सीनियर आईपीएस संजय पांडे का आरोप:परमबीर सिंह ने ADG की जांच में गवाहों को धमकाया, DGP ने पुणे में केस दर्ज करने से रोका, अतिरिक्त सचिव ने फोन पर रुकवाई जांच

संजय पांडे ने लिखा है कि जब फिनॉलेक्स केस में DG सुबोध जायसवाल पिंपरी-चिंचवाड में केस दाखिल नहीं कर रहे थे तो इसकी जिम्मेदारी मुझे दी गई। जब काम आगे बढ़ाया तो जायसवाल ने मुझसे कहा कि मैं तो पुलिस अधिकारी ही नहीं हूं।

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  • संजय पांडे ने 1993 के मुंबई दंगे में धारावी में तब के भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को गिरफ्तार किया था
  • मेरे ट्रांसफर और पोस्टिंग की चर्चा और फैसला मेरे से जूनियर अधिकारियों द्वारा लिया जा रहा है- पांडे

मुंबई। महाराष्ट्र के सबसे सीनियर IPS अधिकारी संजय पांडे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि मुंबई पुलिस के कमिश्नर पद से हटाए गए परमबीर सिंह ने ADG देवेन भारती के खिलाफ जांच में गवाहों को धमकाया। अतिरिक्त सचिव ने इसी ADG के मामले में जांच रोकने का आदेश दिया। पत्र में उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से बताया है कि कैसे मुंबई की पुलिस काम कर रही है। कैसे सेक्रेटरी भी इसमें अडंगा डाल रहे हैं।

गोपनीय जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई

1986 बैच के अधिकारी पांडे ने यह भी लिखा है कि हाल के वर्षों में उन्हें कुछ गोपनीय इन्क्वायरी की जिम्मेदारी सौंपी गई। उसे उन्होंने तमाम चुनौतियों के बावजूद पूरा किया। इसकी तारीफ शरद पवार सहित कई अन्य अधिकारियों ने की है। खुद गृह मंत्री (अनिल देशमुख) ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) देवेन भारती के खिलाफ कुछ शिकायत की जांच की फाइल मुझे सौंपी। जब मैंने रिपोर्ट सबमिट की तो इसकी तारीफ आपने (मुख्यमंत्री) ने भी की थी। यहाँ तक कि शरद पवार ने भी मुझे बताया था कि मेरी तारीफ खुद आपने भी की है।

पुलिस कमिश्नर और एडीजी ऑफिस ने जांच में बाधाएं खड़ी की

पांडे ने आगे लिखा है कि देवेन भारती के खिलाफ शिकायत की जांच करने में किस तरह से पुलिस कमिश्नर और ADG के ऑफिस से बाधाएं खड़ी की गई। परमबीर सिंह ने गवाहों को धमकाया था और इसकी शिकायत भी सरकार से की गई। बाद में तब के मुख्य सचिव संजय कुमार के आदेश पर जांच बीच में ही रुकवा दी गई, जिसे मैंने आपके साथ मीटिंग में साझा भी किया था।

पुणे में एक जांच को डीजीपी ने रोका

एक अन्य मामले का हवाला देते हुए पांडे ने लिखा है कि जब फिनॉलेक्स केस में DG सुबोध जायसवाल पिंपरी-चिंचवड में केस दाखिल नहीं कर रहे थे तो इसकी जिम्मेदारी मुझे दी गई। जब मैंने काम आगे बढ़ाया तो जायसवाल ने मुझसे कहा कि मैं तो पुलिस अधिकारी ही नहीं हूँ। मेरे खिलाफ कोर्ट में केस दायर कराया गया। पर मेरे द्वारा की गई इन्क्वायरी से आखिरकार केस दर्ज हुआ।

सबसे लंबे समय तक ज्वाइंट सीपी रहे देवेन भारती

बता दें कि मुंबई में कानून एवं व्यवस्था (लॉ एंड ऑर्डर) के संयुक्त पुलिस कमिश्नर (ज्वाइंट सीपी) के रूप में देवेन भारती सबसे लंबे समय तक रहे हैं। 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी भारती अप्रैल 2015 से 15 मई 2019 तक इस पद पर रहे हैं। उसके बाद उन्हें एटीएस प्रमुख बना दिया गया था। हालांकि बाद में उन्हें ADG पोस्ट पर भेजा गया। अमूमन इस पद पर 2 साल से ज्यादा किसी अधिकारी को नहीं रख जाता है।

सबसे सीनियर मोस्ट आईपीएस अधिकारी संजय पांडे ने अपनी नाराजगी जिन शब्दों में जताई है और जिस मर्म को उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में व्यक्त किया है, उससे पता चलता है कि जिन पुलिस अधिकारियों के कंधे पर आम जनता को इंसाफ दिलाने का दारोमदार होता है, वे खुद पॉलिटिकल सिस्टम के आगे कितने लाचार होते हैं।

जूनियर अधिकारियों को मिलती रही है मलाईदार पोस्ट

अपने 4 पेज के पत्र में पांडे ने सिलसिलेवार तरीके से बताने की कोशिश की है कि किस तरह से उनकी सीनियॉरिटी को ताक पर रखकर उनसे जूनियर अधिकारियों को क्रीम पोस्ट देकर बार-बार न सिर्फ उन्हें आहत किया गया, बल्कि प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का उल्लंघन किया गया और उन्हें नॉन-काडर पोस्ट दिया गया।

उद्धव ठाकरे के पास गलती सुधारने का मौका था

मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है कि उनके (उद्धव ठाकरे) पास इस गलती को सुधारने का मौका था, पर इसके बजाय उन्होंने फिर से वही गलती दोहराई, जिससे अब उनका करियर अब लगभग चौपट हो गया है। पांडे ने लिखा है कि राज्य के सबसे सीनियर मोस्ट आईपीएस अधिकारी होने बावजूद उन्हें पुलिस ईस्टैब्लिशमेन्ट बोर्ड का सदस्य तक नहीं बनाया गया है। यह कितना पीड़ादायक है कि मेरे ट्रांसफर और पोस्टिंग की चर्चा और फैसला मेरे से जूनियर अधिकारियों द्वारा लिया जा रहा है।

कानपुर के आईआईटी के छात्र रहे हैं पांडे

संजय पांडे कानपुर आईआईटी के छात्र रहे हैं। वे 1993 के मुंबई दंगे में धारावी में तब के भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को गिरफ्तार किए थे। हालांकि साल 2000 में जब पांडे ईओडब्ल्यू में डीसीपी थे, तब मुंडे राज्य में गृहमंत्री थे। चमड़ा घोटाले में जब पांडे ने जांच शुरू की तो उनका ट्रांसफर कर दिया गया। पांडे ने तब पुलिस सेवा से इस्तीफा भी दे दिया था।

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