चंडीगढ़। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेकर कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि संकट के समय में मुकदमेबाजी को कुछ समय के लिए नियंत्रित किया जा सके। आदेशों के तहत 30 जून से पहले जिसकी अंतरिम जमानत या पैरोल का वक्त पूरा हो रहा था, वे अब 30 जून तक बाहर ही रहेंगे। बैंक भी किसी भी प्रकार कोई नीलामी नहीं कर सकेंगे।
यदि किसी संगीन अपराध में 7 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है तो ऐसे मामले में, जब तक कि कानून व्यवस्था कायम रखने या किसी अन्य आपात मामले में जरूरी न हो तब तक पुलिस द्वारा आपराधिक दंड संहिता की धारा 41 के प्रावधान का पालन किए बिना 30 जून तक अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
हालांकि, इन निर्देशों को गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्ति पर प्रतिबंध के रूप में न समझकर कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दृष्टिगत मौजूदा हालात का सामना करने के उद्देश्य से एक सलाह के रूप में माना जाना चाहिए। ये निर्देश सरकार को किसी भी ऐसे आदेश को रद्द करने या संशोधित करने से नहीं रोकेंगे, जिससे सार्वजनिक हित पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो।
हाईकोर्ट की ओर से निर्देशों में कहा गया है कि सभी कोर्ट, पारिवारिक न्यायालय, श्रम न्यायालय, ट्रिब्यूनल या किसी अन्य न्यायिक अथवा अर्द्ध-न्यायिक फोरम की ओर से जारी सभी अंतरिम आदेश या निर्देश 30 जून तक बढ़ाए गए हैं। जिन निर्देशों की पालना इससे पहले तक होनी थी, उसका समय 30 जून तक किया गया है, जिसमें पैराेल से लेकर अंतरिम जमानत तक शामिल हैं।
इनके अलावा किसी भी सिविल कोर्ट या किसी अन्य फोरम के समक्ष लंबित किसी भी मुकदमे या कार्रवाई में लिखित विवरण या रिटर्न दाखिल करने का समय, जब तक कि विशेष रूप से निर्देशित न किया गया हो, 30 जून तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि यह निर्देश पार्टियों को इस तरह के लिखित-बयान या रिटर्न दाखिल करने से प्रतिबंधित नहीं करेंगे। सभी अदालतों द्वारा पारित निष्कासन, बेदखली, विखंडन भी स्थगित रहेंगे। इसके साथ ही जो अंतरिम जमानत हैं, वह भी 30 जून तक रहेंगी। शर्त यह है कि कोई भी अभियुक्त ऐसी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा।
सरकार का कोई भी विभाग या नगर निगम या परिषद, बोर्ड या कोई ग्राम पंचायत या कोई अन्य स्थानीय निकाय व अन्य एजेंसी किसी भी ऐसी संपत्ति के संबंध में बेदखली और विखंडन की कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जिस पर आज से 30 जून तक किसी भी नागरिक या व्यक्ति, पक्ष या किसी भी निगमित निकाय का भौतिक या प्रतीकात्मक कब्जा है। इसी तरह, 30 जून तक कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था किसी भी नागरिक या व्यक्ति या पार्टी या किसी भी निगम व निकाय की संपत्ति के संबंध में नीलामी की कार्रवाई नहीं करेगी।
किसी को आदेशों से परेशानी है तो वह मांग सकता है राहत
निर्देशों में आगे कहा गया है कि यदि न्यायालय द्वारा पारित मौजूदा आदेश के अनुसार, अंतरिम आदेश के विस्तार से किसी भी पक्ष को अनुचित परेशानी या हानि होती है तो उसे सक्षम न्यायालय, ट्रिब्यूनल, न्यायिक या अर्ध-न्यायिक फोरम के समक्ष आवेदन करके उचित राहत मांगने की स्वतंत्रता होगी। ये निर्देश किसी भी असंतुष्ट पक्ष द्वारा दायर ऐसे आवेदन पर विचार करने के लिए न्यायालयों या फोरम के लिए प्रतिबंध नहीं माने जाएंगे। ऐसे मामलों पर मेरिट के हिसाब से विचार किया जाएगा और दूसरे पक्ष को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाएगा।