तालिबानी हुकूमत LIVE:मुल्ला बरादर अखुंद बन सकता है राष्ट्रपति; तालिबान का दावा- अफगानिस्तान की जमीन से किसी पर हमला नहीं होने देंगे

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नई दिल्ली. अफगानिस्तान में अब तालिबान सरकार बनाने की तैयारी में है। इस चरमपंथी संगठन का सह-संस्थापक और राजनीतिक प्रमुख मुल्ला बरादर अखुंद दोहा से कंधार लौट आया है। तालिबान के शासन में वह अफगानिस्तान का राष्ट्रपति हो सकता है।

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान प्रवक्ता और तालिबानी संस्कृति परिषद का प्रमुख जबीउल्लाह मुजाहिद मंगलवार को पहली बार दुनिया के सामने आया। जबीउल्लाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तालिबानी शासन का रोडमैप रखा और कहा, ‘हम किसी के प्रति नफरत की भावना नहीं रखेंगे। हमें बाहरी या अंदरूनी दुश्मन नहीं चाहिए। साथ ही कहा कि अफगानिस्तान की जमीन से किसी देश पर हमला नहीं होने देंगे।’

काबुल एयरपोर्ट को छोड़ पूरे शहर में तालिबान का का कब्जा है। फोटो एक चेकपोस्ट पर बैठे तालिबानी लड़ाकों की है।
काबुल एयरपोर्ट को छोड़ पूरे शहर में तालिबान का का कब्जा है। फोटो एक चेकपोस्ट पर बैठे तालिबानी लड़ाकों की है।

अपडेट्स

  • ब्रिटेन ने कहा है कि वह 20,000 अफगानी शरणार्थियों के पुनर्वास की व्यवस्था करेगा। इसमें महिलाओं और धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद ने अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा के लिए 24 अगस्त को विशेष सेशन रखा है।

अमरुल्ला सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया
अफगानिस्तान में एक तरफ तालिबानी हुकूमत कायम हो रही है। वहीं उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति अशरफ गनी देश के बाहर हैं। इसलिए संविधान के मुताबिक अब मैं राष्ट्रपति हूं। मैं सभी से समर्थन की अपील करता हूं।’

तालिबान की राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तीन दिन पहले देश छोड़ दिया था। तब ये अटकलें थीं कि उनके साथ उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने भी अफगानिस्तान छोड़ दिया है। हालांकि, सालेह के बारे में बताया जा रहा है कि वे अभी पंजशीर में हैं, जहां तालिबान के खिलाफ आगे की रणनीति बनाई जा रही है।

अफगानिस्तान पर मोदी की मीटिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बने हालात पर मंगलवार को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मीटिंग ली। यह कमेटी नेशनल सिक्योरिटी के मामले देखने वाली सबसे बड़ी गवर्नमेंट बॉडी है। मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने अफगान मामलों से जुड़े अधिकारियों से कहा कि वे आने वाले दिनों में अफगानिस्तान से भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए सभी जरूरी उपाय करें।

एक सीनियर अफसर के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को न सिर्फ अपने लोगों की सुरक्षा करनी चाहिए, बल्कि हमें उन सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों को भी शरण देनी चाहिए जो भारत आना चाहते हैं। हमें अपने अफगान भाइयों और बहनों की भी हर संभव मदद करनी चाहिए, जो भारत से उम्मीद कर रहे हैं।

काबुल से 150 भारतीयों की वतन वापसी हुई
अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रुदेंद्र टंडन समेत 150 लोगों को एयरफोर्स ग्लोबमास्टर मंगलवार को दिल्ली के हिंडन एयरबेस पहुंचा। यहां से लोगों को बसों और दूसरे वाहनों के जरिए उनके घर भेजा गया। इस दौरान एयरबेस के बाहर मौजूद लोगों ने जय श्रीराम के नारे भी लगाए। न्यूज एजेंसी ANI के सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान में फंसे बाकी भारतीय भी सुरक्षित इलाके में हैं और एक-दो दिन में उन्हें भी एयरलिफ्ट कर लिया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बने हालात पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की मीटिंग की। यह कमेटी नेशनल सिक्योरिटी के मामले देखने वाली सबसे बड़ी गवर्नमेंट बॉडी है। मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने अफगान मामलों से जुड़े अधिकारियों से कहा कि वे आने वाले दिनों में अफगानिस्तान से भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए सभी जरूरी उपाय करें।

एक सीनियर अफसर के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को न सिर्फ अपने लोगों की सुरक्षा करनी चाहिए, बल्कि हमें उन सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों को भी शरण देनी चाहिए जो भारत आना चाहते हैं। हमें अपने अफगान भाइयों और बहनों की भी हर संभव मदद करनी चाहिए, जो इसके लिए भारत की ओर देख रहे हैं।

अमित शाह, राजनाथ और अजित डोभाल शामिल हुए
इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल शामिल हुए। विदेश मंत्री एस जयशंकर देश से बाहर होने की वजह से इस बातचीत में शामिल नहीं हुए।

अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रहे रुद्रेंद्र टंडन भी बैठक में मौजूद थे। टंडन मंगलवार को ही काबुल से भारत लौटे हैं। सरकार के वरिष्ठ सूत्रों ने बताया कि कमेटी को अफगानिस्तान में सुरक्षा के हालात और राजनीतिक स्थिति के बारे में जानकारी दी गई।

अपने लोगों को काबुल से ला रहा भारत
अफगानिस्तान में बढ़ते तनाव और बिगड़ते सुरक्षा हालात के मद्देनजर भारत ने दो मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भेजे थे। इनसे काबुल के दूतावास से भारतीय राजदूत और सभी स्टाफ को वापस लाया गया है। इंडियन एयरफोर्स का एक विमान मंगलवार को काबुल से भारतीय राजनयिकों, अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों और कुछ फंसे भारतीयों सहित लगभग 150 लोगों को लेकर आया।

एक और फ्लाइट से सोमवार को काबुल से लगभग 40 कर्मचारियों को निकाला गया था। मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि अभी सरकार की प्राथमिकता अफगानिस्तान में रह रहे सभी भारतीयों के बारे में पूरी जानकारी जुटाना है।

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