इन्कॉग्निटो मोड के कारण मुसीबत में गूगल : जानिए क्या है इन्कॉग्निटो मोड, कैसे काम करता है और इसके कारण कंपनी पर क्यों लग रहा है जुर्माना

जब भी आप गूगल या यूट्यूब पर कुछ भी सर्च करते हैं, तो ब्राउजर (जिसे आप अलग-अलग साइट खोलने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं) आपकी हर एक एक्टिविटी को रिकॉर्ड कर लेता है, जैसे आपने क्या सर्च किया। किस की-वर्ड का इस्तेमाल किया। यदि आप हिस्ट्री डिलीट नहीं करते हैं, तो कोई भी यह पता लगा सकता है कि आपने क्या-क्या सर्च किया है। ये डेटा गूगल के सर्वर में भी सेव रहता है। इस प्रोसेस को कुकीज सेव करना भी कहते हैं।

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नई दिल्ली। हमने कभी न कभी इन्कॉग्निटो मोड का नाम तो सुना ही होगा, लेकिन बहुत से लोग इसके इस्तेमाल से वाकिफ नहीं हैं। जैसे कि यह कैसे काम करता है, ब्राउजर में इसे क्यों दिया गया है, इसके फायदे-नुकसान क्या हैं। यहां हमने आपको इन्कॉग्निटो मोड से जुड़े हर पहलु को समझने की कोशिश की है…

पहले समझिए नॉर्मल ब्राउजिंग कैसे काम करती है?
जब भी आप गूगल या यूट्यूब पर कुछ भी सर्च करते हैं, तो ब्राउजर (जिसे आप अलग-अलग साइट खोलने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं) आपकी हर एक एक्टिविटी को रिकॉर्ड कर लेता है, जैसे आपने क्या सर्च किया। किस की-वर्ड का इस्तेमाल किया। यदि आप हिस्ट्री डिलीट नहीं करते हैं, तो कोई भी यह पता लगा सकता है कि आपने क्या-क्या सर्च किया है। ये डेटा गूगल के सर्वर में भी सेव रहता है। इस प्रोसेस को कुकीज सेव करना भी कहते हैं।

वहीं, इन्कॉग्निटो मोड इससे बिल्कुल अलग है। इस फीचर को सबसे पहले एपल के सफारी ब्राउजर में साल 2015 में लॉन्च किया गया था। इसके बाद सभी कंपनियों ने अपने ब्राउजर में इसे शामिल किया।

क्या है इन्कॉग्निटो मोड?
इन्कॉग्निटो मोड को प्राइवेसी मोड, सेफ मोड या प्राइवेट ब्राउजिंग नाम से भी जाना जाता है। इसकी खासियत यह है कि इस मोड में आपकी सर्च हिस्ट्री और कैश फाइल सेव नहीं होती। जैसे ही इस विंडो को क्लोज करते हैं ऑटोमेटिकली सबकुछ डिलीट हो जाता है। इस मोड में जो भी एक्टिविटी करते हैं, वो नॉर्मल ब्राउजर में नहीं दिखती हैं। यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि जब भी आप इन्कॉग्निटो मोड को उपयोग करते हैं यह हमेशा फ्रेश सर्च ही करेगा।

इन्कॉग्निटो मोड के फायदे?

  • निजी जानकारी चोरी होने से बचाने के लिए: जब हम किसी साइट पर अपना अकाउंट बनाते हैं तो उसमें दी गईं सभी व्यक्तिगत जानकारियां सेव हो जाती हैं लेकिन यदि यह सभी काम इन्कॉग्निटो मोड पर किए जाए, तो सभी गोपनीय जानकारी सेव होने से रोक सकते हैं और अपनी पर्सनल डिटेल्स चोरी होने से बचा सकते हैं।
  • लॉगइन डिटेल छुपाने के लिए: अगर आप अपना कोई प्राइवेट वर्क किसी दूसरे के कम्प्यूटर में करते हैं तो आपको इनकॉग्निटो मोड का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से दूसरा कोई भी व्यक्ति आपकी लॉगइन डीटेल्स के बारे में पता नहीं कर पाए।
  • सर्च हिस्ट्री छुपाने के लिए: अगर आप चाहते हैं कि आपने ब्राउजर में क्या सर्च किया है इसकी जानकारी कोई और ना पता लगा पाए तो आप इनकॉग्निटो मोड का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आपने जो भी सर्च किया होगा वह कोई दूसरा नहीं देख पाएगा।
  • वेबसाइट टेस्ट करने के लिए: यह वेब डेवलपर्स के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें आप अपने ब्राउजर की कैशे क्लीयर किए बिना केवल ब्राउजर से रिफ्रेश करके अपने द्वारा किए गए बदलाव को जान सकते हैं।
  • ट्रैक होने से बचने के लिए: हम जब भी वेब ब्राउजिंग करते हैं तो ब्राउजर और वेब सर्वर के द्वारा हमारी हिस्ट्री ट्रैक की जाती है लेकिन अगर आप इनकॉग्निटो मोड का इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपकी लॉगइन डीटेल्स, सर्च हिस्ट्री, फॉर्म डिटेल्स हिस्ट्री, कुकीज फाइल्स सेव नहीं की जाती है। इस प्रकार से आप ट्रैक होने से बच सकते हैं।

इन्कॉग्निटो मोड यूज करते किस बात का ध्यान रखें?
ऐसा नहीं है कि इन्कॉग्निटो मोड में कई गई एक्टिविटी किसी को पता नहीं चलेंगी। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस मोड में की गई एक्टिविटी केवल उस कम्प्यूटर में सेव नहीं होती लेकिन ISP (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) को इसकी जानकारी रहती है कि आपने कौन सी साइट विजिट की है। इसके अलावा इस बात पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि इस मोड में केवल ब्राउजिंग हिस्ट्री सेव नहीं होती लेकिन अगर कोई फाइल डाउनलोड की है या बुकमार्क बनाया है, तो वो सेव रहता है।

इन्कॉग्निटो मोड को लेकर गूगल पर लग सकता है भारी जुर्माना?
लोग इन्कॉग्निटो मोड का उपयोग करते हुए सुरक्षित महसूस करते हैं, लेकिन गूगल के लिए यह परेशानी का कारण बन गया है। हाल ही में एक अमेरिकी यूजर ने गूगल पर केस किया है। यूजर का आरोप है कि गूगल अपने क्रोम ब्राउजर के जरिए इनकॉग्निटो मोड (प्राइवेट मोड) में भी लोगों को ट्रैक करता है। इस मामले में गूगल पर पांच बिलियन डॉलर यानी करीब 36 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना लग सकता है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गूगल ने अपने यूजर्स को जानकारी नहीं दी है कि वह प्राइवेट मोड भी यूजर को ट्रैक करता है। यूजर ने कहा कि गूगल का डेटा ट्रैकिंग का व्यापक बिजनेस है। यूजर का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी चीजों और सर्च को प्राइवेट रखना चाहता है तब भी गूगल उसे ट्रैक करता है। इस मामले पर गूगल के एक प्रवक्ता ने कहा है कि कंपनी इस दावे को करीब से देख रही है और वह अपना बचाव सख्ती से करेगी।

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