कोटकपूरा केस:हाईकोर्ट ने कहा मुख्यमंत्री व्यवस्था बिगड़ने पर डीजीपी से बात करे तो ये आपराधिक साजिश नहीं

पंजाब हाईकोर्ट का फैसला जारी, पूर्व सीएम परकाश सिंह बादल को क्लीन चिट हाईकोर्ट ने दोबारा एसआईटी गठन के आदेश दिए

चंडीगढ़। कोटकपूरा फायरिंग केस में अब तक की जांच को खारिज करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं। जस्टिस राजबीर सेहरावत ने फैसले में ना केवल पूर्व मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल को इस मामले में क्लीन चिट दी है बल्कि आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।

89 पेज का फैसला शुक्रवार को रिलीज करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को इस मामले में नए सिरे से स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन करने के आदेश दिए हैं जिसमें आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह न हों। फैसले में कहा गया कि कानून व्यवस्था बिगड़ने के समय यदि कोई मुख्यमंत्री डीजीपी से बात करे तो इसे आपराधिक साजिश का नाम नहीं दिया जा सकता। यदि इस तरह से परिस्थितियों को देखा जाए तो फिर प्रत्येक मुख्यमंत्री को अपराधिक साजिश रचने का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यदि मुख्यमंत्री ऐसी परिस्थितियों में स्थानीय प्रशासन अथवा पुलिस प्रमुख से बात ना करते तो फिर उन्हें इसके लिए लापरवाही का दंश झेलना पड़ता।

मुख्यमंत्री का इस मामले में लगातार पुलिस प्रशासन से संपर्क में रहना यह भी बताता है कि वह इस मामले को लेकर गंभीर थे। यदि कत्लेआम की साजिश रची जाती तो यह घटना से पहले ही इसका ताना-बाना बुना जा चुका होता। लेकिन ऐसा कोई भी साक्ष्य कोर्ट में पेश नहीं किया गया।

टिप्पणी- कुंवर विजय प्रताप ने पद का दुरुपयोग किया

हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह ने ना केवल पद का दुरुपयोग किया बल्कि राजनीतिक स्वार्थ साधने में मदद का भी काम किया। चुनावों के दौरान ही कुंवर ने इस मामले में कई बड़े नेताओं क नाम लिया जिससे पता चलता है कि वह कहीं ना कहीं एक राजनीतिक पार्टी को लाभ पहुंचाने का काम कर रहे थे। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा, इससे पहले भी फरीदकोट के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज को पत्र लिख कुंवर विजय प्रताप सिंह ने सीजीएम के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई करने की मांग संबंधी पत्र लिखा। यह शरारत कोर्ट को दबाव में लेने के लिए की गई थी।

जांच में कोई मटीरियल एविडेंस नहीं

हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि कुंवर विजय प्रताप सिंह की जांच मैं कोई मटीरियल एविडेंस नहीं है। जांच शुरू करने से पहले ही कुंवर विजय प्रताप सिंह ने कहा था कि शांति पूर्वक बैठे लोगों पर पुलिस ने गोली चलाई। इससे पता चलता है कि जांच पहले से तय की गई सोच पर ही आधारित रही है।

मामला- गुरदीप, पुलिस मुलाजिमों ने दी थी याचिका

गुरदीप सिंह व अन्य पुलिस मुलाजिमों की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह को जांच में शामिल न किया जाए। कहा गया कि इस मामले में सात अगस्त 2018 को हत्या का प्रयास करने के मामले में कोटकपूरा पुलिस स्टेशन में दर्ज खारिज की जाए। इससे पहले इसी मामले में 14 अक्टूबर 2015 को एफआईआर दर्ज की गई थी। ऐसे में दोबारा दर्ज की गई एफआईआर अवैध है।

कुंवर ने लिया वकालत का लाइसेंस

शुक्रवार को ही कुंवर विजय प्रताप सिंह ने चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा में वकीलों की लाइसेंस अथॉरिटी बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा से वकालत का लाइसेंस हासिल किया। पुलिस सेवा से इस्तीफा देने के बाद अब वकालत का लाइसेंस लेने के बाद माना जा रहा है कि वे अपने कैरियर की दूसरी पारी की शुरुआत करेंगे।

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