बंगाल की सत्ता पाने के लिए ममता बनर्जी खुलकर इमोशनल कार्ड खेल रही हैं। नंदीग्राम में चोटिल होने के बाद रविवार को उन्होंने पहली बार कोलकाता में रोड शो किया था। इस रोड शो की खास बात ये थी कि इसमें उन्होंने न हमले को साजिश बताया और न ही मोदी पर वार किया। उन्होंने लोगों को इमोशनली कनेक्ट करते हुए कहा, ‘भले ही मैं दर्द में हूं, लेकिन आप लोगों के सामने मेरा दर्द कुछ नहीं।’
सोमवार को भी उन्होंने जंगलमहल में आने वाले पुरुलिया में व्हीलचेयर पर दो रैली की। 16 को बांकुड़ा और 17 को झारग्राम में भी ऐसे ही रैली है। इसमें भी वे व्हीलचेयर पर ही नजर आएंगीं। TMC के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक यह कहते नजर आ रहे हैं कि एक तरफ BJP जैसी ताकतवर पार्टी है, जिसके पास संसाधन हैं, पैसा है। वहीं, दूसरी ओर एक अकेली महिला है, जो इन सब से लड़ रही है। कुल मिलाकर TMC लोगों के सहानुभूति वोट पाने की कोशिश करती दिख रही है।
ममता पहले भी इमोशनल कार्ड खेल चुकीं
बंगाल की राजनीति में यह पहली बार नहीं हो रहा कि ममता ने कोई इमोशनल कार्ड खेला हो। जब लेफ्ट सरकार थी, तब भी वे अक्सर ऐसा करते दिखी हैं। तब वे कहती थीं कि एक ओर वामपंथियों की ताकत है तो दूसरी ओर एक अकेली महिला है। इसका उन्हें फायदा भी मिला और 2011 में सत्ता में आ गईं।
वरिष्ठ पत्रकार श्यामलेंदु मित्रा कहते हैं, ‘तब और अब में जमीन-आसमान का फर्क है। तब ममता विपक्ष में थीं। उनके साथ कोई सिक्योरिटी नहीं होती थी। वे जन आंदोलनों में शामिल होती थीं। इसलिए लोगों में उनके लिए सहानुभूति थी, लेकिन अब वे खुद सरकार में हैं। उनके पास सुरक्षा का कवच है। ऐसे में सहानुभूति से वो कितने वोट पा सकती हैं, यह वक्त बताएगा।’
सोशल मीडिया के कारण सहानुभूति मिलना मुश्किल
बंगाल की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट प्रसून आचार्या का मानना है कि चोटिल होने के बाद सहानुभूति वाले वोट इस बार ममता बनर्जी को नहीं मिल पाएंगे क्योंकि सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो गांव-गांव तक पहुंच चुके हैं। हर कोई यह जानता है कि ममता के साथ जो हुआ, वो हादसा था, हमला नहीं।
प्रसून कहते हैं, ‘ममता ने TMC के कार्यकर्ताओं को ही परेशानी में डाल दिया है। इतनी चोट लगी थी, तो वे उसके अगले दिन ही कैसे प्रचार में जुट गईं? TMC कार्यकर्ता ही दबी जुबान से कह रहे हैं कि एक हफ्ते बाद ही उन्हें मैदान में आना था। ताकि लोगों के मन में कोई सवाल न आए।’
TMC ने कहा- कुर्सियां खाली रह गईं, इसलिए अमित शाह ने वर्चुअल रैली की
सोमवार को जंगलमहल के ही झारग्राम में गृहमंत्री अमित शाह की रैली भी थी, लेकिन ऐन मौके पर BJP की तरफ से बताया गया कि हेलिकॉप्टर में तकनीकी खराबी आने के चलते शाह की रैली वर्चुअल होगी। वे सभास्थल पर नहीं आएंगे। इसके कुछ ही मिनटों बाद तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि रैली में कुर्सियां खाली थीं। पब्लिक नहीं आई इसलिए अमित शाह ने सभास्थल पर आकर रैली नहीं की।
तृणमूल कांग्रेस ने सभास्थल के फोटो, वीडियो भी जारी किए। जिनमें कई कुर्सियां खाली नजर आ रही हैं। खबरें ये भी आईं कि कई बसों को सभास्थल से पहले ही रोक दिया गया। जिस कारण बहुत से लोग यहां पहुंच ही नहीं सके। रविवार को ही अमित शाह ने खड़गपुर में रोड शो किया था, जिसमें बड़ी भीड़ जुटी थी।
पुरूलिया में 18 को मोदी की रैली
ममता बनर्जी की तीन रैलियों के बाद 18 मार्च को पुरुलिया में पीएम मोदी की रैली होने जा रही है। लोकसभा में BJP ने जंगलमहल में बड़ी जीत दर्ज की थी। पार्टी इस जीत को विधानसभा में बरकरार रखना चाहती है। इसलिए यहां अमित शाह और मोदी की रैलियां करवाई जा रही हैं। जंगलमहल में पहले दो चरणों में ही वोटिंग होनी है। इसलिए अब सभी पार्टियों का फोकस यहां हैं।
एक तरफ ममता यहां इमोशनल कार्ड खेल रही हैं तो वहीं BJP मुस्लिम तुष्टिकरण, तोलाबाजी, बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठा रही है। ममता की चोट को भी नौटंकी बताया जा रहा है। BJP की कोशिश है कि पहले चरण की वोटिंग से पहले ही ममता के इस दांव को फीका कर दिया जाए। इसलिए पार्टी ने ममता की मेडिकल रिपोर्ट भी सार्वजनिक करने की मांग की है।