केंद्र और ममता में टकराव के आसार:एक्सपर्ट बोले- केंद्र ने भले बंगाल के चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली बुला लिया हो, लेकिन ममता उन्हें भेजने से इनकार कर सकती हैं

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नई दिल्ली। केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार में सोमवार को फिर टकराव के हालात बन सकते हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी अलापन बंद्योपाध्याय को 31 मई की सुबह 10 बजे तक दिल्ली रिपोर्ट करने के लिए कहा है। वे चक्रवात यास के रिव्यू के लिए शुक्रवार को बुलाई गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मीटिंग में देरी से पहुंचे थे। इसके बाद शाम को ही उन्हें दिल्ली बुलाने के आदेश जारी हो गए।

रिटायर्ड सीनियर ब्यूरोक्रेट्स और लीगल एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि केंद्र सरकार ने भले चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश दे दिया हो, लेकिन इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है। उन्हें रिलीव करना राज्य सरकार के अधिकार में आता है। ऐसे में ममता उन्हें दिल्ली भेजने से इनकार कर सकती हैं। ममता ने कुछ दिन पहले ही बंद्योपाध्याय का कार्यकाल तीन महीने बढ़ाने की बात कही थी।

केंद्र के लिए एकतरफा ट्रांसफर करना मुश्किल
भारत सरकार के पूर्व सेक्रेटरी जवाहर सरकार के मुताबिक, राज्य इस तरह के तबादलों को नियंत्रित करने वाले ऑल इंडिया सर्विस रूल्स का हवाला देकर आदेश का पोलाइटली ड्राफ्टेड रिप्लाई कर सकता है। केंद्र के लिए किसी IAS या IPS अधिकारी का एकतरफा तबादला करना मुश्किल है, जो उसके कंट्रोल में नहीं है।

ऑल इंडिया सर्विस ऑफिसर्स के डेपुटेशन पर AIS के रूल 6(1) के मुताबिक, किसी राज्य में काम कर रहे अधिकारी को राज्य की सहमति से केंद्र, किसी दूसरे राज्य या PSU में प्रतिनियुक्ति दी जा सकती है।

ट्रांसफर के लिए राज्य की सहमति जरूरी
इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (कैडर) रूल्स 1954 में बताया गया है कि किसी भी असहमति के मामले में इस पर केंद्र सरकार फैसला लेगी। संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकारें केंद्र के फैसले को लागू करेंगी। बंद्योपाध्याय के मामले में केंद्र सरकार के लिए मुश्किल यह है कि उसने न तो पश्चिम बंगाल की सहमति मांगी और न ही बंद्योपाध्याय से। इस तरह के ट्रांसफर के लिए यह जरूरी माना जाता है।

ट्रांसफर के आदेश को केंद्र के बदले के संकेत के रूप में देखा गया था, जब ममता बनर्जी ने शनिवार को PM मोदी से सियासी बदले की राजनीति को खत्म करने, चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली बुलाने के आदेश को वापस लेने और उन्हें कोरोना प्रभावितों के लिए काम करने की इजाजत देने की अपील की थी।

बंगाल के चीफ सेक्रेटरी अलापन बंद्योपाध्याय को 31 मई सुबह 10 बजे तक DoPT, दिल्ली रिपोर्ट करना है। उनका कार्यकाल कुछ दिन पहले ही 3 महीने के लिए बढ़ाया गया था।
बंगाल के चीफ सेक्रेटरी अलापन बंद्योपाध्याय को 31 मई सुबह 10 बजे तक DoPT, दिल्ली रिपोर्ट करना है। उनका कार्यकाल कुछ दिन पहले ही 3 महीने के लिए बढ़ाया गया था।

कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरता फैसला
BJP विधायक और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव ने समीक्षा बैठक में प्रोटोकॉल तोड़ा था। संविधान के मुताबिक उनका ट्रांसफर सही है। वहीं, जवाहर सरकार के मुताबिक, इसके खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल या हाई कोर्ट के जरिए कानूनी उपाय भी कर सकती है। माना जाता है कि केंद्र ने दोनों प्लेटफार्मों में चेतावनी दायर की थी।

इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस में सेक्रेटरी लेवल के पूर्व अधिकारी का कहना है कि राजनीति के अलावा केंद्र की ओर से जारी आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरता, क्योंकि केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्य की मंजूरी या केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकारी की इच्छा नहीं पूछी थी। उन्होंने बताया कि इसके बजाय केंद्र एकतरफा आदेश लेकर आया, जिसमें न तो बंद्योपाध्याय को नियुक्ति दिए जाने वाले नए पद जिक्र है न ही उनका कार्यकाल कितना रहेगा इसका।

पहले भी हुए हैं ऐसे विवाद
इससे पहले पश्चिम बंगाल से 3 IPS अधिकारियों के ट्रांसफर के एकतरफा आदेश राज्य सरकार ने नहीं माने थे। कुछ साल पहले तमिलनाडु के DGP को भी इसी तरह दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें रिलीव करने से इनकार कर दिया था।

बंद्योपाध्याय के ट्रांसफर के औचित्य पर सवाल उठाते हुए सीनियर एडवोकेट अरुणाभा घोष ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री तुरंत रिलीज ऑर्डर नहीं देती हैं, तो यह कानूनी जटिलता पैदा करेगा। घोष ने कहा कि चीफ सेक्रेटरी सीधे मुख्यमंत्री के कंट्रोल में काम करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नियम के तहत बंद्योपाध्याय का ट्रांसफर कर सकती है, लेकिन इसका समय बड़ा मसला है। क्या युद्ध के बीच में सेना के एक जनरल को हटाया जाएगा?

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