बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन:अमेरिका में 12 से 15 साल के टीनएजर्स के लिए वैक्सीन को मंजूरी, ट्रायल में 100% इफेक्टिव; 2 से 11 साल वालों की बारी जल्द
भारत बयोटेक ने फरवरी में कोवैक्सिन के ट्रायल्स में बच्चों को शामिल करने की इजाजत मांगी थी, मगर उसे खारिज कर दिया गया था। उसके बाद से भारत में अभी तक कोई कंपनी बच्चों की वैक्सीन के लिए ट्रायल नहीं कर रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को यूरोप में बच्चों को लगाने की इजाजत मिलने के बाद ही भारत मे ड्रग कंट्रोलर इस बारे में विचार कर सकते हैं।
वशिंगटन। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US-FDA) ने सोमवार को 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTecch) की कोरोना वैक्सीन को इजाजत दे दी। अब तक यह वैक्सीन 16 साल से ज्यादा उम्र वालों को लगाई जा रही थी। इससे पहले कनाडा बच्चों की इस पहली वैक्सीन को इजाजत दे चुका है। ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश है। सामान्य जिंदगी की ओर लौटने की पुरजोर कोशिश में लाखों अमेरिकी परिवारों के लिए यह एक बड़ी राहत है। माना जा रहा है कि 12 से 15 साल तक के बच्चों के वैक्सीनेशन से अमेरिका में बड़ी संख्या में स्कूल और समर कैंप खुलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
अभी CDC की कमेटी डाटा का समीक्षा करेगी
अमेरिका में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए अकेले FDA की अनुमति काफी नहीं। अभी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की एक एडवाइजरी कमेटी वैक्सीन के ट्रायल से जुड़े डाटा की समीक्षा करेगी। इसके बाद ही 12 से 15 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाने की सलाह जारी करेगी।
माना जा रहा है कि CDC की कमेटी भी बच्चों को वैक्सीनेशन की इजाजत दे देगी। सैद्धांतिक रूप इसके बाद ही अमेरिका में बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू होगा।
क्लीनिकल ट्रायल्स में साफ हो चुका है कि बच्चों को सुरक्षित रूप से बड़ों को दी जा रही वैक्सीन की डोज दी जा सकती है।
क्लिनिकल ट्रायल्स में 100% कारगर साबित हुई थी वैक्सीन
- क्लिनिकल ट्रायल के दौरान फाइजर-बायोएनटेक ने 12 से 15 साल के 2,260 बच्चों को वैक्सीन की दो डोज दी या उनमें से कुछ को तीन सप्ताह के अंतर से प्लेसिबो डोज दी।
- प्लेसिबो डोज का मतलब उस डोज से होता है जो वैक्सीन नहीं होती, मगर जिसे यह डोज दी जाती उसे यही बताया जाता कि वह असली वैक्सीन है।
- रिसर्चर्स को इस दौरान सिंप्टोमैटिक कोरोना के 18 केस मिले, मगर यह सभी केस प्लेसबो शॉट वाले बच्चों के ही थे।
- इस ट्रायल से साफ हो गया कि वैक्सीन सिंप्टोमैटिक कोरोना के मामलों 100% कारगर है।
- वैक्सीन लगवाने वाले करीब 20% बच्चों को बुखार आया, जबकि 16 से 25 साल वाले युवाओं में 17% को बुखार आया था।
- फाइजर के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉ. बिल ग्रुबर का कहना है कि कम उम्र वालों को ज्यादा बुखार आना पिछले ट्रायल्स से मेल खाता है।
- 12 से 15 साल के बच्चों में इम्यून रिस्पॉन्स 16 से 25 साल वालों से ज्यादा बेहतर था।
कई माता-पिता में बच्चों को टीका नहीं लगवाना चाहते
पिछले दिनों हुए Ipsos के एक सर्वे में आधे से कुछ ही ज्यादा माता-पिता ने कहा था कि वे अपने बच्चों को तभी वैक्सीन लगवाएंगे जब वैक्सीन को अप्रूवल मिल जाएगा। ऐसे माना जा रहा कि एक बड़ी संख्या में अमेरिकी माता-पिता बच्चों को वैक्सीन लगवाने में हिचकिचाएंगे।
सितंबर में 2 से 11 साल के बच्चों के लिए अप्रूवल मांगेगी कंपनी
Pfizer-BioNTecch ने मार्च में ही 5 से 11 साल के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू किए थे। वहीं, अप्रैल में उसने 2 से 5 साल तक के बच्चों के लिए वैक्सीन के ट्रायल चालू कर दिए थे। दोनों कंपनियों का मानना है कि ट्रायल के नतीजे अच्छे होंगे। इसलिए उन्होंने सितंबर में 2 से 11 साल तक के बच्चों की कोरोना वैक्सीन को इजाजत के लिए आवेदन करने का फैसला किया है।
6 महीने से 2 साल तक बच्चों के लिए भी ट्रायल
Pfizer-BioNTecch जल्द ही 6 महीने से 2 साल तक के बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल शुरू करने जा रही हैं। यदि ये ट्रायल सफल रहे और उन्हें जरूरी अनुमति मिलती है, तो दुनिया में पहली बार नवजात से लेकर बुजुर्गों के लिए कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होगी।
बच्चों के लिए मॉडर्ना वैक्सीन के नतीजे अगले सप्ताह
12 से 17 साल तक के किशोरों के लिए मॉडर्ना की वैक्सीन के भी नतीजे अगले सप्ताह आ सकते हैं। वहीं, 6 महीने से 12 साल तक बच्चों के लिए हुए क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे जुलाई के बाद अगले छह महीनों में कभी भी आ सकते हैं।
- एस्ट्रा जेनेका भी 6 महीने और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन की टेस्टिंग कर रही है।
- जॉनसन एंड जॉनसन भी बच्चों पर वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की योजना पर काम रही है।
- नोवावैक्स ने भी 12 से 17 आयु वर्ग के 3000 किशोरों पर अपनी वैक्सीन के ट्रायल शुरू कर दिए हैं। यह ट्रायल दो साल तक चलेंगे।
भारत में बच्चों की वैक्सीन की अभी उम्मीद नहीं
भारत बयोटेक ने फरवरी में कोवैक्सिन के ट्रायल्स में बच्चों को शामिल करने की इजाजत मांगी थी, मगर उसे खारिज कर दिया गया था। उसके बाद से भारत में अभी तक कोई कंपनी बच्चों की वैक्सीन के लिए ट्रायल नहीं कर रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को यूरोप में बच्चों को लगाने की इजाजत मिलने के बाद ही भारत मे ड्रग कंट्रोलर इस बारे में विचार कर सकते हैं।