जाने के बाद कल्याण ने इस्तीफा सौंप दिया था।

हालांकि कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि यूपी के सीएम के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे।

  • कल्याण ने बाबरी मस्जिद गिराने की नैतिक जिम्मेदारी ली

सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही सीएम पद से इस्तीफा दे दी। लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया।

कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान हुई। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा मिली।

  • लिब्राहन आयोग ने कल्याण की आलोचना की थी

बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए लिब्राहन आयोग का गठन हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की।

कल्याण सिंह सहित कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया था। लेकिन बाद में बरी कर दिया।

कल्याण सिंह को कब कौन देखने गया-

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दो बार कल्याण सिंह को देखने PGI पहुंचे।
मुख्यमंत्री योगी 6 बार कल्याण सिंह को देखने PGI गए।

 

कल्याण से जुड़े अनसुने किस्से:एक रैली में कल्याण ने कहा था- गृहमंत्री ने मुझसे पूछा क्या कारसेवक गुंबद पर चढ़ गए हैं? मैंने जवाब दिया- उन्होंने तोड़ना शुरू कर दिया है
 

6 दिसंबर 1992 को ढांचा गिरते ही कल्याण सिंह ने खुद इस्तीफा लिखकर दे दिया था, लेकिन उन्हें जिंदगी में कभी ढांचा गिराए जाने का अफसोस नहीं था। ढांचा गिराए जाने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने एक किस्सा सुनाया था। कल्याण ने बताया था कि 6 दिसंबर 1992 को केंद्रीय गृहमंत्री ने उन्हें फोन किया। बोले- सूचना है कि कारसेवक गुंबद पर चढ़ गए हैं? मैंने उन्हें जवाब दिया कि मेरे पास तो एक कदम आगे की सूचना है कि उन्होंने गुंबद तोड़ना शुरू कर दिया है।

राम मंदिर निर्माण पर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो एक चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ढांचा ढहाए जाने का मलाल न तो तब था, न अब है। राम मंदिर बनने के फैसले से मैं इतना खुश हूं कि अब मैं चैन से मर पाऊंगा।

पढ़िए कल्याण सिंह के 4 चुनिंदा इंटरव्यू में उन्होंने क्या कहा था-

1. ढांचा था वो.. गिरा तो कीमत भी अदा कर दी

मुझे इस बात पर ऐतराज है कि लोग उसे बाबरी मस्जिद कहते हैं। वो एक ढांचा था। अयोध्या राम का जन्मस्थल है। 6 दिसंबर 1992 को जो घटना हुई, वह पूर्व नियोजित नहीं थी। लंबे समय से करोड़ों हिन्दुओं की भावनाओं को कुचला गया था। उसकी प्रतिक्रिया में यह स्वत: स्फूर्त विस्फोट था। घटना घटित हो गई तो मैंने जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। मैं किसी और को क्यों कसूरवार ठहराऊं। जो हुआ, उसकी मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। ढांचा गया तो उसकी कीमत अदा कर दी। मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। अभी और क्या कोई हमारी जान लेगा। राम मंदिर बनाने की खातिर एक क्या 10 बार सरकार कुर्बान करनी पड़ेगी तो हम तैयार हैं। ये राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न है।

( 1992 में राजीव शुक्ला को दिए एक पुराने इंटरव्यू में)

राममंदिर आंदोलन के दौरान मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ कल्याण सिंह।
राममंदिर आंदोलन के दौरान मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ कल्याण सिंह।

2. ढांचा गिराया जाना राष्ट्रीय शर्म का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व का विषय

ढांचा नहीं बचा, मुझे कोई गम नहीं इस बात का। मुझे इस बात का कोई पश्चाताप नहीं है, न ही कोई दुख है। जो हुआ वो राम मंदिर की इच्छा थी। टूटने के बाद लोग कहते हैं कि ये राष्ट्रीय शर्म का विषय है। मैं कहता हूं ये राष्ट्रीय गर्व का विषय है। ढांचा गिरने के बाद मैंने इस्तीफा दे दिया था।

(विजय त्रिवेदी को दिए एक इंटरव्यू में)

तस्वीर पुराने दिनों की है, जब कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह यूपी में साथ होते थे।
तस्वीर पुराने दिनों की है, जब कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह यूपी में साथ होते थे।

3. मुझे गर्व है कि मैंने एक भी कारसेवक के प्राण नहीं लिए

6 दिसंबर 1992 को जिला प्रशासन से एक नोट आया मुझे। उसमें लिखा था कि ढांचे की सुरक्षा के लिए चार बटालियन हमें मिल गई हैं, लेकिन अयोध्या में वो ढांचे तक नहीं पहुंच पा रही हैं। 3 लाख लोगों की भीड़ ने साकेत महाविद्यालय के पास फोर्स को रोक दिया है। मैंने लिखित में आदेश दिया कि गोली न चलाई जाए। गोली चलाने के अलावा अन्य उपाय किए जाएं। गोली नहीं चलेगी। देश भर से कारसेवक आए थे। हजारों लोग मारे जाते। मुझे इस बात पर गर्व है कि मैंने एक भी कारसेवक के प्राण नहीं लिए।

(5 अगस्त 2020 में एक टीवी चैनल काे दिया इंटरव्यू)

4. 15 अगस्त, 26 जनवरी की तरह 5 अगस्त 2020 भी इतिहास में दर्ज होगा

जब इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें 15 अगस्त, 26 जनवरी की तरह 5 अगस्त 2020 की तारीख भी अमिट हो जाएगी। इस दिन राम मंदिर के लिए भूमिपूजन हुआ। उसी पन्ने में ये भी लिखा जाएगा कि 6 दिसंबर को ढांचा चला गया था। ढांचे के साथ सरकार भी चली गई थी। मेरे जीवन की आकांक्षा थी कि राम मंदिर बने। मंदिर बनते ही मैं बहुत चैन के साथ दुनिया से विदा हो जाऊंगा।

(5 अगस्त 2020 में एक टीवी चैनल काे दिया इंटरव्यू)

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