चंडीगढ़ । कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ऑक्सीजन के संकट को दूर करने के लिए पंजाब सरकार ने राज्य में ऑक्सीजन का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है। अब चाहे निजी अस्पताल हों या सरकारी अस्पताल, पंजाब सरकार ही ऑक्सीजन का आवंटन करेगी। वर्तमान में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए इंडस्ट्री को ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दिए जाने के बाद यह मांग किसी हद तक पूरी हो रही है, लेकिन पर्याप्त नहीं मानी जा सकती। वहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के निर्देश पर राज्य के उद्योग विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक शेखर की अगुवाई में ऑक्सीजन की सप्लाई पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम बना दिया गया है।
सेहत विभाग के अनुसार वर्तमान में राज्य में मेडिकल क्षेत्र में ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति बराबर-बराबर चल रही है। सरकार ने इंडस्ट्री को सप्लाई होने वाली ऑक्सीजन पर रोक लगा दी है। इंडस्ट्री में करीब 115 टन ऑक्सीजन के डिमांड थी। कुछ दिन पहले इसमें 50 फीसद कट लगाया गया था और बाद में शनिवार को मुख्यमंत्री ने इंडस्ट्री में ऑक्सीजन सप्लाई पर रोक ही लगा दी है।
पंजाब सरकार सेंट्रल पूल से मिलने वाली ऑक्सीजन की 105 मिट्रिक टन सप्लाई का आवंटन अस्पतालों को उनकी जरूरत के अनुसार करेगी, जबकि भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए केंद्र से पंजाब के लिए ऑक्सीजन का कोटा और बढ़ाने की मांग की गई है। इसके अलावा राज्य में 32 मिट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले 14 उत्पादकों को निर्देश दिए गए हैैं कि वह ऑक्सीजन की सप्लाई अस्पतालों को ही दें। सरकार इसकी मानीटरिंग भी करेगी।
पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन की एमडी तनु कश्यप ने कहा कि वर्तमान में कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए राज्य में करीब 180 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। इसमें से 105 मिट्रिक टन ऑक्सीजन सेंट्रल पूल से मिल रही है और राज्य में 32 मिट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। शेष मांग प्राइवेट प्लेयर्स से पूरी की जा रही है। वर्तमान में मांग और आपूर्ति बराबर है लेकिन भविष्य में इसकी मांग और बढ़ेगी। उधर, ऑक्सीजन को लेकर कंट्रोल रूम बनाए जाने के बाद उद्योग व सेहत विभाग के अधिकारियों के बीच दिन में कई बैठकें हुईं। इन बैठकों में लोगों की जान बचाने को प्राथमिकता देने के लिए सभी अस्पतालों में मांग के अनुरूप ऑक्सीजन सप्लाई किए जाने का फैसला लिया गया।