महाराष्ट्र में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट:मुख्य सचिव ने किया सरकार का बचाव, बोले- इंटेलीजेंस कमिश्नर रहीं रश्मि शुक्ला ने फोन टैपिंग के अधिकार का गलत इस्तेमाल किया

अगस्त 2020 में एक फोन इंटरसेप्ट के जरिए स्टेट इंटेलिजेंस की कमिश्नर रश्मि शुक्ला को पता चला कि देशमुख ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। उन्होंने इसकी जानकारी DGP और गृह विभाग के एडिशनल सेक्रेट्री को दी थी।

मुंबई। महाराष्ट्र पुलिस डिपार्टमेंट में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट चलाने का आराेप लगाने वालीं राज्य की पूर्व इंटेलीजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राज्य के चीफ सेक्रेटरी सीताराम जे. कुंटे ने गुरुवार को अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंपी। रिपोर्ट में रश्मि शुक्ला पर फोन टैपिंग करने और गलत आधार पर जानकारी देने का आरोप लगाया गया है। इतना ही नहीं उन पर सरकार को गुमराह करने का आरोप लगा है।

टैपिंग के लिए देश की सुरक्षा का हवाला दिया
रिपोर्ट में कहा गया कि IPS अधिकारी शुक्ला ने इंडियन टेलीग्राफ अधिनियम के तहत फोन टैपिंग के लिए आधिकारिक अनुमति का दुरुपयोग किया है। शुक्ला ने देश की सुरक्षा मामले को आधार बताकर फोन टैपिंग की इजाजत ली थी, लेकिन उन्होंने सरकार को गुमराह कर पर्सनल कॉल रिकॉर्ड किए।

शुक्ला ने गृह मंत्री देशमुख से माफी मांगी थी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गलत आधार पर फोन टैपिंग की इजाजत मांगे जाने को लेकर जब रश्मि शुक्ला से जवाब मांगा गया तो उन्होंने गलती स्वीकार की और माफी मांगते हुए रिपोर्ट वापस लेने की बात कही थी। उन्होंने उस दौरान अपने पति के कैंसर से निधन और बच्चों की पढ़ाई का भी हवाला दिया था। उन्होंने CM और गृह मंत्री अनिल देशमुख से मिलकर माफी की गुजारिश की थी। पारिवारिक स्थिति को देखते हुए उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया था।

शुक्ला के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है
मुख्य सचिव ने कहा कि शुक्ला ने टॉप सीक्रेट रिपोर्ट सार्वजनिक की है। यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसलिए उन पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि शुक्ला की 25 अगस्त, 2020 की रिपोर्ट में गृह मंत्री देशमुख समेत कई प्रमुख हस्तियों के खिलाफ झूठा आरोप लगाया गया है।

उन्होंने बताया कि तबादलों और उसके बाद के सरकारी फैसलों पर शुक्ला की रिपोर्ट से कोई नाता नहीं था। उस समय जो भी नियुक्तियां हुईं वे आधिकारिक समिति की सिफारिशों के मुताबिक था। इसमें तत्कालीन DGP सुबोध जायसवाल, मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह और अन्य अधिकारी शामिल थे।

गृह मंत्री की जांच की मांग लेकर परमबीर सिंह हाईकोर्ट पहुंचे
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर हर महीने 100 करोड़ रुपए वसूली करवाने के आरोप की CBI से जांच करवाने की मांग को लेकर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गुरुवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है। वर्तमान में होमगार्ड के DG परमबीर ने कोर्ट से मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से खुद को ट्रांसफर किए जाने की अधिसूचना पर भी रोक लगाए जाने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने को कहा था
इससे पहले परमबीर सिंह ने बुधवार को दोनों मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए उनहें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे रहे हैं। कोर्ट ने परमबीर के वकील मुकुल रोहतगी से कहा था कि आप लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आ गए? अनिल देशमुख को पार्टी क्यों नहीं बनाया? रोहतगी ने इस पर संशोधित आवेदन दाखिल करने की बात कही। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की भी अपनी शक्तियां हैं आपको पहले वहां जाना चाहिए।

याचिका में परमबीर सिंह ने क्या आरोप लगाए?
परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया था कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक रखने के लिए गिरफ्तार पुलिस अधिकारी सचिन वझे सीधा गृहमंत्री देशमुख के संपर्क में था। देशमुख ने फरवरी में अपने घर पर वाजे से मीटिंग की थी। देशमुख ने वझे को हर महीने 100 करोड़ रुपए की उगाही करने को कहा था। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि इस सच्चाई को सामने लाने के लिए अनिल देशमुख के घर का सीसीटीवी फुटेज जल्द जब्त किया जाए, वर्ना वो इस महत्वपूर्ण सबूत को मिटा सकते हैं।

परमबीर सिंह का कहना है कि उन्होंने अनिल देशमुख के जूनियर पुलिस अधिकारियों से सीधे मिलने और उनसे वसूली के लिए कहने की जानकारी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और दूसरे वरिष्ठ नेताओं को दी थी। इसके तुरंत बाद उन्हें पुलिस कमिश्नर पद से हटाकर डीजी होमगार्ड के पद पर भेज दिया गया।

स्टेट इंटेलीजेंस कमिश्नर ने ट्रांसफर-पोस्टिंग में लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप
इस याचिका में यह भी दावा किया गया था कि अनिल देशमुख गृह मंत्री के पद पर रहते लगातार गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल थे। अगस्त 2020 में एक फोन इंटरसेप्ट के जरिए स्टेट इंटेलीजेंस की कमिश्नर रश्मि शुक्ला को पता चला कि देशमुख ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। उन्होंने इसकी जानकारी DGP और गृह विभाग के एडिशनल सेक्रेट्री को दी थी। हालांकि, बाद में उन्हें पद से अलग कर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया।

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