पंजाब व हरियाणा में गांवों में बढ़ते संक्रमण पर हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट, वैक्सीन बर्बादी पर भी मांगा जवाब

गत दिवस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने हाई कोर्ट को सुझाव दिया कि कानून के तहत बड़ी निजी कंपनियों को सीएसआर के जरिए अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के लिए अपने मुनाफे में से कम से कम दो प्रतिशत राशि देनी होती है।

चंडीगढ़। हरियाणा में वैक्सीन की बर्बादी पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्यों राज्य में वैक्सीन की इतनी बर्बादी हो रही है। इस पर हरियाणा के एडवोकेट जनरल बीआर महाजन ने कहा कि वह इस मामले पर अगली सुनवाई पर जवाब देंगे। इसके साथ ही हरियाणा की ओर से बताया गया कि राज्य के निजी अस्पताल इलाज के लिए कितना पैसा वसूल रहे हैं, इसकी निगरानी की जा रही है।

स्वास्थ्य अधिकारी के साथ ही अंतिम वर्ष के मेडिकल स्टूडेंट्स को भी टेली कॉलर की ड्यूटी पर लगाया गया है जो फोन पर पीड़ितों को जरूरी जानकारी दे रहे हैं। हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ को आदेश दिया है कि बड़ी निजी कंपनियों से कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के जरिए से सहयोग लें और इस राशि से अपने राज्यों के लिए सीटी-स्कैन मशीनें, आक्सीजन, वेंटिलेटर और अन्य की खरीद करें। जस्टिस राजन गुप्ता एवं जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि प्रत्येक जरूरतमंद को तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए हर संभव कदम उठाएं।

गत दिवस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने हाई कोर्ट को सुझाव दिया कि कानून के तहत बड़ी निजी कंपनियों को सीएसआर के जरिए अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के लिए अपने मुनाफे में से कम से कम दो प्रतिशत राशि देनी होती है। अगर यह बड़ी कंपनियां अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए यह राशि दें तो इससे कई बड़े अस्पतालों में सीटी स्केन मशीनें, वेंटिलेटर्स, आक्सीजन बेड लगाए जा सकते हैं। इस पर हाई कोर्ट ने अब पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को इस पर उचित कदम उठाने के आदेश दे दिए हैं।

गांवों में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामलों पर हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

पंजाब और हरियाणा के गांवों में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामलों पर हाई कोर्ट ने दोनों राज्यों से जानकारी मांगी तो दोनों राज्यों ने इस बारे में पूरी जानकारी देने के लिए हाई कोर्ट से कुछ समय दिए जाने की मांग की, जिस पर हाई कोर्ट ने 18 मई को दोनों राज्यों को इस बारे में कम से कम स्वास्थ्य सचिव स्तर के अधिकारी के जरिए जानकारी दिए जाने के आदेश दे दिए हैं।

पंजाब का आरोप, केंद्र द्वारा भेजे गए 82 में से 71 वेंटिलेटर खराब

पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने हाई कोर्ट को बताया कि उन्हें भेजे गए 82 में से 71 वेंटिलेटर खराब निकले हैं, उनके पास 24 कंटेनर्स हैं और उन्हें इससे ज्यादा की जरुरत है, उन्हें जल्द से जल्द छह और कंटेनर्स की जरुरत है। इसके अलावा हाई कोर्ट को बताया गया कि उन्हें 85 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन भेजे गए हैं जबकि उन्हें 37 हजार और इंजेक्शन की जरुरत है, इसके साथ ही पंजाब ने बताया कि उनके पास वैक्सीन भी कम है और उन्हें चार लाख वैक्सीन की तत्काल जरुरत है।

हरियाणा को पंजाब से ज्यादा आक्सीजन का कोटा

केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सालिसिटर जनरल आफ इंडिया सत्यपाल जैन ने हाई कोर्ट को बताया कि केंद्र ने पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों का आक्सीजन का कोटा बढ़ा दिया है। पंजाब का आक्सीजन का कोटा 227 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 247 मीट्रिक टन कर दिया है और वहीं हरियाणा का आक्सीजन का कोटा 267 मीट्रिक टन से बढाकर 307 मीट्रिक टन कर दिया है। जहां तक पंजाब सरकार ने भेजे गए खराब वेंटिलेटर्स की बात की है तो उसे भी जल्द से जल्द ठीक कर दिया जाएगा और साथ ही पंजाब में वैक्सीन और रेमडेसिविर की भी जल्द पर्याप्त सप्लाई कर दी जाएगी। जल्द ही राज्य को छह और कंटेनर्स भेज दिए जाएंगे। हाई कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब राज्यों को उन नियमों का पता लगाने के लिए कहा जिनके माध्यम से राज्यों में सरकारी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से कोविड -19 के लिए टीका लगाया जा सकता है।

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